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कंपनियों को दंडित करने के कड़े कदम पर हो रहा विचार

नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग [सीवीसी] ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार रोकने में तत्परता दिखाने में नाकाम रहने वाली कंपनियों को दंडित करने के कड़े प्रावधान पर विचार किया जा रहा है। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार ने यहां अमेरिकी और ब्रिटिश कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूके ब्राइबरी एक्ट और अमेरिक

By Edited By: Published: Wed, 22 Aug 2012 09:26 PM (IST)Updated: Wed, 22 Aug 2012 09:44 PM (IST)
कंपनियों को दंडित करने के कड़े कदम पर हो रहा विचार

नई दिल्ली। केंद्रीय सतर्कता आयोग [सीवीसी] ने बुधवार को कहा कि भ्रष्टाचार रोकने में तत्परता दिखाने में नाकाम रहने वाली कंपनियों को दंडित करने के कड़े प्रावधान पर विचार किया जा रहा है। केंद्रीय सतर्कता आयुक्त प्रदीप कुमार ने यहां अमेरिकी और ब्रिटिश कानूनों का उल्लेख करते हुए कहा कि यूके ब्राइबरी एक्ट और अमेरिका के फॉरेन करप्ट प्रैक्टिसेज एक्ट में ऐसी कंपनियों को दंडित करने के कड़े प्रावधान हैं। ऐसे ही प्रावधान भारत के 'प्रिवेंशन ऑफ ब्राइबरी ऑफ फॉरेन पब्लिक ऑफिसियल्स बिल' में किए जा रहे हैं।

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कुमार ने ईमानदारी को बढ़ावा देने में निजी क्षेत्र को संवेदनशीलता और सार्वजनिक खरीदारी में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की जरूरत का उल्लेख किया। साथ ही कहा कि सरकारी ठेका हासिल करने के लिए भ्रष्ट तरीके के इस्तेमाल से कंपनियों को हर हाल में बचना होगा। सीवीसी यहां सार्वजनिक खरीदारी में ईमानदारी विषय पर आयोजित दो दिवसीय कार्यशाला का उद्घाटन कर रहे थे। इसका आयोजन ट्रांस्परेंसी इंटरनेशनल ने किया था। उन्होंने कहा कि कंपनियों को भ्रष्टाचार निरोधक रणनीति अख्तियार करनी चाहिए।

मौजूदा सार्वजनिक खरीद के दिशा निर्देशों की समीक्षा के लिए जोरदार आवाज उठाते हुए कुमार ने कहा कि इसे आज के आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन के आलोक में देखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि भारत की सरकारी खरीद प्रक्रिया में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी के बगैर कोई सुधार पूरा नहीं हो सकता। निजी क्षेत्र भी इसमें बराबर के हिस्सेदार हैं। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में सरकारी खरीद में भ्रष्टाचार की संभावना रहती है। आयोग ने वर्ष 2010 में सरकारी खरीद नीति तय करने के लिए एक नोडल प्राधिकरण के गठन की सलाह दी थी। उन्होंने कहा कि विभिन्न एजेंसियां अक्सर बहुत तरह के नियम, दिशा-निर्देश और प्रक्रिया जारी करती हैं जिनसे भ्रम और अस्पष्टता पैदा होती है। जटिल, बदलने वाले और अस्पष्ट नियम न केवल भ्रष्टाचार का अवसर प्रदान करते हैं बल्कि अपने उल्लंघन की संभावना भी बढ़ा देते हैं।

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