Maharashtra: शिवसेना पर भारी पड़ सकती है कांग्रेस की वोटबैंक राजनीति
Shiv Sena And Congress. अशोक चव्हाण का ताजा बयान शिवसेना के लिए ऐसा ही संकट खड़ा करने वाला है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Shiv Sena And Congress. कांग्रेस नेताओं के लगातार आ रहे बयान एवं उसकी वोटबैंक राजनीति शिवसेना के घातक साबित हो सकती है। क्योंकि शिवसेना के शीर्ष नेताओं ने कांग्रेस-राकांपा के साथ मिलकर सरकार भले बना ली हो, लेकिन उसके सामान्य कार्यकर्ता आज भी हिंदुत्व एवं सावरकर जैसे मुद्दों पर समझौता करने को तैयार नहीं दिखते। जबकि कांग्रेस के बड़े नेताओं द्वारा रोज ऐसे बयान दिए जा रहे हैं, जिनका विरोध करना शिवसैनिकों का स्वभाव रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एवं शिवसेनानीत महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार में सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चव्हाण का ताजा बयान शिवसेना के लिए ऐसा ही संकट खड़ा करने वाला है। चव्हाण ने सीएए पर एक सभा में बोलते हुए कहा है कि हमारे ज्यादातर मुस्लिम भाई चाहते थे कि भाजपा को रोकने के लिए हम राज्य की सरकार में शामिल हों। इसलिए कांग्रेस आज सरकार में है। जब तक हम सत्ता में हैं, राज्य में सीएए को अमल में नहीं लाने देंगे।
इससे पहले कांग्रेस के एक और पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी बयान दे चुके हैं कि केरल की तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार को भी विधानसभा में सीएए के विरोध में प्रस्ताव पारित करना चाहिए। जबकि मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पहले ही साफ कर चुके हैं कि वह इस मुद्दे पर सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का इंतजार करेंगे। जाहिर है, उद्धव इस मुद्दे पर जल्दबाजी में कोई कदम नहीं उठाना चाहते। लेकिन कांग्रेस का दबाव उनके लिए असमंजस की स्थिति पैदा कर रहा है। 30 साल तक भाजपा के साथ राजनीतिक गठबंधन निभाने वाली शिवसेना ने पिछले विधानसभा चुनाव के तुरंत बाद भाजपा से गठबंधन तोड़ कांग्रेस-राकांपा के साथ गठबंधन सरकार बना ली है।
राज्य में विरोधी विचारधारा के दलों के साथ साझा सरकार चलने की मजबूरीवश शिवसेना में अंतर्विरोध भी दिखने लगा है। ऐसा ही एक अंतर्विरोध दो दिन पहले दिखाई दिया, जब शिवसेना के राज्यसभा सांसद संजय राउत ने कहा कि सावरकर को भारत रत्न दिए जाने का विरोध करने वालों को दो दिन के लिए अंडमान की सेल्युलर जेल में भेज दिया जाना चाहिए। लेकिन राज्य सरकार में कैबिनेट मिनिस्टर उद्धव पुत्र आदित्य ठाकरे ने तुरंत राउत के बयान पर ही सवाल उठाते हुए कह दिया कि उन्हें नहीं पता कि राउत ने यह बयान किस हैसियत से दिया है।
गौरतलब कि संजय राउत न सिर्फ शिवसेना मुखपत्र सामना के कार्यकारी संपादक हैं, बल्कि वर्तमान राज्य सरकार बनवाने में भी उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। राउत के बयान को ठाकरे परिवार के ही सदस्य द्वारा इस प्रकार काटा जाना भी कई शिवसैनिकों को नागवार गुजरा है। करीब-करीब रोज पैदा हो रही ऐसी स्थितियों को देखते हुए इन दिनों भाजपा नेतृत्व से नाराज चल रहे एकनाथ खडसे ने भी शिवसेना-कांग्रेस-राकांपा गठबंधन को अभद्र गठबंधन करार देना पड़ा है। उन्होंने कहा है कि तीन पाए का अभद्र गठबंधन राज्य को कोई दिशा दे पाएगा, ऐसा लगता नहीं।