Stolen Mobile Phone: मोबाइल चोरी हो जाए तो जरूर कराएं FIR वरना मिल जाने के बाद भी नहीं मिलेगा फोन
अधिकारियों ने मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर (IMEI numbers) के जरिए फोन मालिकों से संपर्क करने में कामयाबी हासिल की लेकिन एफआईआर दर्ज ना होने की वजह से पुलिस मोबाइल मालिकों को वापस फोन देने में सक्षम नहीं है।
मुंबई, अनुराग कांबले। आज के समय अगर मोबाइल फोन खो जाए या चोरी हो जाए तो परेशान होना स्वाभाविक है। मोबाइल चोरी हो जाने के बाद बहुत ही कम लोग पुलिस स्टेशन जाकर एफआईआर (FIR) दर्ज कराने की इच्छा जताते हैं। ज्यादातर लोग मोबाइल फोन खोने के बाद सिम कार्ड ब्लॅाक कराने या पुलिस स्टेशन में जाकर लापता नोट लिखाने के बाद निश्चिंत हो जातें हैं। मुंबई से एक ऐसा मामला सामने आया है जिसे सुनकर मोबाइल खो जाने के बाद आप भी एफआईआर दर्ज कराने से शायद ना चूंके।
दरअसल, हाल ही में क्राइम ब्रांच के अधिकारियों ने दो जगहों पर छापेमारी में 620 से ज्यादा मोबाइल फोन बरामद किए। मोबाइल फोन के मालिकों का पता लगाए जाने के बावजूद पुलिस फोन वापस नहीं कर पा रही क्योंकि अदालत के अनुसार चोरी की गई संपत्ति को वैध मालिक तक तभी लौटाया जा सकता है, जब चोरी की गई संपत्ति से जुड़ा एफआईआर पुलिस स्टेशन में दर्ज हो।
आईएमईआई नंबर के जरिए फोन मालिकों का चला पता
अधिकारियों ने मोबाइल फोन के आईएमईआई नंबर (IMEI numbers) के जरिए मोबाइल मालिकों से संपर्क करने में कामयाबी हासिल की लेकिन एफआईआर दर्ज ना होने की वजह से पुलिस मोबाइल मालिकों को वापस फोन देने में सक्षम नहीं है। मुंबई के मलाड स्थित 43 साल के व्यक्ति ने बताया कि, 'मेरी मोबाइल फोन कुछ महीने पहले मलाड में बेस्ट बस यात्रा के दौरान चोरी हुई थी। जब मैं मलाड पुलिस स्टेशन गया तो पुलिस ने मुझे बस एक लापता नोट (Missing Note) दिया।' उन्होंने आगे कहा, 'कल मुझे अपराध शाखा से फोन आया कि मेरा फोन मिल गया है। जब मैं यूनिट कार्यालय आया तो मुझसे एफआईआर की कॉपी मांगी गई, लेकिन मेरे पास एफआईआर कॅापी नहीं थी।'
इसी तरह 21 वर्षीय महिला जब मोबाइल फोन खोने के बाद आरसीएफ पुलिस (RCF police) में एफआईआर दर्ज कराने पहुंची तो उन्होंने एफआईआर दर्ज करने से मना कर दिया। उन्होंने कहा,' कुछ दिनों पहले मुझे यह जानकर मिली की मेरी फोन मिल गई है लेकिन एफआईआर दर्ज ना होने की वजह से मैं अपना फोन नहीं ले सकती हूं।' क्राइम ब्रांच यूनिट 6 के अधिकारी अब प्रत्येक थाना प्रभारी को शिकायतकर्ता की प्राथमिकी दर्ज करने की गुजारिश कर रहे हैं। साथ ही यह भी कहा गया है कि इस मामले पर जांच करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि फोन और दोषियों को पहले ही गिरफ्तार किया जा चुका है।
जानें एफआईआर कराने के क्या हैं फायदे
अपराध शाखा के अधिकारियों ने अब तक 100 से अधिक फोन मालिकों को फोन करके एफआईआर दर्ज करके अपने फोन का दावा करने के लिए कहा है, डीसीपी (डिटेक्शन 1) संग्रामसिंह निशानदार ने जानकारी दी कि एफआईआर दर्ज कराने के 2 फायदे हैं। पहला, अदालत में एफआईआर पेश किए जाने के बाद संपत्ति को उचित मालिक को वापस दे दिया जा सकता है। दूसरा, आरोपी को आरोपी को संबंधित पुलिस स्टेशन को सौंप दिया जाएगा ताकि वे अधिक समय तक सलाखों के पीछे रहें।