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सहयोग से समाधान: ग्राहकों से सुना, समझा और उसे लागू किया तो दौड़ पड़े तरक्की के पहिए!

कारोबारी सफलता के लिए निरंतर सकारात्मक बदलाव ग्राहकों के हितों और विश्वास को प्राथमिकता देना सबसे अहम होता है। स्वाति होंडा के निपुण जैन कहते हैं कि हमने शोरूम खोलने के पहले दिन से ही इस बात को कर्मसूत्र माना कि ग्राहक का उन्नयन ही हमारी प्रगति का मापदंड है।

By Manish MishraEdited By: Published: Thu, 15 Oct 2020 12:41 AM (IST)Updated: Thu, 15 Oct 2020 12:41 AM (IST)
सहयोग से समाधान: ग्राहकों से सुना, समझा और उसे लागू किया तो दौड़ पड़े तरक्की के पहिए!
Know How Swati Honda of Saharanpur Sustained And Grow Business During Coronavirus With The Help Of Customer Confidence

सहारनपुर, जेएनएम। कारोबार में सफलता के लिए निरंतर सकारात्मक बदलाव, ग्राहकों के हितों और विश्वास को प्राथमिकता देना सबसे अहम होता है। स्वाति होंडा के निपुण जैन कहते हैं कि हमने शोरूम खोलने के पहले दिन से ही इस बात को कर्मसूत्र माना कि ग्राहक का उन्नयन ही हमारी प्रगति का मापदंड है। लॉकडाउन में ग्राहक केंद्रित कामों ने कारोबार-कस्टमर के बीच के भरोसे को और मजबूत बनाया, जिससे संकट में भी निपुण जैन की गाड़ी चलती रही। निपुण के मुताबिक लॉकडाउन के दौर में दूसरे कारोबारों की तरह ही उनके लिए स्थितियां आसान नहीं थीं। कारोबार पूर्णतया बंद था पर इस दौर में चीजों को दीर्घकालिक स्तर पर सोचा गया और ग्राहकों के लाभ को महत्ता दी। इसका असर लॉकडाउन के बाद कारोबार में प्रगति के तौर पर दिखा। 

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45 साल का सार्थक और सफल सफर 

निपुण कहते हैं कि 1975 में उनके पिता ने सहारनपुर की पहली दोपहिया डीलरशिप शुरू की थी। तब हमने स्कूटर इंडिया लिमिटेड की डीलरशिप ली थी। 1986 में हम मारुति के अधिकृत सर्विस केंद्र थे। 2003 में हमने होंडा दोपहिया वाहनों की डीलरशिप ली। 2006, 2007, 2008 में हमें होंडा ने श्रेष्ठ डीलर का पुरस्कार दिया। उसके बाद हमने फिएट और होंडा कार की डीलरशिप ली। आइए निपुण जैन की जुबानी जानते हैं कि कैसे लॉकडाउन के संकट के बीच भी उनके कारोबार का पहिया नहीं थमा: 

समाधान 1: ग्राहकों के लिए स्कीम

कोरोना लॉकडाउन में गाड़ी की खरीददारी थम सी गई थी। ग्राहक मजबूरीवश हमारे यहां सर्विसिंग कराने भी नहीं आ रहे थे। ऐसे में हमने अपनी योजनाओं को ग्राहकों को ध्यान में रखकर बनाया। लॉकडाउन के दौरान जिन ग्राहकों की नियत सर्विस नहीं हो पाई थी उनकी समयावधि को आगे बढ़ाया। जिनकी वारंटी खत्म हो रही थी, उसमें बढ़ोतरी की गई, जिससे ग्राहकों को फायदा हुआ। उनमें संतुष्टि और विश्वास का भाव भी बढ़ा, जो लॉकडाउन के बाद हमारे कारोबार के लिए फायदेमंद साबित हुआ। 

समाधान 2: सुरक्षा के साथ दी सुविधा

लॉकडाउन की वजह से ग्राहक ऑफिस विजिट नहीं कर पा रहे थे। ऐसे में हमें सुरक्षा का विश्वास देना था। हमने चार पहिया गाड़ियों को ग्राहकों के घर से लाकर सर्विसिंग के बाद वापस भेजने की सुविधा शुरू की। हमारे होंडा फॉर होम सुविधा के तहत ग्राहक अपने घर से गाड़ी बुक कर सकता है और घर पर ही गाड़ी की डिलीवरी हो जाएगी। सर्विसिंग के लिए आने वाले दोपहिया वाहनों को सैनिटाइज करने की प्रक्रिया अपनाई गई। 

समाधान 3: कर्मचारियों को डिजिटिल माध्यम से जोड़ा

लॉकडाउन के दौरान गाड़ियों की बिक्री और अन्य काम बंद हो गए हैं। ऐसे में हमने इंश्योरेंस प्रक्रिया को और अधिक मजबूत किया। हमने अपनी इंश्योरेंस यूनिट को घर से काम करने को कहा। वे ग्राहकों को डिजिटल माध्यम से इंश्योरेंस कर ऑनलाइन ही भेज देते थे। इसके अलावा हमने कर्मचारियों से डिजिटल माध्यम से जुड़ने को कहा। 

(स्वाति होंडा के निपुण जैन)

समाधान 4: सोशल मीडिया का किया इस्तेमाल 

निपुण कहते हैं कि पहले जहां हमारे कर्मचारी फील्ड पर जाया करते थे, कैंप लगाते थे। ऐसे में लॉकडाउन के दौरान हमने बाहर की ऐसी गतिविधियों पर अंकुश लगाया। इसलिए हमने व्हाट्सअप और फेसबुक मार्केटिंग का जमकर प्रयोग किया। फेसबुक पर हमने अलग-अलग पेज बनाए और अपनी स्कीम के बारे में जानकारी दी। फेसबुक पर पेड मार्केटिंग की। व्हाट्सअप के माध्यम से ग्राहकों को पीडीएफ के द्वारा ही सारी जानकारी भेज दी। अंतिम डिलीवरी को छोड़कर सारा काम व्हाट्सअप पर हो गया। 

समाधान 5: पेमेंट के लिए किया गूगल का इस्तेमाल 

लॉकडाउन के लिए डिजिटल पेमेंट बढ़ा है। हमने भी गूगल पे को अपनाया है। क्यूआर कोड से लेकर अकाउंट तक के फीचर अपनाए हैं। यही नहीं, फिजिकल डिस्टेंसिंग का पालन करने के लिए भी हम डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा दे रहे हैं, चाहे वह इंश्योरेंस पॉलिसी के लिए हो, सर्विसिंग या फिर गाड़ी खरीदने के लिए ही क्यों न हो। 


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