Move to Jagran APP

Maharashtra: मुंबई में 2053 लोग बने फर्जी टीकाकरण का शिकार, हाई कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब तलब किया

Maharashtra सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को गुरुवार को बताया कि मुंबई में अब तक 2053 लोग कोरोना रोधी टीकाकरण के फर्जी शिविरों के शिकार बने हैं। मुंबई शहर में अब तक नौ फर्जी वैक्सीन शिविर लगाए जाने की जानकारी मिली है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 09:26 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 09:26 PM (IST)
Maharashtra: मुंबई में 2053 लोग बने फर्जी टीकाकरण का शिकार, हाई कोर्ट ने सभी पक्षों से जवाब तलब किया
मुंबई में 2053 लोग बने फर्जी टीकाकरण का शिकार। फाइल फोटो

मुंबई, प्रेट्र। महाराष्ट्र सरकार ने बॉम्बे हाई कोर्ट को गुरुवार को बताया कि मुंबई में अब तक 2053 लोग कोरोना रोधी टीकाकरण के फर्जी शिविरों के शिकार बने हैं। मुंबई शहर में अब तक नौ फर्जी वैक्सीन शिविर लगाए जाने की जानकारी मिली है। राज्य सरकार के अधिवक्ता मुख्य लोक अभियोजक दीपक ठाकरे ने कोर्ट को बताया कि शहर में अब तक कम से कम नौ फर्जी शिविरों के सिलसिले में चार अलग-अलग प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में जारी जांच संबंधी स्थिति रिपोर्ट भी अदालत में दाखिल की। चीफ जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस जीएस कुलकर्णी की पीठ को महाराष्ट्र की ओर से सूचित किया गया पुलिस ने अब तक 400 गवाहों के बयान दर्ज किए हैं। जांचकर्ता आरोपित डाक्टर का पता लगाने में जुटे हैं। उल्लेखनीय है कि उपनगर कांदीवली की एक आवासीय सोसाइटी में फर्जी टीकाकरण शिविर लगा था। उस मामले में एक डाक्टर आरोपित है।

loksabha election banner

ठाकरे ने कहा कि कम से कम 2,053 लोग इन फर्जी टीकाकरण शिविरों का शिकार बने। इन शिविरों के आयोजन के मामले में चार प्राथमिकी दर्ज की गई हैं। कुछ आरोपितों की पहचान हो चुकी है, वहीं अनेक अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ भी प्राथमिकी दर्ज की गई है। पीठ ने राज्य की रिपोर्ट स्वीकार करते हुए कहा कि राज्य सरकार और निगम अधिकारियों को इस बीच पीडि़तों में फर्जी टीकों के दुष्प्रभाव का पता लगाने के लिए उनकी जांच करवाने के लिए कदम उठाने चाहिए। उसने कहा, हमारी चिंता इस बात को लेकर है कि टीका लगवाने (फर्जी टीकाकरण शिविरों में) वाले इन लोगों के साथ क्या हो रहा है। उन्हें क्या लगाया गया और फर्जी टीके का क्या असर पड़ा।

पीठ ने इस बात पर भी नाराजगी जताई कि राज्य सरकार ने निजी आवासीय सोसाइटियों, कार्यालयों आदि में टीकाकरण शिविर आयोजित करने संबंधी विशेष दिशा-निर्देश तय नहीं किए हैं। वह भी तब जबकि अदालत इस बारे में इस महीने की शुरुआत में आदेश दे चुकी है। बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अनिल साखरे ने बताया कि हमें पता चला है कि जिस दिन लोगों को फर्जी टीका लगाया गया उन्हें टीकाकरण प्रमाण-पत्र उसी दिन नहीं दिया गया। ये प्रमाण-पत्र बाद में तीन अलग-अलग अस्पतालों के नाम पर जारी किए गए। तब जाकर लोगों को यह अहसास हुआ कि कहीं कुछ गड़बड़ है। इन अस्पतालों ने कहा कि उन शिविरों में जिन शीशियों का इस्तेमाल हुआ वे उन्होंने उपलब्ध नहीं करवाई। हमने इस बारे में सीरम इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (सीआइआइ) को भी पत्र लिखा है। कोर्ट ने बीएमसी व राज्य सरकार से कहा कि वे इस मामले में सुनवाई की अगली तारीख 29 जून को अदालत के सवालों और निर्देशों से संबंधित जवाब के साथ अपने हलफनामे दाखिल करें।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.