देश में औद्योगिक मंदी का खतरा
औद्योगिक मंदी का खतरा गहराने लगा है। औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार सिकुड़ रही है। निर्यात कम हो रहा है। रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। बाजारों से विदेशी निवेशक भाग रहे है। अर्थव्यवस्था को ताजा झटका औद्योगिक मोर्चे पर लगा है। मार्च मे औद्योगिक उत्पादन औंधे मुंह जा गिरा है। यह गिरावट 3.5 प्रतिशत की रही है। इसके बाद बीते वित्त वर्ष 2011-12 मे औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत पर सिमट गई है।
नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। औद्योगिक मंदी का खतरा गहराने लगा है। औद्योगिक उत्पादन की रफ्तार सिकुड़ रही है। निर्यात कम हो रहा है। रुपया डॉलर के मुकाबले लगातार कमजोर हो रहा है। बाजारों से विदेशी निवेशक भाग रहे हैं। अर्थव्यवस्था को ताजा झटका औद्योगिक मोर्चे पर लगा है। मार्च में औद्योगिक उत्पादन औंधे मुंह जा गिरा है। यह गिरावट 3.5 प्रतिशत की रही है। इसके बाद बीते वित्त वर्ष 2011-12 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.8 प्रतिशत पर सिमट गई है। मार्च, 2011 में इस क्षेत्र की विकास दर 9.4 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष में भी उत्पादन में सुधार की गुंजाइश बेहद कम है।
मार्च में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक [आइआइपी] में कमी की मुख्य वजह मैन्यूफैक्चरिंग और भारी मशीनरी बनाने वाले कैपिटल गुड्स उद्योग रहे। मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र के उत्पादन में 4.4 प्रतिशत की कमी आई। मार्च, 2011 में इस क्षेत्र ने 11 प्रतिशत की वृद्धि दर हासिल की थी। इस क्षेत्र का आइआइपी में वजन 75 प्रतिशत है। कैपिटल गुड्स यानी पूंजीगत सामान क्षेत्र की हालत बहुत ज्यादा खराब रही। इस क्षेत्र की विकास दर शून्य से 21.3 प्रतिशत नीचे चली गई। मार्च, 2011 में यह 14.5 प्रतिशत थी।
औद्योगिक उत्पादन का मौजूदा प्रदर्शन आर्थिक सुस्ती की जमीन तैयार कर रहा है। जिस मशीनरी और टेक्सटाइल क्षेत्र के उत्पादन में मार्च में गिरावट दिखाई दे रही है, उसमें अप्रैल में भी बहुत ज्यादा सुधार की गुंजाइश नहीं दिखती। इसकी गवाही अप्रैल के निर्यात आंकड़े दे रहे हैं। इन दोनों क्षेत्रों का निर्यात बहुत तेजी से गिरा है। जानकार मानते हैं कि इससे साफ है कि अप्रैल में भी इनका उत्पादन कम ही रहने की आशंका है।
बीते वित्त वर्ष में यह दूसरा मौका है, जब औद्योगिक उत्पादन में तेज गिरावट आई है। इससे पहले अक्टूबर, 2011 में इस क्षेत्र का उत्पादन 5.1 प्रतिशत लुढ़का था। उसके बाद उत्पादन में सुधार तो हुआ, लेकिन रफ्तार में सुस्ती बनी रही। महंगाई और ऊंची ब्याज दरों ने बीते वित्त वर्ष की सालाना औद्योगिक विकास दर को भी प्रभावित किया। इसके चलते यह वर्ष 2010-11 के 8.2 प्रतिशत के मुकाबले बीते वित्त वर्ष 2.8 फीसद पर सिमट गई।
निर्यात के मोर्चे पर भी तस्वीर निराशाजनक है। सरकार मान चुकी है कि वर्ष 2012-13 निर्यात के लिए खराब रहने वाला है। रुपया भी रिजर्व बैंक की कोशिशों के बावजूद संभाले नहीं संभल रहा है। तेजी से बढ़ रहा आयात रुपये पर और दबाव बनाएगा। अगले महीने रिजर्व बैंक को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा करनी है। मौजूदा परिस्थितियों में केंद्रीय बैंक पर ब्याज दरों में और अधिक नरमी लाने का दबाव बनेगा।
संदेह पैदा करते हैं आंकड़े
सरकार की तरफ से औद्योगिक उत्पादन के शुक्रवार को जारी आंकड़े गलतफहमी पैदा करने वाले हैं। फरवरी, 2012 में जिस उद्योग [घड़ी-चश्मे वगैरह के वर्ग में] की वृद्धि दर 52 फीसद दिखाई गई है उसमें मार्च, 2012 में 23 फीसद की गिरावट है। इसी तरह से पिछले महीने इलेक्ट्रॉनिक मशीनरी उद्योग में 8.8 फीसद की तेजी इस महीने 43 प्रतिशत की गिरावट में बदल गई है। कपड़े के औद्योगिक वर्ग में पिछले महीने 3.7 फीसदी की तेजी थी जो इस महीने 54.5 फीसदी की गिरावट में तब्दील हो गई। उद्योग चैंबर फिक्की ने इन आंकड़ों पर संदेह जताया है। एक महीने पहले ही सरकार के औद्योगिक उत्पादन और निर्यात के आंकड़ें पूरी तरह से गलत साबित हुए हैं। इससे सरकार की बड़ी किरकिरी हो रही है।
सुस्त अर्थव्यवस्था के संकेत
-औद्योगिक उत्पादन में आई गिरावट
-निर्यात में मामूली, लेकिन आयात में तेज बढ़ोतरी
-डॉलर के सामने लगातार कमजोर होता रुपया
-बाजारों से मुंह मोड़ते विदेशी निवेशक
किसने क्या कहा
''औद्योगिक वृद्धि दर के आंकड़े निराशाजनक हैं। पश्चिमी देशों में मंदी और घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी इसके लिए जिम्मेदार हैं।''
-प्रणब मुखर्जी, वित्त मंत्री
''औद्योगिक उत्पादन के आंकड़े निराश करते हैं, लेकिन इसका हल उद्योग को राहत पैकेज देने में नहीं है।''
-मोंटेक सिंह अहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग
''औद्योगिक उत्पादन के ताजा आंकड़े खासतौर पर मैन्यूफैक्चरिंग और कैपिटल गुड्स क्षेत्र में गिरावट बेहद चिंताजनक है।''
-आनंद शर्मा, वाणिज्य, उद्योग व टेक्सटाइल मंत्री
''मार्च में तेज गिरावट के बावजूद औद्योगिक उत्पादन में मामूली सुधार की उम्मीद है।''
सुबीर गोकर्ण, डिप्टी गवर्नर, आरबीआइ
फिर औंधे मुंह गिरा उत्पादन
क्षेत्र , मार्च, 2012, अप्रैल-मार्च, 2011-12
खनन -1.3 -2.0
मैन्यूफैक्चरिंग -4.4 2.9
बिजली 2.7 8.2
सामान्य -3.5 2.8
[वृद्धि दर प्रतिशत में]
बुरे हाल में औद्योगिक क्षेत्र
क्षेत्र , मार्च, 12 , अप्रैल-मार्च, 11-12 बेसिक
गुड्स 1.1 5.5
कैपिटल
गुड्स -21.3 -4.1
मध्यवर्ती
उत्पाद -2.1 -1.0
उपभोक्ता
सामान 0.7 4.4
टिकाऊ
उपभोक्ता सामान 0.2 2.5
गैर टिकाऊ
उपभोक्ता सामान 1.0 5.9
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