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नहीं टूटी अर्थव्यवस्था की सुस्ती

सरकार के नीतिगत अनिर्णय, महंगे कर्ज और खराब मानसून ने अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.3 प्रतिशत तक नीचे उतर आई है। तिमाही आधार पर यह तीन साल में सबसे कम विकास दर है। अगली छमाही में अगर हालात नहीं बदले तो अर्थव्यवस्था की सालाना विकास दर एक दशक के न्यूनतम स्तर तक जा सकती है।

By Edited By: Published: Fri, 30 Nov 2012 02:27 PM (IST)Updated: Fri, 30 Nov 2012 10:22 PM (IST)
नहीं टूटी अर्थव्यवस्था की सुस्ती

जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकार के नीतिगत अनिर्णय, महंगे कर्ज और खराब मानसून ने अर्थव्यवस्था को मुश्किल में डाल दिया है। चालू वित्त वर्ष 2012-13 की दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की दर 5.3 प्रतिशत तक नीचे उतर आई है। तिमाही आधार पर यह तीन साल में सबसे कम विकास दर है। अगली छमाही में अगर हालात नहीं बदले तो अर्थव्यवस्था की सालाना विकास दर एक दशक के न्यूनतम स्तर तक जा सकती है।

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दूसरी तिमाही यानी जुलाई-सितंबर के आर्थिक विकास के आंकड़ों ने यह स्पष्ट कर दिया है कि अर्थव्यवस्था में सुस्ती न सिर्फ बनी हुई है, बल्कि हालात और खराब हुए हैं। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में सकल घरेलू उत्पाद [जीडीपी] की यह वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही थी। मगर खराब मानसून से बिगड़ी खेती व महंगे कर्ज से ठप कारखानों ने आर्थिक विकास की दर को और नीचे ला दिया है। बीते वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में विकास दर 6.7 प्रतिशत रही थी।

पिछले वित्त वर्ष की चौथी तिमाही से अर्थव्यवस्था में सुस्ती का जो माहौल बना वह इस तिमाही में भी बरकरार रहा है। अर्थव्यवस्था के ताजा आंकड़ों ने सरकार के साथ साथ रिजर्व बैंक पर भी इसमें तेजी लाने संबंधी कदम उठाने का दबाव बना दिया है। रिजर्व बैंक अगले महीने 18 तारीख को अपनी मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा करेगा। वैसे, वित्तीय बाजारों पर आर्थिक विकास की धीमी रफ्तार का बहुत ज्यादा असर नहीं हुआ। उम्मीद से कम रहने के बावजूद बीएसई का सेंसेक्स 169 अंक चढ़ा।

दूसरी तिमाही में आर्थिक विकास की रफ्तार को धीमा करने में सबसे ज्यादा योगदान कृषि क्षेत्र का रहा है। इस अवधि में अनियमित मानसून ने खरीफ की पैदावार को प्रभावित किया है। इसके चलते खेती की वृद्धि दर 1.2 प्रतिशत पर ही सिमट गई है। पहली तिमाही में इसकी विकास दर 2.9 प्रतिशत रही थी। इसी तरह मैन्यूफैक्चरिंग क्षेत्र की रफ्तार में भी बहुत फर्क नहीं पड़ा है। महंगे ब्याज के चलते मांग में लगातार कमी हो रही है, जिसका असर औद्योगिक उत्पादन पर पड़ रहा है।

अर्थव्यवस्था में सुस्ती की गंभीरता का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि दूसरी तिमाही में वित्तीय सेवा क्षेत्र की रफ्तार भी बीती तिमाही के मुकाबले कम हो गई है। पिछली कुछ तिमाही से वित्तीय सेवा क्षेत्र की वृद्धि दर 10 प्रतिशत से ऊपर बनी हुई थी, मगर जुलाई-सितंबर की तिमाही में यह 9.4 प्रतिशत पर आ गई है।

आर्थिक विकास दर [प्रतिशत में]

क्षेत्र पहली तिमाही , दूसरी तिमाही

कृषि 2.9 , 1.2

खनन 0.1 , 1.9

मैन्यूफैक्चरिंग 0.2 , 0.8

बिजली, गैस, पानी , 6.3 , 3.4

कंस्ट्रक्शन 10.9 , 6.7

व्यापार, होटल,

परिवहन 4.0 , 5.5

वित्तीय सेवाएं 10.8 , 9.4

सामाजिक सेवाएं 7.9 , 7.5

कुल जीडीपी 5.5 , 5.3

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किसने क्या कहा

'जीडीपी की विकास दर हमारे अनुमानों से कम है। खराब मानसून ने खेती को बुरी तरह प्रभावित हुआ है।'

पी चिदंबरम, वित्त मंत्री

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'चालू वित्त वर्ष की विकास दर 5.5 प्रतिशत से 6 प्रतिशत के बीच रहने की संभावना है।'

सी रंगराजन, प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के चेयरमैन

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''यह उम्मीद से कुछ कम है। वित्त वर्ष की अगली छमाही में इसमें सुधार के आसार हैं। कह सकते हैं कि अर्थव्यवस्था में गिरावट अपने न्यूनतम स्तर पर है।''

मोंटेक सिंह अहलूवालिया, उपाध्यक्ष, योजना आयोग

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