Move to Jagran APP

‘गिरफ्तार माओवादी प्रतिबंधित संगठन के सक्रिय सदस्य’

अरुण परेरा पर मावोवादी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार एवं युवाओं को माओवादी विचारधारा में लाने का आरोप लगाया है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Wed, 29 Aug 2018 07:56 PM (IST)Updated: Wed, 29 Aug 2018 07:56 PM (IST)
‘गिरफ्तार माओवादी प्रतिबंधित संगठन के सक्रिय सदस्य’
‘गिरफ्तार माओवादी प्रतिबंधित संगठन के सक्रिय सदस्य’

राज्य ब्यूरो, मुंबई। मंगलवार को गिरफ्तार किए गए पांच में से तीन माओवादी कार्यकर्ताओं को पुणे के सत्र न्यायालय में पेश करते हुए पुणे पुलिस ने न्यायालय को बताया कि ये सभी प्रतिबंधित संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) के सक्रिय सदस्य हैं।

loksabha election banner

पुणे पुलिस ने आज दोपहर बाद करीब 3.35 बजे मंगलवार को हैदराबाद से गिरफ्तार किए गए वरवर राव, मुंबई से गिरफ्तार वरनन गोंसवाल्विस एवं ठाणे से गिरफ्तार अरुण परेरा को पुणे के सत्र न्यायालय में पेश किया। कल ही दिल्ली एवं फरीदाबाद से गिरफ्तार दो अन्य माओवादियों गौतम नौलखा एवं सुधा भारद्वाज को सर्वोच्च न्यायालय के आदेश से उनके घरों में ही नजरबंद रखा गया है। उनकी ट्रांजिट रिमांड पर सर्वोच्च न्यायालय ने स्थगन दे दिया है। आज अदालत में पेश किए गए 80 वर्षीय वरवर राव पर अभियोजन पक्ष ने नेपाल स्थित हथियार डीलर से सौदेबाजी करने का आरोप लगाया है। जबकि अरुण परेरा पर मावोवादी गतिविधियों के प्रचार-प्रसार एवं युवाओं को माओवादी विचारधारा में लाने का आरोप लगाया है।

अभियोजन पक्ष ने अदालत में उस पत्र की प्रति भी प्रस्तुत की, जिससे राजीव गांधी की हत्या की तर्ज पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की हत्या की साजिश का खुलासा हुआ है। अभियोजन पक्ष ने यह दावा भी किया कि गिरफ्तार किए गए पांचो आरोपियों ने ऑल इंडिया यूनाइटेड फ्रंट नामक एक संगठन बनाया बनाया था, जो सरकार गिराना चाहता था। अभियोजन पक्ष के अनुसार पकड़े गए लोगों की पहली प्राथमिकता पहले पकड़े जा चुके नक्सल समर्थक प्रोफेसर जी.एन.साईंबाबा को छुड़ाना है। वे इसके लिए किसी अच्छे वकील की तलाश में थे। अभियोजन पक्ष ने माना कि मंगलवार को पकड़े गए माओवादियों का नाम भीमा-कोरेगांव कांड में दर्ज प्राथमिकी में नहीं है। लेकिन कानूनन यह जरूरी नहीं है कि किसी घटना की पहली प्राथमिकी में ही सभी आरोपियों के नाम हों।

बता दें कि एक जनवरी, 2018 को पुणे के निकट भीमा-कोरेगांव कस्बे में स्थित 200 वर्ष पुराने एक युद्ध स्मारक पर बड़ी संख्या में जुटे दलित कार्यकर्ताओं और मराठों के बीच संघर्ष हुआ था। पुलिस का कहना है कि इस संघर्ष की भूमिका एक दिन पहले 31 दिसंबर, 2017 की शाम पुणे में शनिवार वाड़ा के बाहर आयोजित ‘एलगार परिषद’ में तैयार की गई थी, जिसमें गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवाणी सहित कई मावोवादी कार्यकर्ताओं ने भाग लिया था। बता दें कि महाराष्ट्र के प्रमुख दलित नेता एवं डॉ.भीमराव आंबेडकर के पौत्र प्रकाश आंबेडकर एलगार परिषद के आयोजकों में से एक थे। इस घटना के 12 दिन बाद सात माओवादी कार्यकर्ताओं की पहली गिरफ्तारी मुंबई के रमाबाई आंबेडकर नगर से हुई थी। फिर जून माह में दिल्ली, मुंबई एवं नागपुर से पांच माओवादी कार्यकर्ता गिरफ्तार किए गए थे। जून में गिरफ्तार पांचो माओवादियों से पूछताछ एवं उनके पास से बरामद संदिग्ध सामग्रियों के आधार पर मंगलवार को पांच और माओवादियों को गिरफ्तार किया गया है।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.