शिवसेना के 53वें स्थापना दिवस पर उद्धव ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र में सम-समान हक चाहती है शिवसेना
मुंबई के खचाखच भरे षड्मुखानंद सभागार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के सामने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने कहा कि महाराष्ट्र में शिवसेना सम-समान हक चाहती है।
मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। शिवसेना ने अपने 53वें स्थापना दिवस पर साफ कर दिया है कि वह अगली विधानसभा में भाजपा से सम-समान हक चाहती है। यह बात आज शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने मुंबई के खचाखच भरे षड्मुखानंद सभागार में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस के सामने कही। उद्धव ने स्पष्ट कहा कि आज हम सब एक साथ आए हैं, तो गठबंधन टूटेगा नहीं, फूटेगा नहीं। हम हिंदुत्व के लिए एक रहेंगे। लेकिन बंटवारा सम-समान होना चाहिए। बता दें कि आज पहली बार शिवसेना के स्थापना दिवस समारोह में मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस भी शामिल हुए।
बुधवार को शिवसेना का 53वां स्थापना दिवस था। इस अवसर पर आयोजित समारोह में उद्धव द्वारा कही गई सम-समान अधिकार की बात का अर्थ ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद से लगाया जा रहा है। माना जा रहा है कि यह स्पष्ट संदेश देने के लिए ही शिवसेना के स्थापना दिवस में पहली बार भाजपा के किसी बड़े नेता, वह भी मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस को आमंत्रित किया गया। उद्धव ने अपने संबोधन में फड़नवीस को अपना व्यक्तिगत मित्र भी करार दिया। हालांकि आज ही शिवसेना के मुखपत्र सामना के संपादकीय में साफ कहा गया कि भाजपा से हमारा गठबंधन अवश्य है। लेकिन शिवसेना अपने तेवरवाला संगठन है। शिवसेना एक संकल्प लेकर आगे बढ़ी है।
इसी संकल्प के आधार पर हम कल विधानसभा को भगवा करके छोड़ेंगे और शिवसेना के 54वें स्थापना दिवस समारोह में शिवसेना का मुख्यमंत्री विराजमान होगा। शिवसेना इस संपादकीय के जरिए अपने कार्यकर्ताओं से इसी संकल्प को लेकर काम पर जुट जाने का आह्वान भी किया है। बता दें कि शिवसेना हमेशा से महाराष्ट्र में अपना मुख्यमंत्री बनाने की बात करती रही है। उसकी इसी महत्त्वाकांक्षा के कारण 2014 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले भाजपा के साथ 25 साल से चला आ रहा उसका गठबंधन टूट गया था। लेकिन वह विधानसभा चुनाव भाजपा से अलग होकर लड़ने का कोई लाभ उसे नहीं मिल सका। उलटे वह भाजपा से आधी सीटों पर सिमटकर रह गई।
चुनाव के बाद उसे भाजपा की ही शर्तों पर सरकार में शामिल होना पड़ा। यहां तक कि उपमुख्यमंत्री पद भी उसे हासिल नहीं हो सका। शिवसेना इस दुर्गति की कड़वाहट पूरे चार साल भुला नहीं सकी। केंद्र और राज्य की सरकार में शामिल रहने के बावजूद वह भाजपा एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आलोचना करती रही। शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने 2019 का लोकसभा चुनाव भी भाजपा से अलग लड़ने का फैसला कर लिया था। लेकिन पिछले लोकसभा चुनाव से ठीक पहले दोनों दलों में फिर से समझौता हो गया। जिसके फलस्वरूप भाजपा-शिवसेना गठबंधन राज्य की 48 में से 41 सीटें जीतने में कामयाब रहा। हालांकि इस जीत के बाद शिवसेना को एकता के महत्त्व का अहसास हो चुका है।
माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव में भी वह भाजपा के साथ नई शर्तों पर गठबंधन करने को तैयार हो जाएगी। जिसके अनुसार शिवसेना-भाजपा लगभग बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़ेंगे और साथी दलों के लिए भी कुछ सीटें छोड़ी जाएंगी। जबकि पहले शिवसेना राज्य की 288 विधानसभा सीटों में से 171 पर और भाजपा सिर्फ 117 पर चुनाव लड़ा करती थीं। 2014 में गठबंधन भी उसकी 171 सीटों पर लड़ने की जिद के कारण ही टूट गया था। भाजपा का कहना है कि बराबरी की सीटों पर लड़कर जिस दल की सीटें ज्यादा हों, उसका मुख्यमंत्री बनना चाहिए। जबकि अब शिवसेना अब शिवसेना में महाराष्ट्र में भाजपा की बढ़ती ताकत का अहसास हो चुका है। वह समझ चुकी है कि बराबरी की सीटों पर लड़कर उसके विधायकों की संख्या भाजपा से ज्यादा नहीं हो सकती। ऐसी स्थिति में अब वह भाजपा के सामने ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री पद का प्रस्ताव लाना चाहती है।
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