मुस्लेमीन, रामपुर। ये लगन है, मेहनत है और किसी काम को करने का जुनून। अमित वर्मा पेशे से इंजीनियर हैं। विदेश में कई नामचीन कंपनियों में नौकरी की। कोरानाकाल में घर लौटे तो मोटे अनाज को बढ़ावा देने की ठान ली। बच्चों का कुपोषण मिटाने के लिए मोटे अनाज की इंजीनियरिंग न केवल समझा रहे हैं, बल्कि किट भी बच्चों को उपलब्ध कराते हैं।
मोटा अनाज खाकर तीन से चार माह में बच्चे स्वस्थ हो रहे हैं। अब तक रामपुर में 2200 बच्चों को कुपोषण से बाहर निकाल चुके हैं। ये अमित की मेहनत ही है कि उन्हें नीति आयोग ने अपनी पुस्तक में देश के 100 नामचीन लोगों में शामिल किया है। 4500 किसानों का कृषक उत्पादन संगठन (एफपीओ) बनाकर वह गांव-गांव किसानों को मोटा अनाज उगाने के लिए प्रेरित कर रहे हैं।
रामपुर के ज्वालानगर निवासी अमित ने आठ साल तक आस्ट्रेलिया, सिंगापुर और जर्मनी में कई कंपनियों में नौकरी की। वर्ष 2020 में कोरोना काल में वह घर लौटे तो खेती में रमने का मन बना लिया। कृषि विभाग के अधिकारियों से परामर्श किया। किताबों से मोटे अनाज की विशेषता को समझा। रामपुर के तत्कालीन जिलाधिकारी (अब मुरादाबाद कमिश्नर) आन्जनेय कुमार सिंह ने उन्हें एफपीओ बनाने की सलाह दी।
गांव-गांव संपर्क कर किसानों को संगठन से जोड़ा। उन्हें मोटे अनाज के बारे में समझाया। इसके लिए कुछ बुजुर्ग किसानों का भी साथ मिला। एफपीओ में किसानों की संख्या 4500 तक पहुंच चुकी है। ज्वार, बाजरा मक्का के साथ काला गेहूं, मोरिंगा, पीली सरसों, अलसी, तिल की खेती के साथ ही मौन पालन को लेकर जागरूक किया। खुद भी इनकी पैदावार कर रहे हैं।
100 करोड़ का फूड पार्क, मोटे अनाज को देंगे बढ़ावा
अमित ने प्रदेश सरकार की इन्वेस्टर्स समिट के लिए 100 करोड़ रुपये की लागत से बिलासपुर के कुआं खेड़ा गांव में फूड पार्क बनाने की तैयारी की है। इसके लिए अनुबंध भी हो चुका है। पार्क में भी वह मोटे अनाज को बढ़ावा देंगे। अमित का कहना है कि विदेश में रहकर उन्हें अपने देश की याद सताती रही। कोरोना काल में आए तो पता चला कि मोटा अनाज कम लागत में पैदा होता है। सेहत के लिए यह लाभदायक है। घर में कृषि भूमि काफी थी, लिहाजा खेती शुरू कर दी। वह दो साल से इसे बढ़ावा देने के लिए काम कर रहे हैं। केंद्र व प्रदेश सरकार इसे बढ़ावा देकर सराहनीय कार्य कर रही है।
कुपोषित बच्चों के लिए रामबाण अमित की किट
अमित बताते हैं कि गांव-गांव जाने पर उन्होंने कुपोषित बच्चों को देखा। इनका हाल देखकर मन में उपचार कराने का विचार आया। जिलाधिकारी के साथ ही डाक्टरों से भी विचार-विमर्श किया। लिहाजा किट बनाने की तैयारी की। किट में मोटे अनाज का ज्यादा इस्तेमाल किया गया है। जिले के 2200 बच्चे कुपोषण से बाहर आ चुके हैं। एक माह की किट की कीमत 900 रुपये है। इसका भुगतान संबंधित ग्राम पंचायतों द्वारा 15वें वित्त आयोग की धनराशि से किया जा रहा है।
ये है किट
आहार नाम की इस किट में सात वस्तुएं हैं। किट में सुपर फूड्स सप्लीमेंट पाउडर (अलसी, काजू, बादाम, तरबूज की मींग और गोंद से मिलकर बनता है। 10 ग्राम रोज पानी या दूध में मिलाकर दिया जाता है), मुरिंगा मिक्स दलिया (10 ग्राम रोज), आर्गेनिक शहद (रोज पांच ग्राम), बिस्कुट (ज्वार, बाजरा, जौ एवं शहद मिलाकर तैयार किया जाता है), आंवला, त्रिफला और एलोविरा का जूस (पांच से 10 एमएल रोज), आंवला के आर्गेनिक गुड़ के लड्डू (रोज एक), मशरूम और मक्का का सूप (रोज 10 ग्राम)।
अमित वर्मा का मोटे अनाज को बढ़ावा देने का काम सराहनीय है। कई गांवों में किसान मोटे अनाज की पैदावार कर रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इन्हें सम्मानित कर चुके हैं। रामपुर में कुपोषित बच्चों के स्वस्थ होने पर मंडल के अन्य जिले संभल, अमरोहा, मुरादाबाद और बिजनौर में भी आहार किट से उपचार शुरू कराया है। आहार किट से उपचार की विधि बहुत ही कारगर साबित हुई है। इन जिलों में भी सकारात्मक परिणाम है। -आन्जनेय कुमार सिंह, मंडलायुक्त, मुरादाबाद