Gold in Aligarh Masjid: अलीगढ़ की जामा मस्जिद विश्व में क्यों है प्रसिद्ध, क्या है खास, पढ़ें विस्तृत खबर
मस्जिद की गुंबदों व मीनारों पर इतना सोना जड़ा है जितना एशिया की किसी दूसरी मस्जिद में नहीं। यह मस्जिद शानदार नक्काशी व वास्तुकला का अनूठा नमूना भी है जो आगरा के ताजमहल की याद दिला देती है। कई पीढ़ी से अकीदतमंद यहां नमाज अदा कर रहे हैं।
अलीगढ़, जेएनएन। ऐतिहासिक धरोहर की सूची में मुगलकालीन जामा मस्जिद भी शामिल है। वैसे तो देश में तमाम मस्जिद अपने भव्य इबादतगाहों के लिए प्रसिद्ध हैं, मगर जामा मस्जिद कुछ खास है। यह मस्जिद भव्य इबादतगाह के अलावा सबसे ज्यादा सोना जड़ी हुई मस्जिद के रूप में भारत ही नहीं, पूरे विश्व में विख्यात है।
पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ पढ़ते हैं नमाज
Gold in Aligarh Masjid मस्जिद की गुंबदों व मीनारों पर इतना Gold जड़ा है, जितना एशिया की किसी दूसरी मस्जिद में नहीं। यह मस्जिद शानदार नक्काशी व वास्तुकला का अनूठा नमूना भी है, जो आगरा के ताजमहल की याद दिला देती है। कई पीढ़ी से अकीदतमंद यहां नमाज अदा कर रहे हैं। मस्जिद कमेटी के अनुसार यहां पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं। महिलाओं के लिए अलग से नमाज अदा करने की व्यवस्था है। मस्जिद के अंदर 73 उलेमा बलिदानियों की कब्रें आज भी संरक्षित हैं। पुरातत्व विभाग द्वारा मस्जिद का सर्वेक्षण किया जा चुका है।
Gold in Aligarh मस्जिद के चारों ओर मीनर
ऊपरकोट जामा मस्जिद का निर्माण मुगल शासक मुहम्मद शाह (1719-1728) के समय कोल के नवाब साबित खान ने 1724 में शुरू कराया था। मस्जिद लगभग 12 साल में बनकर तैयार हुई थी। सबसे लंबी मीनार 22 फीट की है। मस्जिद के अंदर फ्रंट हिस्सा करीब 125 फीट चौड़ा है, लंबाई 150 फीट है। इसमें कुल 17 गुंबद हैं। मुख्य गुंबद की गोलाई 119 फीट और इसके दोनों तरफ बने छोटे गुंबद की गोलाई 93 फीट है। मस्जिद के चारों तरफ बनी चार मीनारों में हर एक की गोलाई 33 फीट है।
मीनारों में मढ़ा है सोना
मस्जिद की पहली मंजिल पर 40 और दूसरी मंजिल पर सीढ़ियों की संख्या 19 है। मस्जिद के तीन गेट हैं। करीब आठ से 10 फीट लंबी तीन मीनारें मुख्य गुंबद पर लगी हुई हैं। तीनों गुंबद के बराबर में बने एक-एक गुंबद पर छोटी -छोटी तीन मीनारें हैं। मस्जिद के गेट और चारों कोनों पर भी छोटी-छोटी मीनारें हैं। सभी गुंबदों और मीनारों में शुद्ध सोना मढ़ा हुआ हुआ है। गुंबदों में ही कई कुंतल सोना है। यहां कुल कितना सोना लगा है, इसका किसी को अंदाजा नहीं। ऐसे में मस्जिद कमेटी इसका संरक्षण पुरातत्व विभाग के हवाले करना चाहती है।
वास्तुकला का अनूठा संगम
यह मुगलकाल में बनी आखिरी मस्जिद है। वास्तु कला भी बेजोड़ है। जामा मस्जिद अवधी व मुगलकालीन वास्तु कला का अनूठा संगम है। गुंबद की बनावट इस तरह की गई है कि उस पर चढ़ना मुश्किल है। इन पर शीप और खास तरह के रंगीन पत्थरों का लेप किया गया है, जो इंसान को चढ़ने में विचलित करते हैं। ताजमहल और मस्जिद की कारीगरी में बहुत कुछ समानताएं हैं। यह मस्जिद बिना कंक्रीट और सरिया की मदद से बनी है। छत पर भी सोने के पानी से बेजोड़ कलाकृतियां उभारी गई हैं।
73 शहीदों की कब्र
देश की शायद यह पहली मस्जिद है, जहां शहीदों की कब्रें भी हैं। कब्र वाले स्थान को गंज-एशहीदा न (शहीदों की बस्ती) कहते हैं। 1857 के गदर में अंग्रेजों से लोहा लेते हुए 73 उलेमा शहीद हुए थे, जिनकी कब्रें मस्जिद में हैं।परीक्षण में मिला पक्का सोना
कुछ साल पहले मस्जिद की सबसे छोटी मीनार की मरम्मत कराई गई। तब उसमें लगे सोने की शुद्धता की दो अलग-अलग पारखियों से जांच कराई गई, जिन्होंने इसमें आला किस्म का पक्का सोना बताया। बताया जाता है कि कुछ साल पहले एक मीनार में लगे सोने को चोरी करने का प्रयास भी हुआ था। हालांकि, शहर मुफ्ती का कहना है कि इसकी कभी पुष्टि नहीं हो पाई।
KBC में Amitabh Bachchan ने पूछा सवाल
टीवी सीरियल ‘कौन बनेगा करोड़पति’ के एपिसोड में सिने अभिनेता अमिताभ बच्चन ने सवाल पूछा था कि एशिया में कौन सी ऐसी मस्जिद है, जिसमें सबसे अधिक सोना लगा हुआ है। इसका जवाब बताया गया, अलीगढ़ की जामा मस्जिद। इसके बाद देशभर में इसकी चर्चा हुई।
जामा मस्जिद से ज्यादा सोना एशिया की किसी मस्जिद में नहीं। कितना सोना है? यह कहना मुश्किल है। पांच हजार से ज्यादा लोग एक साथ बैठकर नमाज अदा कर सकते हैं। महिलाओं के लिए भी व्यवस्था है। मस्जिद में कई पीढ़ियां नमाज अदा कर चुकी हैं।
खालिद हमीद, शहर मुफ्ती