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छोटे होम लोन ग्राहक भर नहीं पा रहे ईएमआइ

इसे महंगाई का असर कहिए या कुछ और लेकिन हकीकत यह है कि छोटे होम लोन ग्राहकों के लिए मासिक किस्त यानी ईएमआइ भरना मुश्किल होता जा रहा है। इससे पहले से ही फंसे कर्ज यानी एनपीए की समस्या से परेशान सरकारी बैंकों की मुसीबत और बढ़ती नजर आ रही है। कम ब्याज दर व सरकार से सब्सिडी मिलने के बावजूद पांच लाख रुपय

By Edited By: Published: Sat, 18 Aug 2012 09:04 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2012 09:33 PM (IST)
छोटे होम लोन ग्राहक भर नहीं पा रहे ईएमआइ

नई दिल्ली, जयप्रकाश रंजन। इसे महंगाई का असर कहिए या कुछ और लेकिन हकीकत यह है कि छोटे होम लोन ग्राहकों के लिए मासिक किस्त यानी ईएमआइ भरना मुश्किल होता जा रहा है। इससे पहले से ही फंसे कर्ज यानी एनपीए की समस्या से परेशान सरकारी बैंकों की मुसीबत और बढ़ती नजर आ रही है। कम ब्याज दर व सरकार से सब्सिडी मिलने के बावजूद पांच लाख रुपये तक के होम लोन ग्राहक मासिक किस्त चुका पा रहे हैं।

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इसलिए सरकार ऐसे होम लोन ग्राहकों को ब्याज दरों में राहत देने पर गंभीरता से विचार कर रही है। इसके लिए केंद्र सरकार अब रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कटौती होने का इंतजार नहीं करना चाहती। उसने भारतीय बैंक संघ [आइबीए] को एक समिति गठित करने को कहा है। यह समिति न सिर्फ ब्याज दरों में राहत देने का रास्ता निकालेगी, बल्कि खरीदारों के अभाव में नहीं बिक रहे घरों के लिए आसानी से लोन मुहैया कराने की राह सुझाएगी। वित्त मंत्री चिदंबरम के मुताबिक अकेले मुंबई में पांच लाख आवासीय यूनिटें बनकर तैयार हैं, लेकिन होम लोन के अभाव में नहीं बिक पा रही हैं। इसकी वजह से बैंकों के अरबों रुपये फंसे हुए हैं।

सरकारी आंकड़े बताते हैं कि पिछले वित्त वर्ष के दौरान दो लाख रुपये तक के होम लोन में गैर-निष्पादक परिसंपत्ति यानी एनपीए में 10.28 फीसद की वृद्धि हुई है। इसके पिछले वर्ष बढ़ोतरी का यह आंकड़ा छह फीसद था। इसी तरह से दो लाख से पांच लाख रुपये के होम लोन में एनपीए में 11.03 फीसद की वृद्धि हुई है। वहीं, बड़ी राशि के होम लोन लेने वाले ग्राहकों में समय पर मासिक किस्त नहीं लौटाने की घटनाएं कम हुई हैं। वर्ष 2011-12 में 25 लाख रुपये से ज्यादा होम लोन लेने वाले ग्राहकों में फंसे कर्ज में सिर्फ 1.11 फीसद की वृद्धि हुई है। इसके पिछले वर्ष इस वर्ग में एनपीए 1.55 फीसद बढ़ा था।

दो लाख रुपये तक के होम लोन पर ब्याज की दर बहुत कम है और सरकार की सब्सिडी भी मिलती है। इसके बावजूद इस वर्ग में एनपीए का स्तर बढ़ता जा रहा है। मार्च, 2012 तक सरकारी बैंकों का कुल बकाया होम लोन 2,71,611 करोड़ रुपये का था। इसमें 40 फीसद लोन 10 लाख रुपये से कम के हैं। सरकार के गोपनीय आंकड़े बताते हैं कि जून, 2012 तक सरकारी बैंकों के 1,24,336 करोड़ रुपये के कर्ज एनपीए बन चुके हैं। इससे कई बैंकों के मुनाफे पर असर पड़ रहा है।

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