नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। Investment और Savings एक दूसरे पर्याय होते हैं। दरअसल, ये बिल्कुल अलग होते है। सेविंग की आदत अच्छी होती है। लेकिन, इन्वेस्टमेंट नहीं हो तो सेविंग किस काम की। पैसा का ज्यादा मुनाफा लेने के लिए इन्वेस्टमेंट जरूरी होता है। बता दें कि ये केवल आपकी जरूरत पड़ने पर मदद नहीं करता, बल्कि आपके भविष्य की पूरी प्लानिंग भी तय करता है। ये तब तक हो सकता है जब आपको अपने लक्ष्य मालुम होना चाहिए और इन्वेस्टमेंट की शुरुआत करने में जरा भी देरी हो। ये समझना जरूरी है कि आपकी सैविंग से ही इन्वेस्टमेंट का रास्ता बनेगा।
जानकारों के मुताबिक, अक्सर पैसा पास होता है, लेकिन ये नहीं पता होता कि इन्वेस्टमेंट की शुरुआत या किसमें इन्वेस्टमेंट करना चाहिए। लेकिन इसका जवाब आपकी प्लानिंग में ही छुपा है। घर या गाड़ी खरीदने जैसे टारगेट हों या शादी और बच्चों की पढ़ाई, सबसे पहले आपको अपने लक्ष्य के लिए रकम तय करनी होगी। इसके बाद तय करना होगा कि आपको कितना वक्त में ये टारगेट पूरा करना हैं। वहीं लॉग टर्म के लिए इन्वेस्टमेंट करना चाहते हैं तो इक्विटी आधारित इन्वेस्टमेंट बेहतर विकल्प हो सकता है। शॉर्ट टर्म वाले के लिए Debt Funds या Liquid Funds बेहतर साबित हो सकता हैं। साथ ही इन्वेस्टमेंट करने से पहले सेविग करना जरूरी है, लेकिन इससे पहले किसी आपात स्थिति के लिए हमेशा Emergency Fund होना जरूरी है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, कम से कम 6 महीने के खर्च के बराबर की रकम को Bank-up fund के तौर पर जमा करना चाहिए। साथ ही सेविग और इन्वेस्टमेंट एक ही सिक्के के दो पहलू होते हैं- एक दूसरे से अलग लेकिन एक दूसरे के बिना अधूरे हैं। इसके अलावा सेविग और इन्वेस्टमेंट कितनी होनी चाहिए? ये इससे तय होगा कि आपको टारगेट को हासिल करने के लिए कितना रकम चाहिए। रकम में महंगाई को भी जरूर जोड़कर साथ चलें। आप जो भी रकम जमा करना चाहते हैं उसमें महंगाई के असर का ध्यान रखना जरूरी है।
लेखक- सुमित रजक