केयर्न-वेदाता मामले पर सीबीआई जांच की मांग
केयर्न-वेदाता के 8.5 अरब डालर के सौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिका [पीआईएल] की सुनवाई से उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने शुक्रवार खुद को अलग कर लिया। याचिका में मांग की गई है कि मामले की जांच सीबीआई करे।
नई दिल्ली। केयर्न-वेदाता के 8.5 अरब डालर के सौदे को चुनौती देने वाली जनहित याचिका [पीआईएल] की सुनवाई से उच्चतम न्यायालय की एक पीठ ने शुक्रवार खुद को अलग कर लिया। याचिका में मांग की गई है कि मामले की जांच सीबीआई करे।
बिना कोई कारण बताए न्यायमूर्ति एच.एल दत्तू और न्यायमूर्ति सी.के प्रसाद की पीठ ने कहा कि वह इस मामले की सुनवाई नहीं करेगी और यह मामला किसी अन्य पीठ को भेजा जाएगा।
जनहित याचिका 27 फरवरी को दायर की गई थी। इसमें सौदे के विभिन्न पहलुओ का नियंत्रण एवं महालेखा परीक्षक [कैग] से ऑडिट कराने की भी माग की गई है। याचिका में कहा गया है कि अनिल अग्रवाल की वेदाता रिसोर्सेज द्वारा केयर्न इंडिया में नियंत्रक हिस्सेदारी का अधिग्रहण किया गया है, जबकि इस मामले में पहली पेशकश सार्वजनिक क्षेत्र की ओएनजीसी को की जानी चाहिए थी।
जनहित याचिका बेंगलुरु के अरुण कुमार अग्रवाल ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि ओएनजीसी का केयर्न समूह के साथ जो करार है उसमें यह प्रावधान है कि यदि केयर्न समूह केयर्न इंडिया में अपने शेयर बेचना चाहेगा, तो पहली पेशकश ओएनजीसी को की जाएगी। यदि ओएनजीसी हिस्सेदारी खरीदने से इनकार करती, तभी यह सौदा किसी और पक्ष के पास जा सकता था।
ओएनजीसी के पास पहले इंकार का अधिकार था। अग्रवाल ने ही सबसे पहले 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले में शिकायत की थी, जिसके बाद एफआईआर दर्ज की गई थी।
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