Maharashtra: पीएम केयर्स में जमा राशि सार्वजनिक करने की मांग खारिज
PM Cares वकील अरविंद वाघमारे ने अपनी जनहित याचिका में सरकार को वेबसाइट पर समय-समय पर प्राप्त कोष और खर्च की घोषणा करने का निर्देश देने की मांग की थी।
नागपुर, प्रेट्र। PM Cares: बांबे हाई कोर्ट की नागपुर पीठ ने प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति में राहत (पीएम केयर्स) द्वारा प्राप्त कोष सार्वजनिक करने की मांग को लेकर दाखिल पीआइएल खारिज कर दी। कोविड-19 महामारी को देखते हुए केंद्र सरकार ने इस चैरिटेबल ट्रस्ट का गठन किया है। वकील अरविंद वाघमारे ने अपनी जनहित याचिका में सरकार को वेबसाइट पर समय-समय पर प्राप्त कोष और खर्च की घोषणा करने का निर्देश देने की मांग की थी। जस्टिस सुनील शुक्रे और जस्टिस अनिल किलोर की खंडपीठ ने उल्लेख किया कि कोष को सार्वजनिक करने का लक्ष्य उसका उचित उपयोग सुनिश्चित करना है। कोर्ट ने कहा कि कोष को एक चैरिटेबल ट्रस्ट के रूप में पंजीकरण कराया गया है। एक चार्टर्ड अकाउंटेंट की नियुक्ति की गई है जिसपर कोष के संतुलन और खाते के लेखा की जिम्मेदारी होगी।
वकील वाघमारे की जनहित याचिका खारिज करते हुए पीठ ने उल्लेख किया कि पीएम केयर्स फंड पर भारतीय ट्रस्ट अधिनियम लागू है। इस अधिनियम में सार्वजनिक घोषणा का उद्देश्य हासिल करने के लिए प्रभावी तंत्र मुहैया कराया गया है। याचिकाकर्ता वाघमारे अपनी शिकायत का निवारण करने के लिए उस तंत्र का इस्तेमाल करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोष में अंशदान स्वैच्छिक प्रकृति का है और किसी के लिए दान बाध्यकारी नहीं है।
गौरतलब है कि पीएम केयर्स फंड को लेकर उठ रहे राजनीतिक विवादों के बीच सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया था कि यह राष्ट्रीय आपदा राहत कोष से अलग है। यह सरकार तय करती है कि किसे किस तरह से मदद करनी है। ऐसे में पीएम केयर्स फंड की रकम राष्ट्रीय आपदा राहत कोषष में स्थानांतरित करने की मांग नहीं मानी जा सकती है। कांग्रेस ने कहा कि पीएम केयर्स फंड के बारे में सुप्रीम कोर्ट का फैसला जनता के प्रति सरकार की पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए झटका है। पार्टी के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट किया कि शासकों की मतदाताओं के प्रति जिम्मेदारी एवं जवाबदेही के संदर्भ में यह एक दुखद दिन है। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का मानना रहा है कि सूर्य का प्रकाश सर्वश्रेष्ठ कीटाणुनाशक है, लेकिन इस फैसले से साबित होता है कि वह अपनी परंपरा से हट गया है। उसने पीएम केयर्स फंड को लेकर सवालों का जवाब हासिल करने का मौका गंवा दिया है।