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मोदी सरकार के पास विपक्ष से संवाद के लिए नेता नहीं: पवार

संसद में गतिरोध मामले पर राजग को जिम्मेदार ठहराते हुए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि मोदी सरकार के पास विपक्ष से संवाद के लिए वरिष्ठ नेता नहीं है। सरकार जनता की अपेक्षाओं के अनुरुप कार्य करने में विफल है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Thu, 24 Sep 2015 03:43 AM (IST)Updated: Thu, 24 Sep 2015 04:27 AM (IST)
मोदी सरकार के पास विपक्ष से संवाद के लिए नेता नहीं: पवार

नागपुर। संसद में गतिरोध मामले पर राजग को जिम्मेदार ठहराते हुए राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने कहा है कि मोदी सरकार के पास विपक्ष से संवाद के लिए वरिष्ठ नेता नहीं है। सरकार जनता की अपेक्षाओं के अनुरुप कार्य करने में विफल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कार्यशैली की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि सरकार को टीम के तौर पर कार्य करना चाहिए। मुख्यमंत्री व प्रधानमंत्री की जिम्मेदारी अलग अलग होती है। मुख्यमंत्री का कार्य राज्य तक सीमित रहता है, प्रधानमंत्री को देश के लिए काम करना होता है। विदर्भ राज्य की मांग पर राकांपा नेता ने कहा कि भाजपा इस संबंध में प्रस्ताव को आगे लाए। जनता चाहे तो राकांपा विदर्भ राज्य का विरोध नहीं करेगी। विदर्भ दौरे के सिलसिले में यहां आए श्री पवार मंगलवार को संपादक समूह के साथ अनौपचारिक चर्चा कर रहे थे।

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संसद में गतिरोध के प्रश्न पर श्री पवार ने कहा-संप्रग सरकार के समय भाजपा के नेतृत्व में विपक्ष हंगामा करता था। संसद में कामकाज प्रभावित होता था। कांग्रेस िवपक्ष संवाद की पहल करती थी। वरिष्ठ मंत्री प्रणब मुखर्जी विपक्ष से बात करते थे। स्थिति सामान्य हो जाती थी। राजग सरकार के पास विपक्ष से संवाद के लिए वरिष्ठ नेता नहीं है। प्रधानमंत्री भी संसद में नहीं दिखते हैं। वर्तमान कृषि संकट पर पूर्व कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार कृषि उत्पादक के मामले में समाधानकारी काम नहीं कर पा रही है। संप्रग सरकार के समय कपास का भाव 5 हजार रुपये प्रति क्विंटल था। अब 3900 रुपये प्रति क्विंटल है।

शक्कर के भाव 3500 रुपये से 2200 रुपये हो गए हैं। बीटी काटन के इस्तेमाल के सकारात्मक पहलुओं को समझाते हुए उन्होंने कहा कि इससे काफी फसल हुई। देश चावल, गेहूं, शक्कर का बड़ा निर्यातक है। महाराष्ट्र में सिंचाई पर 70 हजार करोड़ रुपये खर्च किये जाने के मामले पर उन्होंने कहा कि सरकार ने 1952 से यह खर्च किया है। पिछले कुछ वर्षों में 22 हजार करोड़ रुपये खर्च कर 6 प्रतिशत सिंचाई क्षमता बढ़ायी गई है। चितले कमेटी की रिपोर्ट में यह बात सामने आयी है। 22 हजार करोड़ रुपये में से 7,500 करोड़ रुपये सिंचाई प्रकल्पों के स्थायीकरण व भूमि अधिग्रहण के लिए खर्च किये गए हैं। विदर्भ में झुड़पी जंगल के कारण सिंचाई प्रकल्प लंबित रहे। प्रधानमंत्री चाहते तो भूमि अधिग्रहण विधेयक आगे बढ़ सकता था। चर्चा के बाद इस विधेयक को मंजूरी देने की तैयारी में कमेटी थी। 13 विषयों को हटा दिया गया। 2 पर विचार करना था। सरकार ने यू टर्न ले लिया। अनौपचारिक चर्चा के समय अनिल देशमुख, रमेश बंग, प्रकाश गजभिये, अतुल लोंढे, अजय पाटील, रमण ठवकर, सलिल देशमुख, अनिल अहिरकर उपस्थित थे।

काटोल क्षेत्र में सोयाबीन फसल का जायजा लिया

राकांपा अध्यक्ष शरद पवार ने काटोल क्षेत्र में मंगलवार को फसल का जायजा लिया। हातला व मेंढेपठार मेें किसानों से मिले। उनके साथ पूर्व मंत्री अनिल देशमुख भी थे। तहसील कृषि अधिकारी वामनराव जुनघरे ने जिले में सोयाबीन फसल की स्थिति के बारे में पवार को जानकारी दी।

हातला में धीरज जुनघरे के 55 एकड़ खेत में संतरा बगीचे का जायजा लिया गया। उन्नत फसल की कार्यप्रणाली की जानकारी ली। पूर्व मंत्री रमेश बंग, पूर्व विधायक सुनील शिंदे, सलिल देशमुख,काटोल बाजार समिति के सभापति बाबा शेलके, दीपक मोहिते, चंद्रशेखर चिखले, अनूप खराडे, गणेश चन्ने,नीलकंठराव ढोरे, अजय लाडसे,रामदास मरकाम, अमित काकडे व कृषि विभाग के अधिकारी कर्मचारी उपस्थित थे।


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