Maharashtra: नागपुर में जिला परिषद चुनाव हारी भाजपा, धुले में मिली जीत
Maharashtra BJP. भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पैतृक गांव में ही भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। Maharashtra BJP. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को अपने गढ़ नागपुर के जिला परिषद चुनाव में करारा झटका लगा है। अब तक भाजपा के कब्जे में रही नागपुर जिला परिषद की 57 में से सिर्फ 15 सीटें वह जीत सकी है और कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को 40 सीटें हासिल हुई हैं। इसके उलट धुले जिला परिषद में भाजपा 55 में से 38 सीटें जीतने में सफल रही है।
मंगलवार को राज्य की छह जिला परिषदों के चुनाव हुए थे। बुधवार को घोषित हुए इनके परिणामों में नागपुर एवं धुले जिला परिषदों में ही किसी दल को स्पष्ट जनादेश मिला है। शेष, नंदुरबार, अकोला, पालघर एवं वाशिम जिला परिषदों में खंडित जनादेश सामने आया है। नंदुरबार की 56 सीटों में कांग्रेस और भाजपा, दोनों को 23-23 सीटें तथा शिवसेना को सात एवं राकांपा को तीन सीटें मिली हैं। अब राज्य सरकार की भांति शिवसेना यहां भी कांग्रेस के साथ सत्ता में भागीदार हो सकती है। मुंबई के पड़ोसी जिले पालघर में भी 57 में से 18 सीटें शिवसेना तथा 16 राकांपा के हिस्से में गई हैं। यहां भाजपा को 11 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। यहां भी शिवसेना-राकांपा गठबंधन की सत्ता आ सकती है।
दलित नेता प्रकाश आंबेडकर के गृह जनपद अकोला में उनकी पार्टी भारिप बहुजन महासंघ को 53 में से 19 एवं शिवसेना को 11 सीटें मिली हैं। वाशिम जिला परिषद में भी कांग्रेस-राकांपा एवं प्रकाश आंबेडकर की मिलीजुली सत्ता आने की संभावनाएं बन रही हैं। नागपुर में गृहमंत्री अनिल देशमुख के पुत्र सलिल देशमुख जहां अपनी मेंडपाजरा सीट से जीतने में सफल रहे हैं, वहीं भाजपा के दिग्गज नेता एवं केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के पैतृक गांव में ही भाजपा प्रत्याशी को हार का सामना करना पड़ा है। उस्मानाबाद जिला परिषद में भाजपा को उम्मीद की कुछ किरण शिवसेना विधायक तानाजी सावंत के कारण दिखाई दे रही है। राज्य सरकार में मंत्री पद न मिलने से नाराज सावंत अपने भतीजे को जिला परिषद अध्यक्ष बनवाना चाहते थे। अब वह भाजपा से हाथ मिलाकर भाजपा की सत्ता में अपने भतीजे को उपाध्यक्ष बनवाने की मुहिम पर जुट गए हैं।