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वीरू पाजी के धरम-गरम शोले

लकड़ी की कुर्सी-मेज,रोटी और बोटी,बिंदास खाने का स्टाइल,बड़े से कांच के गिलास में पानी,साथ में बड़े से स्टील के गिलास में लस्सी और पीछे अभिनेता धर्मेंद्र की फिल्मों के पुराने गाने शाने

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sat, 09 Jul 2016 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 09 Jul 2016 10:52 AM (IST)
वीरू पाजी के धरम-गरम शोले

इन ढाबों का अंदाज एकदम फिल्मी है। अभिनेता धर्मेंद्र की फिल्मों के गाने और डायलॉग, वहां पहुंचते ही आपकी भूख को और बढ़ा देंगे। अकसर कहा भी जाता है कि अगर जगह शानदार हो तो भूख दो गुनाबढ़ जाती है।
शोले में लिपटे लजीज जायके...

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कनॉट प्लेस, आउटर सर्कल का एम ब्लॉक। दिल्ली फायर स्टेशन के ठीक सामने सड़क पार करते ही कनॉट प्लेस के बाहरी सर्कल में अभिनेता धर्मेंद्र की तस्वीर नजर आ जाएगी। यही है गरम-धरम ढाबा। ट्रकों के शीशे पर लगे रंग-बिरंगे बल्ब,मैन्यू लिए पीले पोशाक में कर्मचारी और गेट पर रखा एक बायोस्कोप। बायोस्कोप देखकर एक पल के लिए लोग अपने बचपन में खो जाएंगे जब गलियों में धर्मेंद्र और रीना रॉय के गाने के लिए लोग बायोस्कोप लिए घूमा करते थे। गेट का यह नजारा तो मात्र ट्रेलर है। फिल्म तो गेट खोलने पर शुरू होती है।

दीवारों पर धर्मेंद्र की फ्रेम की गईं तस्वीरें लकड़ी और पुराने ठेके के लुक में दिया गया इंटीरियर, बाल्टियों और लालटेन की रोशनी के बीच बक्सेनुमा टेबल और ढाबे में रखीं कुर्सियां। कुर्सी पर बैठते ही हर नजर रेस्त्रां के इंटिरियर को ही ताकती रह जाएगी। सबसे पहले शोले फिल्म में जय और वीरू की जोड़ी को घुमाने के लिए इस्तेमाल की गई बुलेट और धरम पाजी का बड़ा सा पोस्टर, जिसके सामने लोग सेल्फी खिचवातें नजर आ जाएंगे। ढाबा है तो हाइवे और वहां सरपट दौड़ते ट्रक जैसा एहसास होना भी लाजमी है। रंग-बिरंगी कांच की बोतलों की चमक लिए नजर ठेके पर भी ठहरती है। यहां लोग मॉकटेल और कॉकटेल का लुत्फ ठेके वाली स्टाइल में लेते हैं। मॉकटेल ड्रिंक अजीबो गरीब जुमले लिखी बोतलों में सर्व की जाती है। ढाबे के कर्मचारी की शर्ट के पीछे कुछ लोकप्रिय जुमले लिखे गए हैं जो जिंदगी के फलसफे को बखूबी बयां करते हैं। रेस्त्रां के अंदर धर्मेंद्र की फिल्में चरस, चुपके चुपके, राजपूत, अपने जैसी कई फिल्मों के नाम और उनके मशहूर डायलॉग से दीवारें सजी हैं। मैन्यू के पहले पेज पर धर्मेंद्र की फिल्में और उनकी पसंद के डायलॉग का एहसास कराते हैं। मैं बलवान फैमिली मान (फैमली नान), फूल और पत्थर के कबाब (कबाब), अमृतसरी पिंडी शोले (छोले), जैसे कई जायके हैं जो धरम पाजी के भी फेवरेट हैं।

यहां के मैनेजर रोहित भारद्वाज ने बताया कि इन सब जायकों की सबसे खास बात यह है कि इनकी रेसिपी खुद धर्मेंद्र ने बताई है। पन्ना पलटने के बाद कई शाकाहारी और मांसाहारी लजीज पकवान की सूची पर नजर दौड़ जाती है। इस बीच रोहित बताते हैं कि यहां सारा खाना देसी घी में तैयार किया जाता है। दीवार पर यह डायलॉग भी देखा जा सकता है कि इस स्टोरी में इमोशन है, ड्रामा है, ट्रैजडी है। मेज पर पहले से ही स्टील की थाली और ढाबे वाले कांच के गिलास रखे गए हैं। खाना परोसने का अंदाज भी अलग है। खाने को परोसने के लिए बाल्टी और दूसरे तरह की मेस्टिन का इस्तेमाल किया जाता है। बाल्टी मीट यहां के विशेष व्यंजनों में से एक है। यहां के मैनेजर बताते हैं कि इस ढाबे में खाने के लिए लोग घंटों कतारों में इंतजार करते हैं। खासकर शनिवार और रविवार को। धरम पाजी के फैन यहां उनकी जिंदादली को महसूस करते हैं, इसलिए उन्हें यह इंतजार भी अच्छा लगता है।
फिल्मी दुनिया की भी पसंद

मैनेजर रोहित बताते हैं कि दिल्ली वालों के साथ यहां सेलिब्रिटी भी खूब चाव से वीरू पाजी के पसंदीदा जायकों का लुत्फ उठाते हैं। यहां गायक मीका, अभिनेता चंकी पांडे, शत्रुघ्न सिन्हा की पत्नी पूनम सिन्हा, रती अग्निहोत्री और अन्य टीवी कलाकार जायकों का लुत्फ लेने आते हैं।
वीरू की घुट्टी का एक घूंट मार लो

गरम धरम का ठेका भी प्यारे मोहन यानी धरम पाजी के रंगों में रंगा है। वीरू की घुट्टी, चुलबुली, प्यारे मोहन, मस्त आइटम, पान गुलाबों नाम के क्वाटर छोटी बोतलों में ड्रिंक डालकर दिया जाता है। मॉकलेट और कॉकटेल को ठेके के साथी कुछ स्टार्टटर के साथ सर्व करते हैं। फिल्मी स्टाइल का पूरा फील लेने के लिए धरम पाजी का कोई भी गाना भी प्ले कर सकते हैं।
खालिस पंजाबी जायके

राजौरी गार्डन स्थित गरम धरम ढाबा में फिल्म शोले की टंकी आपका स्वागत करेगी। यहां शोले की वो टंकी बनाई गई है जिस पर चढ़कर धरम पाजी मौसी से बसंती का हाथ मांगते हैं। अंदर प्रवेश करते ही जय वीरू की सवारी और शोले के दिनों की तस्वीरों में कैद धरम पाजी। ढाबे में कहीं ढफली है, तो कहीं ट्रक का हॉर्न, तो पुराने जमाने के टेलीफोन को नए जमाने के मोबाइल कैद करते नजर आते हैं। धरम पाजी का डायलॉग, इतिहास कोई अकेला नहीं रच सकता, इसे रचने के लिए अपनों की जरूरत होती है... यह बात यहां के लोगों पर सटीक बैठती है। ढाबे के मैनेजर अजीत चौधरी बताते हैं कि यहां लोग पूरे परिवार के साथ पंजाबी लजीज खाने का आनंद लेते हैं। यहां खाने की मेज पर सारा परिवार जमा होता है और पलों को यादगार बनाता है। धरम पाजी की फिल्म अपने जैसा ही सीन यहां अकसर देखने को मिलता है। मैन्यू तकरीबन कनॉट प्लेस जैसा ही है लेकिन राजौरी गार्डन ढाबे में लोगों की पसंद दही कोफ्ते और बाल्टी मीट है। यह यहां का विशेष जायका है। सर्दियों में यहां मक्के की रोटी और सरसों का साग खाने लोग दूर दूर से आते हैं क्योंकि यहां खालिस पंजाबी स्वाद लोगों को मिलता है। तीन महीने पहले खुले इस रेस्त्रां में धरम पाजी का बड़ा सा पोस्टर लगाया जाना है, जिसकी तैयारी की जा रही है। अजीत बताते हैं कि जब लोगों का खाना परोसा जाता है तब तक लोग सेल्फी और ढाबे का इंटीरियर देख लेते हैं। कई सवाल भी पूछते हैं । जैसे धरम पाजी कब यहां आते हैं? उनके मैसेज धरम पाजी के पास पहुंचाए भी जाते हैं या नहीं?

गाने से निकला रेस्त्रा

गरम धरम ढाबा ओनर मिकी मेहता कहते है कि करीब दो साल पहले दिल्ली में एक ढाबा खोलने की प्लानिंग चल रही थी, लेकिन नाम और कॉन्सेप्ट को अंतिम रूप देने में वक्त लग रहा था। इसी बीच एक सफर के दौरान अभिनेता धर्मेंद्र का गाना ‘मैं हूं गरम धरम सुना’। गाने के साथ धरम पाजी की याद आ गई। बस फिर क्या था, आइडिया क्लिक हुआ कि क्यों न ढाबे के साथ धरम जी को जोड़ा जाए। क्योंकि गाने की तरह ही धरम पाजी भी हॉट हैं और पंजाबी जायके उनकी कमजोरी। इस कॉन्सेप्ट को लेकर उनके पास गए। यह विचार उन्हें पसंद भी आया। बस फिर क्या था, इस सफर की शुरुआत हुई।

पिछले साल ही धरम जी के हाथों इसका उद्घाटन किया गया। धर्मेंद्र जी की फिल्में और उनके गानों के साथ उनके जायके का लुत्फ लोगों को मिलता है। शायद इसी कारण शाम ढलते ही रेस्त्रां के बाहर लोगों की कतार लग जाती है। लोगों को एक घंटे तक बाहर इंतजार करना पड़ता है। ढाबे के रंग जिंदगी के सभी रंगों से लबरेज दिखाई देते हैं। ढाबे स्टाइल में ही खाना परोसा जाता है। दीवारों पर धरम जी की फिल्में, गाने, उनके पोस्टर और कई अनदेखी तस्वीरें लगाई गई हैं। अंदर गाने भी उन्हीं की फिल्मों के बजाए जाते हैं। इन दोनों रेस्त्रां की कामयाबी के बाद अब पंजाब के मुरथल, चंडीगढ़ और मुंबई में भी ढाबों की शुरुआत की जाएगी।

प्रस्तुति : विजयालक्ष्मी

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