Sonia Gandhi ने पत्र में CM उद्धव ठाकरे को ऐसा क्या लिखा, कांग्रेस और शिवसेना दोनों को देनी पड़ी सफाई
कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार का हालचाल क्या लिया शिवसेना और कांग्रेस दोनों को सफाई देनी पड़ रही है। जबकि महाराष्ट्र सरकार में ही कांग्रेस कोटे के एक मंत्री सोनिया के इस पत्र को क्रांतिकारी पत्र करार दे रहे हैं।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को पत्र लिखकर महाराष्ट्र विकास आघाड़ी सरकार का हालचाल क्या लिया, शिवसेना और कांग्रेस दोनों को सफाई देनी पड़ रही है। जबकि महाराष्ट्र सरकार में ही कांग्रेस कोटे के एक मंत्री सोनिया के इस पत्र को क्रांतिकारी पत्र करार दे रहे हैं। सोनिया गांधी ने 14 दिसंबर को महा विकास आघाड़ी (मविआ) सरकार के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में मुख्यमंत्री को न्यूनतम समान कार्यक्रम (सीएमपी) पर अमल की याद दिलाते हुए दलितों एवं आदिवासियों के कल्याण की योजनाओं पर ठोस कदम उठाने की सलाह दी गई है।
पत्र में सुझाव दिया गया है कि एससी एवं एसटी के युवाओं को सरकारी ठेकों में आरक्षण दिया जाए। ताकि उनमें व्यावसायिकता का विकास हो सके। माना जा रहा था कि कांग्रेस अध्यक्ष ने यह पत्र उद्धव सरकार के कामकाज से असंतुष्ट होकर लिखा है। आज पत्रकारों से बात करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष एवं उद्धव सरकार में राजस्व मंत्री बालासाहब थोरात ने सफाई दी कि सरकार में असंतोष जैसी कोई बात नहीं है। उनकी पार्टी सरकार से नाखुश कतई नहीं है। कांग्रेस हमेशा से गरीबों एवं पिछड़ों के कल्याण के बारे में सोचती रही है।
कांग्रेस अध्यक्ष का यह पत्र भी इसी संदर्भ में लिखा गया है। इसमें असंतोष जैसी कोई बात नहीं है। लेकिन कांग्रेस कोटे के ही दूसरे मंत्री नितिन राऊत ने सोनिया गांधी के पत्र क्रांतिकारी पत्र बताते हुए कहा है कि यह पत्र अगले चुनाव में पार्टी के सामाजिक एजेंडे को आगे बढ़ाने में सहायक होगा। बता दें कि नितिन राऊत राज्य सरकार में अनुसूचित जाति विभाग के अध्यक्ष भी हैं।
दूसरी ओर इस बारे में शिवसेना को भी सफाई की ही भाषा बोलनी पड़ रही है। पत्रकारों के पूछने पर शिवसेना नेता संजय राऊत ने कहा कि सोनिया गांधी संप्रग की अध्यक्ष हैं एवं महा विकास आघाड़ी के गठन में उनकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। समाज के विभिन्न वर्गों के लिए काम करना ही न्यूनतम साझा कार्यक्रम का एजेंडा है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे उसी दिशा में काम कर रहे हैं। कोविड महामारी के कारण कुछ चीजें पीछे छूट गई हैं। लेकिन सरकार फिर से उन्हें पटरी पर ला महा विकास आघाड़ी के न्यूनतम साझा कार्यक्रम पर चलने की कोशिश कर रही है। इसमें दबाव की राजनीति जैसी कोई बात नहीं है।