भीमा कोरेगांव हिंसा: मिलिंद एकबोटे पर हमला करने वालों के खिलाफ FIR दर्ज
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के एक आरोपी मिलिंद एकबोटे पर हमला करने वाले लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो गई है लेकिन इस मामले में कोई गिरफ़तारी अभी नहीं हुई है।
मुंबई, एएनआइ। पुणे के जेंदेवाड़ी गांव में मंगलवार को भीमा कोरेगांव हिंसा मामले के आरोपी मिलिंद एकबोटे पर 40-50 लोगों ने हमला कर दिया था। हमला करने वाले लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज हो गई है। पुलिस ने 3-4 संदिग्धों की पहचान की है लेकिन अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। गौरतलब है कि वे मंगलवार रात को पुणे के सासवड में एक कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पहुंचे थे। आरोप है कि इसी दौरान 40-45 लोगों ने उन्हें घेर लिया और उन्हें कार से निकालकर उनके साथ हाथापाई की।
गौरतलब है कि महाराष्ट्र के पुणे जिले के भीमा-कोरेगांव क्षेत्र में एक जनवरी, 2018 को भड़की जातीय हिंसा के मामले में हिंदुत्ववादी नेता मिलिंद एकबोटे को गिरफ्तार किया गया था। मिलिंद पर एक समुदाय को भड़काने का आरोप है। मिलिंद एकबोटे ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सर्वोच्च न्यायालय की शरण ली थी। लेकिन सर्वोच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत की अर्जी कर दी थी।
इसके तुरंत बाद पुणे ग्रामीण पुलिस ने मिलिंद को उनके पुणे स्थित शिवाजी नगर आवास से गिरफ्तार कर लिया। पुणे ग्रामीण के पुलिस अधीक्षक सुवेज हक ने मिलिंद की गिरफ्तारी की जानकारी दी। एक जनवरी को भीमा-कोरेगांव में भड़की हिंसा के बाद समस्त हिंदू आघाड़ी के अध्यक्ष मिलिंद एकबोटे एवं शिव प्रतिष्ठान के अध्यक्ष संभाजी भिड़े के विरुद्ध पुणे ग्रामीण क्षेत्र के शिकारपुर थाने में धारा 307 (हत्या की कोशिश) सहित भारतीय दंड विधान की धाराओं 143, 147, 148, 149, 295(ए), 435, 436 तथा हथियार अधिनियम की कई धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया था।
मिलिंद ने पहले मुंबई उच्च न्यायालय में अग्रिम जमानत की अर्जी दी थी, जो खारिज हो गई थी। सरकार के सर्वोच्च न्यायालय को यह बताने पर कि मिलिंद जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, सर्वोच्च न्यायालय ने भी उसकी अग्रिम जमानत की अर्जी खारिज कर दी है।
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडऩवीस ने मंगलवार को ही विधानसभा में कहा था कि भीमा-कोरेगांव हिंसा के बाद मिलिंद के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज की गई थी। उसकी तलाश में पुलिस ने छापेमारी की थी। एकबोटे जहां-जहां अग्रिम जमानत के लिए गया, वहां-वहां सरकार ने अच्छे वकीलों के जरिए उसकी अर्जी का विरोध किया है और उसे हिरासत में लेकर जांच करने की मांग की है। बता दें कि इसी वर्ष एक जनवरी को पुणे के भीमा-कोरेगांव क्षेत्र में अंग्रेजों द्वारा स्थापित युद्ध स्मारक की 200वीं बरसी पर पांच लाख दलितों के जमाव के बाद शुरू हुए उपद्रव ने ही महाराष्ट्र को तीन दिन तक बंधक बनाए रखा था।
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