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UP Politics: बिहार का घटनाक्रम यूपी के राजनीति शास्त्र में गणित का नया अध्याय, सजा रहे नए-नए समीकरण

UP Political News बिहार में घटनाक्रम ने यूपी के राजनीति शास्त्र में गणित का नया अध्याय जोड़ दिया है। नए-नए समीकरण सजा रहे हैं जिसमें बुआ भतीजा दिल्ली वाली दीदी से लेकर पश्चिम वाले नए नेताजी के बीच प्लस का चिन्ह बनाने में किसी को संकोच नहीं लग रहा है।

By Umesh TiwariEdited By: Published: Wed, 17 Aug 2022 06:00 AM (IST)Updated: Wed, 17 Aug 2022 04:02 PM (IST)
UP Politics: बिहार का घटनाक्रम यूपी के राजनीति शास्त्र में गणित का नया अध्याय, सजा रहे नए-नए समीकरण
UP Political News : tarkash Column तरकश

UP Politics: तरकश : लखनऊ [अजय जायसवाल]। प्रत्यक्ष को प्रमाण की जरूरत भले न होती हो, लेकिन राजनीति में प्रत्यक्ष भी प्रश्नों में घिरा ही रहता है। यहां कई बार आईने झूठे और सिर्फ तस्वीरें ही सच्ची साबित होती हैं। यूपी वालों ने जब यहां दो सियासी बैरियों को वर्षों बाद गले मिलते देखा तो यह कैमिस्ट्री उन्हें समझ नहीं आ रही थी, लेकिन उसे परिणाम से निकलने वाले सूत्र से भरोसा था कि यहां भगवा रथ के पहिए जाम हो सकते हैं, लेकिन तेज आंधी में वह रसायन बहा तो बैरी फिर से बैरी हो गए।

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लोगों ने मान लिया कि अब ये कभी दोबारा दोस्त न बनेंगे, लेकिन पड़ोसी राज्य बिहार में घटनाक्रम ने यहां के राजनीति शास्त्र में गणित का नया अध्याय जोड़ दिया है। अब दिमागी घोड़े नए-नए समीकरण सजा रहे हैं, जिसमें बुआ, भतीजा, दिल्ली वाली दीदी से लेकर पश्चिम वाले नए नेताजी के बीच प्लस का चिन्ह बनाने में किसी को संकोच नहीं लग रहा है।

कुर्सी, बंगला और गाड़ी का जुगाड़ : प्रदेश में ऊर्जावान अफसरों की कमी नहीं है। ऊर्जा भी इस हद तक है कि कुछ सेवा से निवृत हो गए और कुछ होने वाले हैं, लेकिन उनका मन यह मानने के लिए तैयार ही नहीं हो पा रहा। इन अफसरों में जन सेवा का भाव कितना होगा, यह तो जनता ही बेहतर जानती होगी।

बहरहाल यह अफसर अपनी निष्ठा दिखाने में कतई पीछे नहीं हैं। प्रयास में जुटे हैं कि सेवा अवधि पूरी होने के बाद भी कुर्सी, बंगला और सरकारी गाड़ी का जुगाड़ हो जाए। लालच गाड़ी और बंगले का नहीं, खेल तो कुर्सी का है, जो कुछ वर्ष तक जलवा और बनाए रख सकती है।

इनकी मनोकामनाओं में ज्यादा बाधा इसलिए भी नहीं है, क्योंकि कई अफसर रिटायरमेंट की कतार में हैं और कई ऐसे पद भी खाली पड़े हैं, जहां रिटायर अफसरों को तैनाती दी जाती है। सेवा विस्तार न मिले तो ऐसी जुगाड़ वाली कुर्सी में जलवा कम नहीं हैं।

पब्लिक का क्या 'फाल्ट' : अफसरों के दावे हमेशा रहते हैं कि वह इतना अच्छा काम कर रहे हैं कि बिजली की आपूर्ति चौबीसों घंटे हो रही है, लेकिन आजादी के अमृत महोत्सव पर तमाम विभागों ने कुछ न कुछ खास करने या दिखाने का प्रयास किया तो यह विभाग कैसे पीछे रहता?

बड़े साहब ने फरमान जारी कर दिया कि स्वतंत्रता दिवस पर प्रदेशभर को चौबीस घंटे बिजली दी जाएगी। हो सकता है कि साहब ने मौसम विभाग की रिपोर्ट भी पढ़ ली हो कि बरसात होगी। सोचा होगा कि लोड कम होगा तो समस्या भी नहीं आएगी, लेकिन हो गया उल्टा।

आदेश जारी होते ही बिजली ने उन्हें ही झटके दे डाले। तमाम जिलों में जमकर कटौती हुई। अब जब तरकश से प्रश्नों के तीर निकलना शुरू हुए तो तुर्रा यह कि भरपूर बिजली की आपूर्ति की गई है, लोकल फाल्ट हुआ होगा। अरे साहब, इसमें पब्लिक का क्या फाल्ट? उसे ताे बिजली मिलनी चाहिए।

अपने लिए भी 'अमृत' की तलाश : राजनीति में चुनावी दौर भला कब खत्म होता है। एक निपटा नहीं कि दूसरे की तैयारी शुरू। इन दिनों उन कार्यकर्ताओं के चुनावी अरमान हिलोरें मार रहे हैं, जिन्हें नगर की सरकार में हिस्सेदार बनना है।

भगवा खेमे वालों की आस इसलिए भी ज्यादा है, क्योंकि इन चुनावों में उनकी पार्टी का परफार्मेंस अक्सर अच्छा ही रहता है। हालांकि, यह सोचकर बैठा नहीं जा सकता, इसलिए पसीना बहाना शुरू कर दिया है। अभी जब हर तरफ उत्साह और उमंग का अमृत बरस रहा था तो ऐसे नेताजी भी अपने लिए अमृत की तलाश में निकल पड़े।

सुबह से निकले नेताजी शाम तक झंडे बांटते रहे। प्रयास यही था कि इसी के बहाने ज्यादा से ज्यादा घरों तक पहुंच बनाई जाए। वहां झंडा साैंपते, हालचाल पूछते और कहीं जरूरत महसूस होती तो अमृत की आस में एक कप चाय की चुस्की भी मारने के बाद भी वहां से रवाना होते।


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