औद्योगिक उत्पादन -5.1 फीसदी रहा
देश के कारखानों में उत्पादन का पहिया ठप हो गया है। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के बीच औद्योगिक उत्पादन घटने की आशंकाएं सच निकलीं। इस साल अक्टूबर में देश के औद्योगिक उत्पादन की दर शून्य से 5.1 प्रतिशत नीचे चली गई है। पिछले 28 महीने में औद्योगिक उत्पादन में यह सबसे बड़ी गिरावट है। आशंका यह भी है कि यह स्थिति चालू वित्त वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही के अंत तक बनी रह सकती है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। देश के कारखानों में उत्पादन का पहिया ठप हो गया है। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों के बीच औद्योगिक उत्पादन घटने की आशंकाएं सच निकलीं। इस साल अक्टूबर में देश के औद्योगिक उत्पादन की दर शून्य से 5.1 प्रतिशत नीचे चली गई है। पिछले 28 महीने में औद्योगिक उत्पादन में यह सबसे बड़ी गिरावट है। आशंका यह भी है कि यह स्थिति चालू वित्ता वर्ष 2011-12 की तीसरी तिमाही के अंत तक बनी रह सकती है।
उत्पादन में गिरावट की बड़ी वजह मैन्यूफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र का प्रदर्शन रहा। पिछले महीने यानी सितंबर में भी औद्योगिक उत्पादन के खराब प्रदर्शन में यही दोनों क्षेत्र विलेन रहे थे। अक्टूबर आते-आते दोनों क्षेत्रों की हालत और खराब हो गई है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की अक्टूबर की रफ्तार शून्य से छह प्रतिशत नीचे चली गई। जबकि पिछले साल इसी महीने मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 12.3 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। इसी तरह खनन क्षेत्र की वृद्धि दर भी शून्य से 7.2 प्रतिशत नीचे चली गई है। पिछले साल यह 6.1 प्रतिशत थी। अक्टूबर में पिछले साल औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर भी 11.3 प्रतिशत रही थी।
औद्योगिक क्षेत्र के इस प्रदर्शन ने सरकार की चिंताएं बढ़ा दी हैं। प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष सी. रंगराजन ने औद्योगिक उत्पादन के आंकड़ों पर निराशा व्यक्त की। उन्होंने कहा 'औद्योगिक उत्पादन वृद्धि में कुछ कमी की तो उम्मीद की जा रही थी लेकिन इसमें सीधे गिरावट आएगी इसकी उम्मीद नहीं थी।'
यूरो क्षेत्र और अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती के साथ घरेलू बाजार में ऊंची ब्याज दरों ने औद्योगिक उत्पादन को बुरी तरह प्रभावित किया है। रिजर्व बैंक मार्च, 2010 के बाद से 13 बार प्रमुख नीतिगत दरों [रेपो और रिवर्स रेपो] में वृद्धि कर चुका है। कर्ज महंगा होने से औद्योगिक क्षेत्र में गतिविधियां तो प्रभावित हुई हैं, मांग में भी कमी आई है। वैसे, औद्योगिक वृद्धि दर के इतना नीचे आने और महंगाई की दर में कमी के बाद अब उम्मीद की जा रही है कि रिजर्व बैंक इसी हफ्ते मौद्रिक नीति की समीक्षा में प्रमुख ब्याज दरों में कमी कर सकता है।
जानकारों का मानना है कि ब्याज दरों में कमी होती भी है तो इसका तत्काल असर औद्योगिक उत्पादन पर नहीं दिखेगा। कम से कम तीसरी तिमाही के खत्म होने तक औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि की रफ्तार में अब बहुत बड़े बदलाव की उम्मीद नहीं है। इसका असर तीसरी तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] पर भी पड़ेगा। यदि अक्टूबर से दिसंबर तक औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार निगेटिव में बनी रहती है तो आर्थिक विकास की दर भी बुरी तरह प्रभावित हो सकती है।
मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की गिरावट में देश में कारों की बिक्री में हुई कमी ने भी अहम भूमिका निभाई है। कार निर्माता चालू वित्ता वर्ष के लिए बिक्री लक्ष्य में कमी की घोषणा भी कर चुके हैं। दूसरी तरफ टीवी, फ्रिज जैसे टिकाऊ उपभोक्ता सामान की बिक्री और उंत्पादन में भी गिरावट दर्ज की गई है। इस क्षेत्र में उत्पादन बढ़ने की रफ्तार भी शून्य से 0.3 प्रतिशत नीचे चली गई है।
-28 माह में पहली बार औद्योगिक उत्पादन की बड़ी गिरावट
-महंगाई और ऊंची ब्याज दरों ने बिगाड़ा आइआइपी का खेल
-तीसरी तिमाही में अब नहीं रह गई सुधार की उम्मीद
-देश के सकल घरेलू उत्पाद पर भी पड़ सकता है असर
-सरकारी कोशिशें तेज, उद्योगपतियों से मिलेंगे आनंद शर्मा
उद्योगपतियों से मिलेंगे आनंद शर्मा
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। औद्योगिक उत्पादन में तेज गिरावट ने सरकार के माथे पर बल डाल दिए हैं। अर्थव्यवस्था के मंदी की तरफ बढ़ने की आशंकाओं को मजबूत होता देख सरकार ने इससे बचने की कोशिश तेज कर दी है। वाणिज्य व उद्योग मंत्री आनंद शर्मा इसी महीने की 19 तारीख को उद्योगपतियों के साथ बैठक कर उत्पादन में वृद्धि का रास्ता निकालने की कोशिश करेंगे।
सितंबर में औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार 1.9 प्रतिशत तक नीचे आने के बाद ही यह आशंका जताई जा रही थी कि अक्टूबर में यह निगेटिव में चली जाएगी। इसके मद्देनजर वाणिज्य व उद्योग मंत्री ने उद्योग जगत से बैठक करने की योजना भी बनाई थी। सूत्र बताते हैं कि रिटेल में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश [एफडीआइ] का मामला फंस जाने की वजह से यह बैठक नहीं हो पाई थी। अब शर्मा जेनेवा में हो रही विश्व व्यापार संगटन [डब्ल्यूटीओ] की बैठक में हिस्सा लेकर लौटने के बाद उद्योग जगत के प्रतिनिधियों के साथ बैठक करेंगे।
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