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1000 और 500 रुपए लेने के लिए कोई तैयार नहीं

1000 और 500 रुपए पर प्रतिबंध लगाने से राजनीतिक क्षेत्र भी अछूता नहीं है। सीधा असर आगामी विधान परिषद और नगर परिषद चुनाव पर देखा जा रहा है।

By Bhupendra SinghEdited By: Published: Fri, 11 Nov 2016 03:33 AM (IST)Updated: Fri, 11 Nov 2016 03:43 AM (IST)
1000 और 500 रुपए लेने के लिए कोई तैयार नहीं

नागपुर।1000 और 500 रुपए पर भारत सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाने से राजनीतिक क्षेत्र भी अछूता नहीं है। सीधा असर आगामी विधान परिषद और नगर परिषद चुनाव पर देखा जा रहा है। उम्मीदवारों ने चुनाव नियोजन के लिए अपने पास बड़ी मात्रा में कैश जमा कर रखी है, लेकिन अब रकम का कैसे बंटवारा करें, यह बड़ा प्रश्न खड़ा हो गया है। सामने कैश है, पर लेने के लिए कोई तैयार नहीं है। सर्वाधिक दिक्कतें नगर परिषद चुनाव के उम्मीदवारों को हो रही है। नागपुर में जनवरी के प्रथम सप्ताह और विदर्भ के अन्य जिलों में दिसंबर में चुनाव होने हैं।
उम्मीद्वारों का बढ़ा सिर दर्द
चुनाव करीब होने से तैयारियां जोरों पर थीं। मंगलवार रात अचानक हजार, पांच सौ के नोट बंद करने से अब पूरा नियोजन गड़बड़ाता दिख रहा है। प्रचार तंत्र से लेकर कार्यकर्ताओं को खुश करने की तैयारियों पर पानी फिर रहा है। पंडाल वाले, लाउडस्पीकर वाले से लेकर रोजाना चाय-नाश्ता कराने वाले 500 और 1000 का नोट लेने से मना कर रहे हैं। रैलियों में भीड़ जुटाने वाले भी अब मुंह ऊंचा कर रहे हैं, जिससे मध्यस्थों का बारगेनिंग पॉवर बढ़ने की जानकारी है। कार्यकर्ताओं के भी भाव बढ़ गए हैं। इससे नगर परिषद चुनाव के उम्मीदवारों का सिर दर्द बढ़ गया है।

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विधान परिषद चुनाव के उम्मीदवार बीच का रास्ता निकालने में लग गए हैं। फिलहाल अगले साल फरवरी में होने जा रहे महानगर पालिका और जिला परिषद चुनाव के इच्छुक उम्मीदवारों को कुछ राहत है। दिसंबर के बाद इनका चुनाव प्रचार उफान पर रहेगा। ऐसे में उन्हें संभलने का काफी वक्त मिल रहा है। तब तक आर्थिक परिस्थियां भी सामान्य होने का भरोसा दिलाया जा रहा है। इन सबने चुनावी गणित जरूर प्रभावित कर दिया है।
प्रतिष्ठा दांव पर
चालू और आगामी वर्ष चुनाव साल के रूप में देखा जा रहा है। ऐसे में सभी राजनीतिक पार्टियां और राजनेता सालभर से चुनावी तैयारी व नियोजन में जुटे हैं। हाल में नगर परिषद और विधान परिषद चुनाव की तिथियों की घोषणा हुई है। जनवरी में नागपुर की 9 नगर परिषदों के चुनाव होने हैं। भंडारा-गोंदिया विधान परिषद के चुनाव इसी महीने है। नागपुर से परिणय फुके भाजपा के उम्मीदवार हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितीन गडकरी की प्रतिष्ठा पर दांव पर लगी है। इसलिए संपूर्ण शहर का ध्यान चुनाव पर लगा है।
घोड़ा बाजार हो गया चुनाव
इस चुनाव को सर्वाधिक महंगा मानकर चला जा रहा है, जिसे आम बोल-चाल में घोड़ा बाजार भी कहा जाता है। पिछले कुछ विधान परिषद चुनाव ने यह धारणा बनी ली है। फिलहाल नोटों पर बैन लगने से उम्मीदवारों को तगड़ा झटका लगा है। आश्वासनों की पूर्ति करना असंभव सा हो गया है। कुछ बीच का रास्ता निकालने की तैयारी शुरू है। किन्तु सर्वाधिक प्रभावित नगर परिषद चुनाव के उम्मीदवार हुए हैं। प्रचार में हाथ भार लगाने वाले मान नहीं रहे हैं। 500-1000 के नोट लेने से सीधे इनकार किया जा रहा है। आगामी दिनों में कुछ और किस्से बाहर आने की चर्चाएं हैं।

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