आसियान कुनबा अब भारत का रणनीतिक साझेदार
एशियाई मुहल्ले में चीन की बढ़ती दादागीरी के बीच भारत और आसियान मुल्कों ने अपने रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी में बदलने का एलान किया है। भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के आगाज के साथ दोनों पक्षों ने गहरे आर्थिक रिश्तों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा संबंधी मामलों पर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस संगठन ने अगले तीन वर्षो में 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य के साथ सेवा व निवेश में मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की भी घोषणा की है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। एशियाई मुहल्ले में चीन की बढ़ती दादागीरी के बीच भारत और आसियान मुल्कों ने अपने रिश्ते को रणनीतिक साझेदारी में बदलने का एलान किया है। भारत-आसियान शिखर सम्मेलन के आगाज के साथ दोनों पक्षों ने गहरे आर्थिक रिश्तों के साथ ही अंतरराष्ट्रीय राजनीति और सुरक्षा संबंधी मामलों पर सहयोग बढ़ाने का फैसला किया है। भारत और दक्षिण पूर्व एशियाई देशों के इस संगठन ने अगले तीन वर्षो में 100 अरब डॉलर के द्विपक्षीय व्यापार लक्ष्य के साथ सेवा व निवेश में मुक्त व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की भी घोषणा की है।
दक्षिण चीन सागर में तल्ख हो रहे विवाद के बीच दस आसियान देशों ने भारत के साथ मिलकर रिश्तों का विजन दस्तावेज पेश किया है। इसमें समुद्री सुरक्षा, समुद्री मार्गो पर निर्बाध आवाजाही की स्वतंत्रता और इस संबंध में संयुक्त राष्ट्र नियमों के आधार पर फैसले का संकल्प जताया है। जाहिर तौर पर ये बातें चीन के लिए गले उतारना मुश्किल होगा, जो दक्षिण चीन सागर में क्षेत्रीय दावों के साथ कई पड़ोसी मुल्कों को त्योरियां दिखा रहा है। वियतनाम में भारत के तेल व गैस अभियानों को लेकर भी चीन भारत को आंखें तरेरता रहा है। वैसे, आसियान के साथ भारत की रणनीतिक साझेदारी एशिया-प्रशांत क्षेत्र में नए सुरक्षा ढांचे का भी रास्ता बनाती है।
भारत-आसियान संवाद के बीस साल पूरे होने पर आयोजित दो दिनी शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस साझेदारी पर बनी सहमति को ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। सम्मेलन के मंच से आसियान मुल्कों ने भी मौजूदा अंतरराष्ट्रीय स्थितियों और एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा सवालों के मद्देनजर भारत के साथ सहयोग को बेहद अहम माना है। आसियान के मौजूदा मुखिया ब्रुनेई के सुल्तान हाजी हसन अल बोलकिया ने भारत के साथ संपर्क बढ़ाने को भविष्य की चुनौतियों के लिहाज से महत्वपूर्ण बताया। रक्षा व सैन्य सहयोग के लिए भारत और आसियान रक्षा मंत्रियों के बीच मौजूदा ढांचे व आसियान फोरम के जरिये संवाद बढ़ाएंगे।
दोनों पक्षों ने 2022 तक द्विपक्षीय व्यापार को 200 अरब डॉलर तक ले जाने का लक्ष्य रखा है। वहीं 2015 तक 100 अरब डॉलर के व्यापार का आंकड़ा पार करने का लक्ष्य तय किया है। सेवा व निवेश के क्षेत्र में नए मुक्त व्यापार समझौते से भारत के पेशेवरों को दुनिया के तेज रफ्तार अर्थव्यवस्था वाले आसियान मुल्कों में प्रवेश का रास्ता साफ होगा। भारत और आसियान संयुक्त तौर पर 3,000 अरब डॉलर से अधिक का बाजार हैं। शुक्रवार को समाप्त हो रहे सम्मेलन के लिए वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, कंबोडिया, लाओस, थाइलैंड, फिलीपींस, सिंगापुर, म्यांमार सहित आसियान मुल्कों के शासनाध्यक्ष और प्रमुख नेता भारत में हैं।
क्या कहता है विजन दस्तावेज
-समुद्री सुरक्षा, समुद्री मार्गो पर निर्बाध आवाजाही की स्वतंत्रता को पुख्ता करेंगे
-संयुक्त राष्ट्र की व्यवस्था और अंतरराष्ट्रीय कानूनों को देंगे तरजीह
-रक्षा संवाद और सैन्य अभ्यास सहित सहयोग बढ़ाने की होगी कोशिश
-भारत-म्यांमार-थाइलैंड राजमार्ग को लाओस व कंबोडिया तक बढ़ाया जाएगा
-अंकोरवाट मंदिर जैसे सांस्कृतिक प्रतीक सहेजने को बढ़ाएंगे सहयोग
-भारत-आसियान सेंटर की जल्द से जल्द स्थापना की जाएगी
-कृषि, लघु-मझोले उद्योग, उर्जा सुरक्षा व संरक्षण पर बढ़ेगी साझेदारी
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