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औद्योगिक क्षेत्रों में जड़ें जमाने में लगे सात नक्सली गिरफ्तार

एटीएस के हत्थे चढ़े सातों नक्सली तेलंगाना के मूल निवासी हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 14 Jan 2018 02:37 PM (IST)Updated: Sun, 14 Jan 2018 02:37 PM (IST)
औद्योगिक क्षेत्रों में जड़ें जमाने में लगे सात नक्सली गिरफ्तार
औद्योगिक क्षेत्रों में जड़ें जमाने में लगे सात नक्सली गिरफ्तार

ओमप्रकाश तिवारी, मुंबई। मुंबई एटीएस ने नक्सलियों का बड़ा नेटवर्क ध्वस्त करने में सफलता पाई है। शुक्रवार से अब तक एटीएस के हत्थे चढ़े सातों नक्सली तेलंगाना के मूल निवासी हैं और ये सभी महाराष्ट्र एवं गुजरात के औद्योगिक क्षेत्रों में अपने संगठन की जड़ें जमाने में लगे थे।

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खास बात यह है कि पकड़े गए सात में से छह नक्सली मुंबई के उसी क्षेत्र से पकड़े गए हैं, जो दो और तीन जनवरी को दलित आंदोलन का केंद्र रहा था। इन सभी को घाटकोपर के रमाबाई आंबेडकर नगर, विक्रोली एवं कामराज नगर से गिरफ्तार किया गया है। एटीएस का दावा है कि ये सभी गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम, 1967 (यूएपीए) के तहत प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) के लिए काम कर रहे थे। साथ ही, ये सभी गुजरात एवं महाराष्ट्र के औद्योगिक क्षेत्रों में अपने संगठन की जड़ें जमाने का प्रयास कर रहे थे।

अपने विचारों के प्रसार के लिए ये संगठन कई वर्ष पहले गुजरात और महाराष्ट्र को गोल्डन कॉरीडोर अर्थात स्वर्णिम गलियारा घोषित कर चुका है। गिरफ्तार किए गए सभी नक्सली गोल्डन कॉरीडोर कमेटी के लिए ही काम कर रहे थे। महाराष्ट्र के पुणे, कल्याण एवं ठाणे से पहले भी नक्सलियों की बौद्धिक शाखा के कुछ लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं।

एटीएस सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को उन्हें एक नक्सली कैडर के कल्याण स्टेशन पर आने की सूचना मिली थी। एटीएस टीम ने अपने सूत्रों से मिली जानकारी के आधार पर उसे कल्याण स्टेशन पहुंचकर हिरासत में ले लिया। गहराई से की गई पूछताछ में उसने स्वीकार किया कि वह और मुंबई में रहनेवाले उसके कुछ साथी प्रतिबंधित संगठन सीपीआइ (माओवादी) के लिए काम कर रहे हैं।

उसी की निशानदेही पर एटीएस ने घाटकोपर एवं विक्रोली क्षेत्रों से पंचों की उपस्थिति में छह और लोगों को गिरफ्तार किया। इन सभी पर यूएपीए की विभिन्न धाराओं के तहत मामला दर्ज किया गया है। एटीएस ने पूछताछ के लिए इन सभी को 16 जनवरी तक पुलिस रिमांड पर ले लिया है। पूछताछ में इनसे यह जानने की कोशिश भी की जा रही है कि कहीं जनवरी के प्रथम सप्ताह में महारा‌र्ष्क में फैले उपद्रव में तो इस संगठन की भूमिका नहीं थी।

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