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सीमा पर हुई 20 जवानों की शहादत के लिए हम सभी जिम्मेदार: संजय राउत

IndiaChinaBorder चीनी सैनिकों के साथ गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प पर संजय राउत ने कहा 20 जवानों की शहादत के लिए हम सभी जिम्मेदार हैं।

By Babita kashyapEdited By: Published: Wed, 17 Jun 2020 11:37 AM (IST)Updated: Wed, 17 Jun 2020 11:37 AM (IST)
सीमा पर हुई 20 जवानों की शहादत के लिए हम सभी जिम्मेदार: संजय राउत
सीमा पर हुई 20 जवानों की शहादत के लिए हम सभी जिम्मेदार: संजय राउत

मुंबई, एएनआइ। चीनी सैनिकों के साथ पूर्वी लद्दाख के गलवन घाटी में हुई हिंसक झड़प पर शिवसेना सांसद संजय राउत ने कहा, सीमा पर जो कुछ भी हुआ उसके लिए हम जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी या राहुल गांधी को जिम्मेदार नहीं ठहरा सकते। हम सभी 20 जवानों की शहादत के लिए जिम्मेदार हैं। पीएम जो भी फैसला लेंगे, सभी पार्टियां उनका समर्थन करेंगी लेकिन उन्हें बताना चाहिए कि क्या गलत हुआ? 

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गौरतलब है कि गलवन घाटी के पास चीनी सैनिकों और भारतीय सेना के बीच हुई हिंसक झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस झड़प में चीन के 47 जवानों के मारे जाने की भी सूचना है। बताया जा रहा है कि  1962 के बाद यह पहली बार है जब इस क्षेत्र में तनाव पैदा हुआ है। बता दें कि यह वो क्षेत्र है जहां पर वास्तविक नियंत्रण रेखा स्पष्ट रूप से परिभाषित है और दोनों ही देशों ने इसे स्वीकार भी किया है। हालांकि चीन का इस क्षेत्र में दखल बताता है कि वो अपनी आक्रामक विस्तारवादी नीति को एक बार फिर सामने रखकर वह आगे कदम बढ़ा रहा है। भारत के लिए भी ये क्षेत्र विभिन्न दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है। 

44 वर्षो में पहली बार चीन और भारत के बीच ये घटना हुई है। 1975 में भारत-चीन सीमा पर एक कार्रवाई के दौरान कुछ सैनिक शहीद हो गए थे। इससे पूर्व इन दोनों देशों के बीच 1967 में गोलीबारी हुई थी। जिसे लेकर अलग-अलग कारण बताए जाते हैं, लेकिन मुख्य कारण चीन की विस्तारवादी नीति को माना जाता है। चीन सिक्किम से भारतीय सेना की वापसी पर जोर दे रहा था। इसी बीच भारतीय इंजीनियरों और जवानों ने सेना पर बाड़ लगाने का काम शुरु किया, जबकि चीन पहले से ही सीमा पर खाई खोदने का काम कर रहा था।

11 सितंबर को चीन ने लड़ाई शुरु कर दी। इसके नाथूला में गोलियां बरसने लगी और 14 सितंबर को युद्ध विराम हुआ। दो दिन तक शवों का आदान-प्रदान हुआ। एक अक्टूबर को चोला में फिर गोलीबारी हुई जिसमें दोनों देशों को नुकसान हुआ। इन घटनाओं में भारत के 80 से अधिक सैनिक शहीद हुए और करीब 300 से 400 चीनी सैनिक मारे गए। वहीं 1975 में हुई घटना को आकस्मिक माना जाता है, जिसमें घने कोहरे में चार भारतीय सैनिक चीनी सैनिकों की गोलीबारी से शहीद हो गए। इस बारे में ये भी कहा जाता है कि यह पूर्व नियोजित था, भारतीय सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया गया था।

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