Coronavirus: पुणे के रेड जोन में संघ ने शुरू की घर-घर स्क्रीनिंग की मुहिम
Coronavirus अब संघ ने महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े हॉट स्पॉट पुणे के रेड जोन इलाकों में घर-घर स्क्रीनिंग की मुहिम भी शुरू कर दी है।
ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। Coronavirus: कोरोना संकट के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ गरीबों को भोजन उपलब्ध कराने, रक्त बैंक तैयार करने, किसानों से सब्जियां लेकर शहरी सोसायटियों तक पहुंचाने का काम करता रहा है। अब संघ ने महाराष्ट्र के दूसरे सबसे बड़े हॉट स्पॉट पुणे के रेड जोन इलाकों में घर-घर स्क्रीनिंग की मुहिम भी शुरू कर दी है।
पुणे महानगरपालिका क्षेत्र में अब तक कोविड-19 के 1113 इसके पड़ोसी उपनगर पिंपरी चिंचवड में 72 मामले सामने आ चुके हैं और इन दोनों स्थानों पर कुल 85 रोगियों की मृत्यु हो चुकी है। इसलिए पुणे में निरंतर गंभीर होते हालात को देखते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने सभी रेड जोन इलाकों में घर-घर जाकर स्क्रीनिंग करने की मुहिम शुरू की है। एक डॉक्टर, संघ के दो स्वयंसेवक, दो पुलिसकर्मी एवं महानगरपालिका के एक कर्मचारी को मिलाकर एक टीम तैयार की जाती है।
यह टीम रेड जोन की बस्तियों में जाकर घर-घर लोगों से संपर्क करती है। जिनका स्वास्थ्य संदिग्ध पाया जाता है, उन्हें आगे की जांच के लिए अस्पताल भेज दिया जाता है। 28 अप्रैल से शुरू हुई इस मुहिम में अब तक 2,687 घरों में 14,322 लोगों की स्क्रीनिंग की जा चुकी है। इनमें से 93 लोगों को आगे की जांच या इलाज के लिए भेजा जा चुका है। इस मुहिम को सफल बनाने में अब तक 54 डॉक्टरों, 182 स्वयंसेवकों, पुणे महानगरपालिका के 39 कर्मचारियों एवं 44 पुलिसकर्मियों ने हिस्सा लिया है। कुल 29 इलाकों में यह स्क्रीनिंग की जा चुकी है।
संघ के पुणे क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुनील खेडकर बताते हैं कि संघ ने यह मुहिम पुणे महानगरपालिका (पीएमसी) एवं पुणे प्लेटफॉर्म फॉर कोविड-19 रिस्पांस (पीपीसीआर) के सहयोग से शुरू की है। मुहिम की शुरुआत के लिए संघ के पुणे महानगर संघचालक रवींद्र वंजारवाड़कर एवं पुणे मनपा की संयुक्त आयुक्त रूबल गायकवाड ने शहर के डॉक्टरों ने लोगों की स्क्रीनिंग में शामिल होने की अपील की। पुणे के अनेक डॉक्टर इस मुहिम में सहयोग करने को तैयार हो गए। इसके बाद पीपीसीआर के सहयोग से 400 पीपीई किट का इंतजाम किया गया और स्क्रीनिंग का काम शुरू हो गया।
संघ के स्वयंसेवक अपनी कार्यशैली के कारण क्षेत्र के भूगोल एवं वहां के लोगों से परिचित होते हैं। इसलिए स्थानीय लोगों का सहयोग भी उन्हें मिल रहा है। स्क्रीनिंग के लिए निकली टीम दो दिन तक एक पीपीई किट का उपयोग करती है। उसके बाद आईसीएमआर के निर्देशानुसार उपयोग की जा चुकी पीपीई किट नष्ट कर दी जाती है। दो दिन स्क्रीनिंग के लिए निकली टीम को भी दो दिन के लिए क्वारंटाइन में भेज दिया जाता है।