कुंभ में दिखा सर्वधर्म-समभाव, नागपुर के मौलाना ने किया रामकथा का उद्घाटन
उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुंभ मेले में इन दाेनों समुदायों के बीच सर्वधर्म समभाव का एक अनूठा नजारा देखने को मिला। यहां संत मुरारी बापू के नौ दिवसीय रामकथा पाठ कार्यक्रम का उदघाटन नागपुर के मेहंदीबाग के मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु, मौलाना अमिरुद्दीन मलक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
नागपुर। शनिवार को उज्जैन में आयोजित सिंहस्थ कुंभ मेले में इन दाेनों समुदायों के बीच सर्वधर्म समभाव का एक अनूठा नजारा देखने को मिला। यहां संत मुरारी बापू के नौ दिवसीय रामकथा पाठ कार्यक्रम का उदघाटन नागपुर के मेहंदीबाग के मुस्लिम समुदाय के धर्मगुरु, मौलाना अमिरुद्दीन मलक ने दीप प्रज्जवलित कर किया।
मौलाना मलक को जब कुंभ मेले में मंच पर बुलाया गया, तो हजारों की संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने तालियों की गड़गड़ाहट के साथ उनका अभिवादन किया, जो समाज में आपसी भाईचारे में प्रगाढ़ता का प्रमाण है।
उपराजधानी के लिए गौरव की बात
मौलाना मलक को सिंहस्थ में शामिल होने का न्यौता जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानंद गिरी महाराज द्वारा दिया गया था। इस आमंत्रण पर उनके साथ 30-35 अनुयायियों का एक समूह उज्जैन कुंभ मेले में शामिल होने पहुंचा।
सिंहस्थ में शामिल होने पहुंचे मौलाना के जत्थे को स्वामी अवधेशानंद ने व्यक्तिगत रूप से स्वागत किया। संतरानगरी वासियों के लिए यह बड़े ही गौरव की बात है, जब हिन्दू धर्म के इतने बड़े धार्मिक आयोजन में सर्वधर्म समभाव को ध्यान में रहकर आमंत्रित किया और आमंत्रित अतिथि समारोह में शामिल होने पहुंचे।
कार्यक्रम के उपरांत मौलाना मलक ने कहा कि यह वह समय है, जब कुछ तत्व भारत के नागरिकों को धर्म और जाति के नाम पर बांटने में लगे हैं। उसी समय स्वामी अवधेशानंद ने आपसी भाईचारे की एक मिसाल कायम की है। यह धार्मिक एकात्मता का जीता जागता उदाहरण है।
यह एक विशेष योग है
स्वामी अवधेशानंदजी एवं संत मुरारी बापू ने मौलाना मलक की सिंहस्थ में उपस्थिति को एक विशेष योग बताया। मौलाना मलक ने बताया कि अवधेशानंद गिरी महाराज सन 1998 जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर के रूप में स्थापित हुए, लेकिन उनकी धार्मिक और सामाजिक कार्यों के कारण आज उनके लाखों भक्त हैं और वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणा के स्त्रोत बने हुए हैं।
उनके द्वारा स्थापित की गई प्रभु प्रेमी संघ द्वारा मानव सेवा के अलावा प्राचीन भारतीय शास्त्रों के प्रचार-प्रसार के कार्यों को बखूबी निभा रहा है। शनिवार को नौ दिवसीय रामकथा प्रवचन की शुरुआत करने वाले संत मुरारी बापू ने देश-विदेश में अब तक करीब 750 से अधिक रामकथा वाचन कार्यक्रम किए हैं।