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क्या है म्‍यूचुअल फंड की दमदार Equity Linked Saving Scheme, शानदार रिटर्न के साथ मिलेगी टैक्स पर छूट

अगर आप म्‍यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम की तलाश कर रहे हैं जिसमें बेहतर रिटर्न के साथ- साथ अगर आपको टैक्स छूट का भी फायदा मिले तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स (Equity Linked Saving Scheme यानी ELSS में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।

By Siddharth PriyadarshiEdited By: Published: Thu, 01 Dec 2022 12:35 PM (IST)Updated: Thu, 01 Dec 2022 12:35 PM (IST)
क्या है म्‍यूचुअल फंड की दमदार Equity Linked Saving Scheme, शानदार रिटर्न के साथ मिलेगी टैक्स पर छूट
Mutual Fund SIP Stock Market Investments Equity Linked Saving Scheme

नई दिल्ली, बिजनेस डेस्क। अगर आप स्टॉक मार्केट में सीधे इन्वेस्टमेंट के अलावा अगर म्‍यूचुअल फंड के माध्यम से इन्वेस्टमेंट करते हैं तो मार्केट का रिस्क कम रहता है और बेहतर रिटर्न मिलने की संभावना काफी ज्यादा हो जाता है। यही वजह है कि पिछले कुछ समय से या आज के दौर में म्‍यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा हैं। हालांकि, म्यूचुअल फंड में इन्वेस्टमेंट पर मिलने वाला रिटर्न टैक्स के दायरे में आता है। टैक्‍स की जिम्मेदारी इस बात पर निर्भर करती है कि आपने किस स्कीम में इन्वेस्टमेंट किया है और कितने समय के बाद स्कीम से पैसा निकाला है। लेकिन अगर आप म्‍यूचुअल फंड की ऐसी स्कीम की तलाश कर रहे हैं, जिसमें बेहतर रिटर्न के साथ- साथ अगर आपको टैक्स छूट का भी फायदा मिले, तो आप इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स (Equity Linked Saving Scheme यानी ELSS में इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। इस स्कीम को अधिकतर लोग टैक्स सेविंग म्यूचुअल फंड स्कीम यानी ELSS भी कहते है। बता दें कि,  इस स्‍कीम में इनकम टैक्स लॉ के सेक्शन 80C के मुताबिक 1.5 लाख रुपए तक का डिडक्शन क्लेम भी किया जा सकता है।

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बता दें कि, ELSS का लॉक इन पीरियड काफी कम समय का होता है। जबकि आमतौर पर बीमा, NSE, टैक्स सेविंग एफडी, पीपीएफ, ईपीएफ जैसी स्‍कीम्‍स में लॉक इन पीरियड पांच साल का होता है, लेकिन  ELSS में सिर्फ तीन साल का होता है, यानी कि तीन साल के बाद आप अपना पैसा स्‍कीम से बाहर निकाल सकते हैं या रिडीम  भी करा सकते हैं। इसके अलावा इसका एक फायदा ये भी होता हैं कि अगर आप इसमें जब चाहें तो अपना पैसा lump sum डिपॉजिट कर दें या फिर SIP के माध्यम से भी इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं। वहीं, SIP के माध्यम से आप एक तय रकम, तय इंटरवल पर इसमें इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं।

नहीं होता है मैच्‍योरिटी टाइम

इक्विटी लिंक्ड सेविंग स्‍कीम्‍स में तीन साल का लॉक इन पीरियड होता है, यानी कि आपको इसमें तीन साल तक इसमें से पैसा नहीं निकाल सकते हैं, लेकिन इसका कोई मैच्‍योरिटी टाइम नहीं होता है। यानी की तीन साल के बाद आप इसका पैसा निकाल सकते हैं या फिर इस स्‍कीम में अपने इन्वेस्टमेंट को जारी रख सकते हैं। साथ ही, आपको ELSS में अपने पसंदीदा स्कीम चुनने का भी मौका मिलता हैं। ऐसे भी कई स्कीम होते हैं जिसमें 100 से भी मंथली इन्वेस्टमेंट के साथ आप SIP की शुरुआत कर सकते हैं। ELSS में आपको अपनी पसंद की स्कीम चुनने का मौका मिलता है. कई स्‍कीम्‍स ऐसी भी हैं, जिनमें 100 रुपए से भी मासिक निवेश के साथ SIP की शुरुआत की जा सकती है। यानी आप अपने बजट और सुविधा के हिसाब से स्‍कीम चुन सकते है। ELSS में आपको अपनी पसंद की स्कीम चुनने का मौका मिलता है। ऐसी भी कई स्‍कीम्‍स हैं, जिनमें 100 रुपए से भी मंथली इन्वेस्टमेंट के साथ SIP की शुरुआत की जा सकती है। 

बता दें कि ELSS स्‍कीम्‍स से 3 साल बाद बाहर निकलने पर टैक्स की सेविंग होती है। लेकिन, ये पूरी तरह नहीं है। वहीं, ELSS पर 1 लाख रुपए तक लॉन्‍ग-टर्म कैपिटल गेन्स टैक्स फ्री रहता है। इससे ज्यादा के लॉन्‍ग टर्म कैपिटल गेन्स पर 10 % की दर से टैक्स लगता है। इसके अलावा सेस और सरचार्ज देना भी होता है। साथ ही, इसमें इन्वेस्टर को मिलने वाला डिविडेंड टैक्स-फ्री रहता है। 

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