Move to Jagran APP

Farmers Protest: शरद पवार बोले, राज्यपाल के पास कंगना से मिलने का समय है, किसानों के लिए नहीं

Farmers Protest शरद पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने ऐसा राज्यपाल कभी नहीं देखा। उन्हें कंगना रनोट से मिलने का समय है लेकिन किसानों से मिलने का समय नहीं है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 25 Jan 2021 04:22 PM (IST)Updated: Mon, 25 Jan 2021 06:37 PM (IST)
Farmers Protest: शरद पवार बोले, राज्यपाल के पास कंगना से मिलने का समय है, किसानों के लिए नहीं
शरद पवार बोले, राज्यपाल के पास कंगना से मिलने का समय है, किसानों के लिए नहीं। फाइल फोटो

मुंबई, राज्य ब्यूरो। गणतंत्र दिवस के ठीक एक दिन पहले सोमवार को महाराष्ट्र में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के मोर्चे का आयोजन किया गया। इस मोर्चे का नेतृत्व मुंबई में पूर्व कृषि मंत्री शरद पवार करते नजर आए। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने बिना चर्चा किए कृषि कानून पास करवाए। इस मुद्दे पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। पराव ने कहा कि राज्यपाल के पास कंगना रनोट से मिलने का समय है और किसानों के लिए नहीं। महाराष्ट्र के 21 जिलों से विशेषकर वाम संगठनों से जुड़े किसान 23 जनवरी से ही आने शुरू हो गए थे। सोमवार को दक्षिण मुंबई आजाद मैदान में बड़ी संख्या में आए किसानों की रैली हुई। रैली के आयोजन की कमान मुख्यतः वामदलों के हाथ में थी। रैली को संबोधित करने वाले नेताओं के मुंह से भी लाल बादल, लाल तारा और लाल सलाम जैसे शब्द ही बार-बार सुने जाते रहे।

loksabha election banner

कृषि कानूनों पर सभी पार्टियों से चर्चा होः शरद पवार

महाराष्ट्र में किसानों के एक बड़े नेता राजू शेट्टी भी इस रैली में शामिल होने नहीं पहुंचे। उन्होंने अपने क्षेत्र में सांगली से कोल्हापुर तक ट्रैक्टर रैली करके केंद्र के कृषि कानूनों का विरोध किया। शरद पवार ने कहा कि कोई भी कानून बनाने से पहले उस पर विस्तार से चर्चा होनी चाहिए। लेकिन केंद्र सरकार ने ये तीनों कृषि कानून बिना चर्चा किए ही पास करवा लिए। अब कड़कड़ाती सर्दी में किसान 60 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री ने उनकी सुध ली क्या ? पवार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि केंद्र सरकार कहती है कि आंदोलन में सिर्फ पंजाब के किसान हैं। क्या पंजाब पाकिस्तान में है ? स्वतंत्रता आंदोलन में सबसे आगे रहनेवाला राज्य पंजाब ही है। करोड़ों देशवासियों को अनाज पहुंचाने वाला राज्य पंजाब ही है। पवार के अनुसार, संसद की सेलेक्ट कमेटी के पास यह कानून भेजने की हमारी मांग है। सभी पार्टियों के नेताओं के बीच इस पर चर्चा होनी चाहिए।

दूसरी ओर, विदर्भ क्षेत्र के भंडारा जनपद में पिछले दिनों हुई एक हृदय विदारक घटना के विरोध में भाजपा की ओर से निकाली गई रैली में पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि मुंबई में निकाला गया मोर्चा किसानों का है ही नहीं। कुछ आदिवासियों को भ्रमित करके वहां लाया गया है। जो कृषि कानून वर्षों से महाराष्ट्र में लागू हैं, उन्हीं कानूनों को केंद्र द्वारा लागू किए जाने पर विरोध जताना सिर्फ ढोंग है।

विधान परिषद में प्रतिपक्ष के नेता प्रवीण दरेकर ने भी किसान रैली को लेकर शिवसेना से पूछा कि कृषि कानूनों को लेकर उसकी स्पष्ट राय क्या है ? मुंबई में हुई किसान रैली को सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी का समर्थन बताया जा रहा है। लेकिन इस रैली के मंच पर शिवसेना का कोई नेता दिखाई नहीं दिया। सिर्फ कांग्रेस और राकांपा के नेता ही रैली के मंच पर थे। दरेकर ने यह आरोप भी लगाया कि किसानों के नाम पर आयोजित इस रैली में मुंबई के भेंडी बाजार से लोगों को लाकर बैठाया गया था।

राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी भी निशाने पर

पवार ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी तीखा हमला बोलते हुए कहा कि महाराष्ट्र ने ऐसा राज्यपाल कभी नहीं देखा। उन्हें कंगना रनोट से मिलने का समय है, लेकिन किसानों से मिलने का समय नहीं है। राज्यपाल से मिलने के लिए प्रतिनिधिमंडल जाने वाला है, लेकिन राज्यपाल गोवा चले गए हैं। किसानों की मांगों को सुनने तक की सभ्यता उनमें नहीं है। शरद पवार व किसान नेताओं द्वारा राज्यपाल पर लगाए गए आरोपों के बाद राजभवन की ओर से स्पष्टीकरण भी दिया गया है कि राज्यपाल पूर्वनिर्धारित कार्यक्रम के लिए गोवा गए महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के पास इन दिनों गोवा का भी अतिरिक्त प्रभार है। वहां के एक पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के लिए उन्हें आज गोवा में रहना था। आजाद मैदान में किसानों की रैली समाप्त होने के बाद किसानों का प्रतिनिधिमंडल रैली की शक्ल में ही राज्यपाल को ज्ञापन देने निकला था। लेकिन उस रैली को मेट्रो चौराहे पर ही रोक लिया गया। किसानों को बताया गया कि राज्यपाल राजभवन में नहीं हैं। लेकिन किसान राजभवन में जाकर अपना ज्ञापन दे सकते हैं। किसानों को यह मंजूर नहीं था। उन्होंने दिए गए समय पर राज्यपाल के राजभवन में मौजूद न रहने को किसानों का अपमान बताते हुए उन्हें दिया जानेवाला ज्ञापन विरोध स्वरूप मेट्रो चौराहे पर ही फाड़कर फेंक दिया। किसान नेता अशोक ढवले ने घोषणा की कि वे अब यह ज्ञापन सीधे राष्ट्रपति को भेजेंगे।

इस रैली को राज्य में सत्तारूढ़ महाविकास अघाड़ी का समर्थन बताया जा रहा था। राकांपा अध्यक्ष शरद पवार के साथ, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बालासाहब थोरात, मुंबई अध्यक्ष भाई जगताप, किसान नेता हन्नान मुल्ला, समाजवादी पार्टी के नेता अबू आसिम आजमी, सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर, तीस्ता सीतलवाड़ व पी साईंनाथ मौजूद दिखे।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.