Maharashtra: सेवाग्राम मार्ग के पेड़ों को बचाने के लिए आगे आईं महात्मा गांधी की तीन पीढ़ियां
Trees Of Sevagram Marg महात्मा गांधी की तीन पीढ़ियों के छह सदस्यों ने महाराष्ट्र के सीएम को पत्र लिखकर सेवाग्राम आश्रम के मार्ग के किनारे लगे वृक्षों को नहीं काटने की अपील की है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। Trees Of Sevagram Marg: वर्धा रेलवे स्टेशन से सेवाग्राम आश्रम तक जाने वाले मार्ग पर लगे हरे-भरे वृक्षों को बचाने के लिए महात्मा गांधी की तीन पीढ़ियों को आगे आना पड़ा है। इन तीन पीढ़ियों के छह सदस्यों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे व पीडब्ल्यूडी मंत्री अशोक चह्वाण को पत्र लिखकर सेवाग्राम आश्रम के मार्ग के किनारे लगे वृक्षों को नहीं काटने की अपील की है। विदर्भ के वर्धा जिले में स्थित सेवाग्राम आश्रम करीब एक दशक तक महात्मा गांधी का निवास स्थान रहा है। यह स्थान आज भी न सिर्फ भारत, बल्कि विदेशियों की आस्था का केंद्र है। महाराष्ट्र सरकार इस मार्ग को चौड़ा करने के लिए इसके किनारे लगे अनगिनत वृक्षों को काटने की योजना बना रही है, ताकि पर्यटकों को आश्रम तक पहुंचने में सुविधा हो। लेकिन सेवाग्राम मार्ग के रास्ते में पड़ने वाले वृक्षों का काटा जाना गांधी परिवार को रास नहीं आ रहा है।
राज्य सरकार के इस निर्णय का विरोध करने के लिए गांधी परिवार की तीन पीढ़ियों के छह सदस्यों ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखा है। इस पत्र की प्रतियां सार्वजनिक निर्माण मंत्री अशोक चह्वाण व पर्यावरण मंत्री आदित्य ठाकरे को भी भेजी गई हैं। पत्र लिखने वालों में इला गांधी, अरुण गांधी, राजमोहन गांधी, गोपालकृष्ण गांधी, कस्तूरी गांधी और तुषार गांधी शामिल हैं। इस उद्देश्य के लिए परिवार की तीन पीढ़ियों को साथ लाने का काम महात्मा गांधी के प्रपौत्र तुषार गांधी ने किया है। मुख्यमंत्री को भेजे गए पत्र में गांधी परिवार के सभी सदस्यों ने अपनी-अपनी भावनाएं व यादें साझा की हैं। इनमें से कुछ सदस्य तो सेवाग्राम आश्रम में बा और बापू के साथ रहे भी हैं। उन्होंने इन वृक्षों को लगाए जाते भी देखा है।
बापू के पौत्र गोपाल कृष्ण गांधी ने लिखा कि महात्मा गांधी पेड़ों को काटे जाने के सख्त खिलाफ थे। 1913 में दक्षिण अफ्रीका के नाताल से ट्रांसवाल तक किए गए मार्च के दौरान उन्होंने जो नियम बनाए थे, उनमें पांचवां नियम था कि रास्ते में पड़ने वाले किसी भी वृक्ष को नुकसान नहीं पहुंचाया जाएगा। परिवार के एक अन्य सदस्य लिखते हैं कि ये पेड़ उन यात्रियों को छाया व विश्राम देने के लिए लगाए गए थे, जो सेवाग्राम आश्रम तक पहुंचने के लिए करीब छह मील की दूरी पैदल तय करते थे। इन वृक्षों को तब आश्रम के ही लोगों ने लगाया और सींचा था। उस क्षेत्र में पानी की बहुत कमी थी। राज्य में अपनी अगुआई में सरकार बनने से कुछ दिनों पहले शिवसेना मुंबई की आरे कॉलोनी में मेट्रो कारशेड का विरोध कर रही थी।