Maharashtra: पालघर में हुई तीन लोगों की ‘मॉब लिंचिंग’ में हत्या पर संत समाज में रोष
mob lynching in Palghar. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने पालघर में मॉब लिंचिंग पर रोष जताया है।
राज्य ब्यूरो, मुंबई। Mob Lynching in Palghar. महाराष्ट्र के पालघर जिले में हुई मॉब लिंचिंग पर संत समाज में रोष व्याप्त है। श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी विश्वेश्वारानंद गिरि महाराज ने महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को पत्र लिखकर इस घटना को सभ्य समाज पर कलंक बताया है। महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने भी इस घटना पर रोष जताया है।
पालघर के जिलाधिकारी कैलाश शिंदे के अनुसार मुंबई के कांदीवली स्थित एक आश्रम में रहने वाले सुशील गिरि महाराज अपने दो सहयोगियों के साथ एक किराए के वाहन से एक अंतिम संस्कार में भाग लेने सूरत जा रहे थे। गाड़ी महाराष्ट्र के अंदरूनी हिस्से से होकर गुजर रही थी। इनके वाहन को वन विभाग के एक संतरी ने महाराष्ट्र एवं केंद्रशासित प्रदेश दादरा एवं नगरहवेली की सीमा पर स्थित गढ़चिचले गांव के पास रोका। क्षेत्र में पिछले कुछ दिनों से रात में फसल काटने एवं बच्चा चुराने वाला गिरोह सक्रिय होने की अफवाह फैली हुई थी।
इससे बचने के लिए ग्रामीणों ने निगरानी दल का गठन कर लिया था। पिछले सप्ताह यह दल एक मेडिकल अफसर एवं एक पुलिस टीम की भी पिटाई कर चुका था। बुधवार की रात करीब 10 बजे सूरत जा रहे सुशील गिरि महाराज वनविभाग के संतरी से बात कर ही रहे थे, तभी गांव का निगरानी दल आ गया और कुछ देर बाद ही गाड़ी में मौजूद लोगों की पिटाई शुरू कर दी।
वन विभाग के संतरी ने तुरंत इस घटना की सूचना 35 किलोमीटर दूर स्थित कासा पुलिस थाने को दी। पुलिस के पहुंचने तक ग्रामीण गाड़ी में मौजूद तीनों लोगों की बुरी तरह पिटाई कर चुके थे। गाड़ी भी तोड़ डाली थी। इस घटना के समय ही कुछ लोग इसका वीडियो भी बना रहे थे। पुलिस टीम ने वहां पहुंचकर पिट रहे तीन लोगों को पुलिस वाहन में बैठाया। लेकिन करीब 400 ग्रामीणों ने उन तीन यात्रियों सहित पुलिस टीम पर भी हमला बोल दिया और पुलिस की गाड़ी में ही सुशील गिरि महाराज और उनके दो साथियों की जान ले ली।
बताया जाता है कि इस हमले में कई पुलिसकर्मी भी घायल हुए हैं। स्वामी विश्वेस्वरानंद गिरि ने राज्यपाल को लिखे पत्र में कहा कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एवं गृहमंत्री को सीधा जवाब देना चाहिए कि यह घटना क्यों हुई ? यदि अन्य किसी धर्म विशेष या व्यक्ति के साथ यह घटना होती, क्या तो भी मानवाधिकारवादी एवं मीडिया चुप बैठता ?