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प्राकृतिक चिकित्सक थे गाधी जी

राष्ट्रपिता महात्मा गाधी प्राकृतिक चिकित्सा व योग पर गहरा विश्वास करते थे। यही नहीं, वह स्वय और परिवार के सदस्यों पर भी प्राकृतिक चिकित्सा के नुस्खों को अपनाया करते थे। प्

By Edited By: Published: Tue, 02 Oct 2012 04:06 PM (IST)Updated: Tue, 02 Oct 2012 04:06 PM (IST)
प्राकृतिक चिकित्सक थे गाधी जी

राष्ट्रपिता महात्मा गाधी प्राकृतिक चिकित्सा व योग पर गहरा विश्वास करते थे। यही नहीं, वह स्वय और परिवार के सदस्यों पर भी प्राकृतिक चिकित्सा के नुस्खों को अपनाया करते थे। परिवार के अलावा वह प्रख्यात उद्योगपति घनश्याम दास बिड़ला के भी प्राकृतिक चिकित्सक थे। योग व प्राकृतिक चिकित्सक डॉ, ओमप्रकाश आनद के अनुसार घनश्याम दास बिड़ला महात्मा गाधी को एक सफल व महान प्राकृतिक चिकित्सक मानते थे। बिड़लाजी के अनुसार उन्हें बार-बार जुकाम हो जाया करता था और उनका हाजमा भी खराब रहता था। गाधी जी ने उन्हें आहार के सदर्भ में हमेशा ही निर्देश दिए और उन्हें स्वस्थ होने में पूरी सहायता की। यही नहीं, गाधीजी के सपर्क में आने पर जिस किसी शख्स ने उनसे अपनी स्वास्थ्य समस्या बतायी, तब उन्होंने उस व्यक्ति को प्राकृतिक चिकित्सा सबधी परामर्श अवश्य दिया।

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प्रथम परिचय

महात्मा गाधी जब अफ्रीका में थे, तब वह कब्ज से बहुत पीड़ित थे। कब्ज दूर करने के लिए उन्हें कोई न कोई चूर्ण या दवा लेनी पड़ती थी। जब वह कब्ज और इसे दूर करने वाली दवाएं खाकर तग आ चुके, तब उन्होंने अफ्रीका में ही एक अंग्रेज मित्र से सलाह ली। उसने उन्हें प्राकृतिक चिकित्सा के जनक लुई कूने की पुस्तक 'दि न्यू साइंस ऑफ हीलिग' और जुस्ट की पुस्तक 'रिटर्न टू नेचर' को पढ़ने का परामर्श दिया। इन दोनों पुस्तकों का अध्ययन कर गाधी जी स्वास्थ्य सबधी प्राकृतिक दलीलों से बहुत प्रभावित हुए। उन्होंने पुस्तक में वर्णित प्राकृतिक चिकित्सा की विधिया-ठंडा घर्षण, कटि स्नान, मेहन स्नान और पेड़ू पर मिट्टी की पट्टी आदि के छोटे-छोटे प्रयोग स्वय पर करने शुरू किये। कालातर में गाधीजी प्राकृतिक चिकित्सा के जानकार बन गए और उन्होंने इस चिकित्सा के प्रचार-प्रसार के महत्व पर जोर दिया। यही कारण कि 2 अक्टूबर को महात्मा गाधी की जयती के दिन प्राकृतिक चिकित्सा दिवस भी मनाया जाता है।

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