ट्रांसजेंडर महुआ डिग्री लेकर बनना चाहती है आत्मनिर्भर
संतोष कांबले ने उन पर एक पांच मिनट की शार्ट फिल्म 'मुंबईज महुआ महुआज मुंबई' भी बनाई है।
रूपा चक्रवर्ती (मिड-डे), मुंबई। मुंबई की हार्बर लाइन पर रोज सफर करने वालों के लिए ट्रांसजेंडर महुआ की तारीफ करना आम-बात है। महुआ लोकल ट्रेन के यात्रियों से मिलने वाली धनराशि से अपनी शिक्षा पूरी करने में जुटी हैं।
महुआ जिस समुदाय से आती हैं, उसके अधिकतर सदस्य भीख मांगकर गुजारा करते हैं, लेकिन वह डिग्री हासिल कर खुद को आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाना चाहती हैं। महुआ (38) वर्तमान में कक्षा 12 की परीक्षाओं की तैयारी कर रही हैं।
एचआर प्रोफेशनल तापसी ध्यानी की बातों से प्रेरित होकर वह अपना सपना पूरा करने में जुटी हैं। तापसी की महुआ से ट्रेन में ही मुलाकात हुई थी। वाशी की रहने वाली महुआ और उनके दोस्त अपनी बात कहने के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्मो का भी सहारा ले रहे हैं।
महुआ मूल रूप से उत्तर प्रदेश की रहने वाली हैं। बचपन में उनकी पढ़ाई काफी प्रतिष्ठित स्कूल में हुई, लेकिन कक्षा 10 के बाद उनके साथी छात्रों ने उनका उत्पीड़न शुरू कर दिया। बाद में उनके माता-पिता को पता चला कि उनकी पहचान एक महिला के रूप में है। इस पर उनकी पिटाई हुई और एक कमरे में बंद कर दिया गया। कुछ दिनों बाद परेशान होकर वह मुंबई भाग आईं। यह बीस साल से भी अधिक पुरानी बात है।
महुआ कहती हैं, यहां पहली बार मैंने खुद को किसी बहिष्कृत के रूप में महसूस नहीं किया। यह थोड़ा शांति देना वाला था, लेकिन मैं जिंदगी में कुछ करना चाहती थी। ट्रांसजेंडर कोई बीमारी नहीं है। मैं जीने के लिए कमाना चाहती थी। शुरू में मैंने सेल्सपर्सन की नौकरी के लिए आवेदन किया, लेकिन वहां अधिक उत्पीड़न हुआ। इसके बाद मुझे अहसास हुआ कि उच्च शिक्षा ही एकमात्र रास्ता है, जो कि मुझे आत्मनिर्भर बना सकता है।
महुआ पर बनी शार्ट फिल्म को मिल चुका है सर्वश्रेष्ठ पुरस्कार
दिलचस्प यह है कि संतोष कांबले ने उन पर एक पांच मिनट की शार्ट फिल्म 'मुंबईज महुआ महुआज मुंबई' भी बनाई है। 2016 में मुंबई फिल्म फेस्टिवल में यह फिल्म दिखाई गई। इसे फेस्टिवल का सर्वश्रेष्ठ सम्मान गोल्डन गेटवे अवार्ड भी मिला था।
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