कल-कारखानों में सुस्ती बरकरार
केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कारखानों की सुस्ती दूर होती नहीं दिख रही है। इस साल जुलाई में देश के औद्योगिक उत्पादन में मात्र 0.1 प्रतिशत बढ़ा है। खासकर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र सरकार के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है। जुलाई में इसकी रफ्तार शून्य से 0.2 प्रतिशत नीचे रही। बीते कई माह से इस क्षेत्र की रफ्तार ल
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। केंद्र सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद कारखानों की सुस्ती दूर होती नहीं दिख रही है। इस साल जुलाई में देश के औद्योगिक उत्पादन में मात्र 0.1 प्रतिशत बढ़ा है। खासकर मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र सरकार के लिए बड़ी चिंता बना हुआ है। जुलाई में इसकी रफ्तार शून्य से 0.2 प्रतिशत नीचे रही। बीते कई माह से इस क्षेत्र की रफ्तार लगातार धीमी बनी हुई है। औद्योगिक उत्पादन में इस सुस्ती को देखते हुए भारतीय रिजर्व बैंक [आरबीआइ] पर एक बार फिर ब्याज दरों में कमी करने का दबाव बनने लगा है।
बीते वित्त वर्ष 2011-12 की जुलाई में औद्योगिक उत्पादन में 3.7 प्रतिशत की वृद्धि हुई थी। चालू वित्त वर्ष 2012-13 के समान महीने में मैन्यूफैक्चरिंग और खनन क्षेत्र की सुस्ती के चलते औद्योगिक उत्पादन में वृद्धि की रफ्तार सिमट गई है। ऐसे माहौल में आरबीआइ 17 सितंबर मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा करेगा। उद्योग संगठनों ने औद्योगिक क्षेत्र के प्रदर्शन को देखते हुए ब्याज दरों में कमी की मांग करना शुरू कर दिया है। अलबत्ता जून के मुकाबले औद्योगिक उत्पादन सूचकांक [आइआइपी] में कुछ सुधार हुआ है। तब आइआइपी में 1.8 प्रतिशत की कमी दर्ज हुई थी। औद्योगिक क्षेत्र में कैपिटल गुड्स की हालत अभी भी दुरुस्त नहीं हुई है। जुलाई में इस क्षेत्र के उत्पादन में पांच प्रतिशत की गिरावट आई है। इसका मतलब है कि अभी भी देश में औद्योगिक गतिविधियां सुस्त बनी हुई हैं।
चालू वित्त वर्ष की पहले चार महीनों [अप्रैल से जुलाई] के दौरान औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार नकारात्मक बनी रही। इस अवधि में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर शून्य से 0.1 और मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की शून्य से 0.6 प्रतिशत नीचे रही है। वित्त वर्ष के इन चार महीने में कैपिटल गुड्स क्षेत्र की रफ्तार शून्य से 16.8 प्रतिशत नीचे चली गई है। यह दीगर है कि अन्य क्षेत्रों में वृद्धि दर सकारात्मक रही है।
मैन्यूफैक्चरिंग पर अहम बैठक आज
मैन्यूफैक्चरिंग की खस्ताहाली से चिंतित केंद्र सरकार ने ब्याज दरों में कमी के दबाव के बीच इस क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए विचार-विमर्श शुरू कर दिया है। वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री आनंद शर्मा गुरुवार को राज्यों के मुख्य सचिवों व उद्योग सचिवों के साथ बैठक कर रहे हैं। प्रमुख केंद्रीय मंत्रियों के अलावा इसमें प्रधानमंत्री के सलाहकार सैम पित्रोदा और योजना आयोग के सदस्य अरुण मारिया भी मौजूद रहेंगे। राष्ट्रीय मैन्यूफैक्चरिंग प्रतिस्पर्धा परिषद में शामिल उद्योग जगत के प्रतिनिधि भी इसमें हिस्सा लेंगे। बैठक में मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के लिए नीतियों में बदलाव पर विचार होगा ताकि उत्पादन की रफ्तार को फिर से बढ़ाया जा सके। इसमें शर्मा इस क्षेत्र के विकास में बाधक बन रहे जमीन अधिग्रहण जैसे मसले खासतौर पर उठाएंगे।
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