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अब फिच ने घटाई भारत की रेटिंग

रेटिंग एजेसी फिच ने सोमवार को भारत की क्रेडिट रेटिंग को घटा दिया है। इससे पहले अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट रेटिग एजेसी स्टैडर्ड एड पूअर्स ने चेतावनी थी कि यदि भारत आर्थिक सुधार नही करता और अपनी आर्थिक विकास दर बेहतर नही करता तो वह पूंजी निवेश से सबधी इनवेस्टमेट ग्रेड रेटिग को गवा सकता है।

By Edited By: Published: Mon, 18 Jun 2012 05:16 PM (IST)Updated: Mon, 18 Jun 2012 08:24 PM (IST)
अब फिच ने घटाई भारत की रेटिंग

नई दिल्ली [जागरण ब्यूरो]। भारत की अंतरराष्ट्रीय आर्थिक साख को लेकर मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं। स्टैंडर्ड एंड पुअर्स के बाद ग्लोबल रेटिंग एजेंसी फिच ने भी देश की साख को लेकर अपना आकलन बदलते हुए चेतावनी जारी कर दी है। भारत की घटती ग्रोथ और सरकार की नीतिगत निष्क्रियता को आधार बनाते हुए एजेंसी ने सोमवार को साख इस आकलन को स्थिर [स्टेबल] से नकारात्मक [निगेटिव] कर दिया है। इसके बाद कंपनियों के लिए विदेश से कर्ज लेना और महंगा हो जाएगा।

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सोमवार को फिच का बयान आने से पहले ही शेयर और मुद्रा बाजार ढेर हो चुके थे। रिजर्व बैंक की मौद्रिक नीति उम्मीद पर खरी नहीं उतरी तो सेंसेक्स 244 अंक नीचे और रुपया डॉलर के मुकाबले 60 पैसे गिरकर बंद हुआ। फिच के एलान के मद्देनजर मंगलवार को बाजारों में और गिरावट के संकेत हैं।

एजेंसी ने इंडियन ऑयल, ओएनजीसी, एनटीपीसी, सेल, गेल सहित सात प्रमुख सरकारी कंपनियों [पीएसयू] की साख का आकलन नकारात्मक कर दिया है। इससे इन कंपनियों के लिए अंतरराष्ट्रीय कर्जो पर ब्याज दरें बढ़ेंगी ओर पुराना लोन भी महंगा हो जाएगा।

सरकार ने फिच के आउटलुक घटाने के निर्णय को खारिज कर दिया। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि रेटिंग एजेंसी ने आकलन के लिए अर्थव्यवस्था के पुराने आंकड़ों का इस्तेमाल किया है। वित्त मंत्रालय में प्रमुख आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु का मानना है कि अगर सरकार ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए तो अगले छह माह में हालात और मुश्किल हो सकते हैं।

फिच के निदेशक आर्ट वू ने सोमवार को एक बयान जारी कर कहा कि भारत की धीमी विकास दर, बढ़ता घाटा, चढ़ती महंगाई और फैसले लेने में राजनीतिक सुस्ती भारत की साख को लगातार कमजोर कर रही है। रेटिंग एजेंसी का मानना है कि 2014 में होने वाले आम चुनाव की वजह से सरकार के लिए राजनीतिक तौर पर कड़े आर्थिक फैसले लेना अब और मुश्किल होगा। यह अन्य विकासशील देशों की तुलना में भारत की वित्तीय हालत को और खराब करेगा। वैसे, फिच ने भारत की बीबीबी निगेटिव रेटिंग को फिलहाल बनाए रखा है।

रिजर्व बैंक की तरफ से ब्याज दरों में कोई बदलाव नहीं करने के एलान के बाद ही फिच ने अपना फैसला सुनाया। इससे पहले स्टैंडर्ड एंड पुअर्स ने भी भारत का आउटलुक घटाने का फैसला आम बजट और आरबीआइ की सालाना मौद्रिक नीति की घोषणा के बाद ही किया था।

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