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Coronavirus: पश्चिम रेलवे ने महाराष्ट्र सरकार से 21 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का किया अनुरोध

Coronavirus महाराष्ट्र सरकार से पश्चिम रेलवे के पीआरओ ने सोमवार को 21 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का अनुरोध किया है। साथ ही यह भी कहा है कि उन्हें नंदुरबार भेज दिया जाए। एक कोच में 16 बेड होंगे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 12 Apr 2021 06:52 PM (IST)Updated: Mon, 12 Apr 2021 06:59 PM (IST)
Coronavirus: पश्चिम रेलवे ने महाराष्ट्र सरकार से 21 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का किया अनुरोध
पश्चिम रेलवे ने महाराष्ट्र सरकार से 21 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का किया अनुरोध। फाइल फोटो

मुंबई, एएनआइ। Coronavirus: पश्चिम रेलवे के पीआरओ ने सोमवार को महाराष्ट्र सरकार से रेलवे 21 कोचों को आइसोलेशन वार्ड में बदलने का अनुरोध किया है। साथ ही, यह भी कहा है कि उन्हें नंदुरबार भेज दिया जाए। एक कोच में 16 बेड होंगे। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के कई जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते ही जा रहे हैं। कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों की वजह से कोविड सेंटरों में बेडों की संख्या कम पड़ रही है। प्रदेश के कई जिलों में कोरोना के मामले थमने के नाम नहीं ले रहे हैं। वहीं, राज्य में कोरोना से बढ़ते मामलों की वजह से फिर से लॉकडाउन लगने के डर से प्रवासी श्रमिक अपने घरों की ओर वापस लौटने लगे हैं। 

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गौरतलब है कि कोरोना महामारी से सबसे बुरी तरह प्रभावित महाराष्ट्र में संक्रमण को रोकने के लिए 15 अप्रैल से लॉकडाउन लगाया जा सकता है। कोरोना महामारी पर गठित टास्क फोर्स ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ रविवार को हुई बैठक में इसका सुझाव दिया। राज्य के कैबिनेट मंत्री असलम शेख ने यह जानकारी दी। वहीं, राज्य के स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने कहा कि सरकार 14 अप्रैल के बाद लॉकडाउन को लेकर उचित फैसला करेगी। सीएम उद्धव ठाकरे की अध्यक्षता में हुई टास्क फोर्स की बैठक में टोपे भी मौजूद थे। उन्होंने बताया कि बैठक में लॉकडाउन के प्रभाव, उससे प्रभावित होने वाले लोगों की मदद, महामारी की मौजूदा स्थिति और स्वास्थ्य सुविधाओं समेत तमाम मुद्दों पर विस्तार से चर्चा हुई। बैठक के बाद मीडिया से बातचीत में शेख ने कहा, 'टास्क फोर्स के साथ बैठक में मौजूद हर कोई लॉकडाउन के पक्ष में था। पिछली बार जब लॉकडाउन लगाया था, तब गरीबों और आप्रवासी मजदूरों को बहुत परेशानी उठानी पड़ी थी और कई लोगों की जान चली गई थी। हम नहीं चाहते कि फिर वैसी स्थिति पैदा हो, इसलिए सभी पक्षों को भरोसे में लिया जा रहा है।' 


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