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दूसरी सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत

नई दिल्ली। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के मामले में भारत अगले पांच साल में चीन के बाद दूसरी सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बन सकता है। ग्लोबल रिसर्च फर्म डेलॉयट और अमेरिकी काउंसिल ऑन कॉम्पटीटिवनेस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के मामले में चीन अगले पांच साल भी पहले स्थान पर बना रहेगा, जबकि भारत और ब

By Edited By: Published: Sun, 02 Dec 2012 09:17 PM (IST)Updated: Sun, 02 Dec 2012 09:57 PM (IST)
दूसरी सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बन सकता है भारत

नई दिल्ली। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के मामले में भारत अगले पांच साल में चीन के बाद दूसरी सबसे प्रतिस्पर्धी अर्थव्यवस्था बन सकता है। ग्लोबल रिसर्च फर्म डेलॉयट और अमेरिकी काउंसिल ऑन कॉम्पटीटिवनेस की एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

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मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के मामले में चीन अगले पांच साल भी पहले स्थान पर बना रहेगा, जबकि भारत और ब्राजील क्रमश: दूसरा और तीसरा स्थान हासिल करने की ओर बढ़ेंगे। रिपोर्ट कहती है कि भारत में उपलब्ध कुशल कार्यबल, मजबूत घरेलू मांग और अद्वितीय भौगोलिक स्थिति के कारण उसे प्रतिस्पर्धा में वरीयता हासिल होगी। भारत को सेवा क्षेत्र में जैसी विशेषज्ञता हासिल है, वह मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में भी देखने को मिल सकती है। इसके लिए शिक्षा और आधारभूत संरचना क्षेत्र में विकास की बाधाओं को दूर करने की जरूरत है। यदि ऐसा हुआ तो अगले पांच साल में दुनिया भर के कारोबारी इस देश की उपलब्धियों से रूबरू होंगे। फिलहाल मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र में प्रतिस्पर्धा के मामले में चीन के बाद जर्मनी दूसरे स्थान पर और अमेरिका तीसरे स्थान पर है। भारत का स्थान इस सूची में चौथा है। सूची में दक्षिण कोरिया को पांचवां, ताइवान को छठा और कनाडा को सातवां स्थान हासिल है। आठवें स्थान पर ब्राजील, नौवें पर सिंगापुर और दसवें पायदान पर जापान है।

ऊंची ब्याज दरों से और घटेगी विकास दर

ऊंची ब्याज दरों, महंगाई और प्रमुख यूरोपीय देशों में मंदी के चलते चालू वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही में आर्थिक विकास की रफ्तार अभी और खस्ताहाल हो सकती है। हालांकि, चौथी तिमाही में विकास दर में सुधार की उम्मीद है। उद्योग संगठन एसोचैम ने यह अनुमान जताया है। उसके मुताबिक चालू वित्त वर्ष में आर्थिक विकास दर पांच से 5.5 फीसद के बीच रह सकती है। वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में यह 5.3 फीसद रही है। दूसरी तिमाही में मैन्यूफैक्चरिंग और कृषि क्षेत्र के खराब प्रदर्शन के कारण अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी हुई।

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