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शिवसेना अपने विश्वास को बदले : अणे

मराठी राज्य को लेकर शिवसेना की भूमिका को संकुचित ठहराते हुए पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने कहा है कि मराठों का राज महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं था। पेशवाओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज को विस्तारित किया था।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Tue, 29 Mar 2016 04:35 AM (IST)Updated: Tue, 29 Mar 2016 04:41 AM (IST)
शिवसेना अपने विश्वास को बदले : अणे

नागपुरमराठी राज्य को लेकर शिवसेना की भूमिका को संकुचित ठहराते हुए पूर्व महाधिवक्ता श्रीहरि अणे ने कहा है कि मराठों का राज महाराष्ट्र तक ही सीमित नहीं था। पेशवाओं ने छत्रपति शिवाजी महाराज के राज को विस्तारित किया था। गुजरात, बिहार, मध्यप्रदेश तक मराठा राज था। बड़ौदा, भुवनेश्वर, इंदौर में रियासत थी।

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साथ ही उन्होंने कहा कि शिवसेना सही मायने में शिवाजी महाराज के आदर्शों के अनुरूप राज स्थापित करना चाहती है, तो उसे अपने मराठा राज-दर्शन में भी बदलाव लाना होगा। मराठी माणुष की राजनीति को कुछ ऐसा स्वरूप दिया जा चुका है कि शिवसेना विदर्भ राज्य का समर्थन नहीं कर सकती है। फिर भी शिवसेना प्रमुख से विदर्भ को लेकर संवाद साधने का प्रयास किया जाएगा।


दिल्ली में लाबिंग
महाराष्ट्र नव निर्माण सेना से भी विदर्भ के प्रति नजरिया बदलने का निवेदन किया जाएगा। श्री अणे के अनुसार विदर्भ राज्य की मांग को लेकर किसी एक राजनीतिक दल से किसी तरह की अपेक्षा नहीं रखी जा सकती है। कांग्रेस से तो कोई अपेक्षा नहीं रही। भाजपा का भी चुनाव में विरोध किया जाएगा। विदर्भ के समर्थन में राजनीतिक ताकत दिखाने की आवश्यकता है।

इसके लिए दिल्ली में लाबिंग की जाएगी। अरविंद केजरीवाल, नितीश कुमार, मायावती व ममता बनर्जी से मुलाकात कर इस आंदोलन के लिए समर्थन का निवेदन किया जाएगा।


आंदोलन को ताकत मिलेगी
श्री अणे रविवार को दैनिक भास्कर के संपादकीय सहयोगियों से चर्चा कर रहे थे। एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि महाधिवक्ता पद से इस्तीफा उनके लिए किसी भी तरह से नुकसानदायक नहीं है। पद का महत्व है, लेकिन निजी तौर पर वे मानते हैं कि पद छोड़कर उन्होंने अपने लिए नई ऊर्जा पाई है। विदर्भ आंदोलन को ताकत मिलेगी।

वे नहीं मानते हैं कि विदर्भ राज्य बनाने की स्थिति फार्मूले के तौर पर आएगी। विदर्भ आंदोलन के लिए रणनीतिक बदलाव हो सकते हैं। फिलहाल तैयारी यही है कि विदर्भ राज्य के समर्थन में माहौल बनाया जाए। चुनाव में विदर्भ समर्थक संगठनों, राजनीतिक दलों व उम्मीदवाराें को सफलता दिलाने का प्रयास किया जाएगा।

विदर्भ को लेकर सर्वदलीय मोर्चा का गठन चुनाव के समय किया जा सकता है। प्रयास यही रहेगा कि विदर्भ के मुद्दे पर विश्वसनीय चुनावी विकल्प तैयार किया जाए।

संघ का भी साथ
श्री अणे ने विश्वास जताया कि विदर्भ आंदोलन को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ का भी साथ मिल सकता है। वरिष्ठ संघ विचारक मा.गो वैद्य ने छोटे राज्यों का समर्थन किया है। राज्य से बाहर भी स्वयंसेवकों के लिए विदर्भ के समर्थन में संदेश गया है। स्थिति यह है कि जो स्वयंसेवक विरोध भी कर सकते थे, वे अब अपनी भूमिका बदल देंगे।

श्री अणे के अनुसार उन्होंने पहले ही सरसंघचालक डॉ.मोहन भागवत से विदर्भ राज्य के लिए सहयोग का निवेदन किया था। अब दोबारा संघ से सहयोग व समर्थन का निवेदन करेंगे।

होंगे प्रदर्शन
विदर्भ की मांग दिल्ली तक पहुंचाने के लिए विविध स्तर पर प्रयास किए जाएंगे। विदर्भ में जिला स्तर पर आदिवासी व किसानों की समस्याओं को लेकर प्रदर्शन किए जाएंगे। हिंसक आंदोलन की तैयारी दोहराते हुए श्री अणे ने कहा कि वे हिंसा का मतलब जानते हैं।

तेलंगाना जैसी स्थिति लाने की आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। विदर्भ के लिए पहले भी हिंसा हो चुकी है। ऐसा न हो कि सरकार के लिए शांति व्यवस्था की स्थिति नियंत्रण के बाहर चली जाए। हिंसा हुई तो विदर्भ राज्य निर्माण की राजनीति अलग मोड़ पर पहुंच जाएगी।


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