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राज्यसभा उपसभापति चुनाव: अनुपस्थित रहकर मराठी कार्ड खेल सकती है शिवसेना

राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में भाजपा के दो सहयोगी शिरोमणि अकाली दल एवं शिवसेना द्वारा सदन में अनुपस्थित रहने की संभावना जताई जा रही है।

By BabitaEdited By: Published: Wed, 08 Aug 2018 07:56 AM (IST)Updated: Wed, 08 Aug 2018 11:53 AM (IST)
राज्यसभा उपसभापति चुनाव: अनुपस्थित रहकर मराठी कार्ड खेल सकती है शिवसेना
राज्यसभा उपसभापति चुनाव: अनुपस्थित रहकर मराठी कार्ड खेल सकती है शिवसेना

मुंबई, ओमप्रकाश तिवारी। राज्यसभा के उपसभापति चुनाव में शिवसेना अनुपस्थित रहकर भी मराठी कार्ड खेलने की कोशिश करेगी। यदि राजग प्रत्याशी जीता को हाल के विश्वासमत की तर्ज पर भाजपा से अपनी नाराजगी प्रदर्शित करेगी, और यदि संयुक्त विपक्ष की ओर संभावित प्रत्याशी राकांपा की वंदना चह्वाण जीतीं तो उनकी जीत का श्रेय लेना चाहेगी।

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राज्यसभा उपसभापति चुनाव के दौरान सरकार में भाजपा के दो सहयोगी शिरोमणि अकाली दल एवं शिवसेना द्वारा सदन में अनुपस्थित रहने की संभावना जताई जा रही है। इन दोनों के तीन-तीन सदस्य हैं। सदन में अनुपस्थित रहकर अकाली दल क्या हासिल करेगा, पता नहीं। लेकिन शिवसेना ऐसा करके भाजपा से अपने टकराव का संदेश जरूर देना चाहेगी। पिछले विधानसभा चुनाव के पहले से ही उसका यह टकराव भाजपा के साथ चला आ रहा है। भाजपा की ओर से इसे खत्म करने की कई बार कोशिश भी गई। ऐसी ही एक कोशिश भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे से उनके घर पर मुलाकात करके भी की थी। लेकिन शिवसेना के सुर नहीं बदले। वह भविष्य में कोई भी चुनाव भाजपा के साथ न मिलकर लडऩे की बात लगातार दोहराती आ रही है। 

ऐसी स्थिति में शिवसेना राज्यसभा उपसभापति चुनाव को भी एक अवसर के रूप में ही देखेगी। जैसा कि राष्ट्रपति पद के लिए संप्रग उम्मीदवार प्रतिभाताई पाटिल का समर्थन करके शिवसेना ने मराठी कार्ड खेला था। माना जा रहा है कि यदि राकांपा की ओर से वंदना चह्वाण को संयुक्त विपक्ष का उम्मीदवार बनाया गया, तो शिवसेना सदन में अनुपस्थित रहकर उन्हें परोक्ष समर्थन करने का संदेश महाराष्ट्रवासियों को देना चाहेगी। 

बता दें कि शिवसेना महाराष्ट्र की राजनीति में भाजपा के बड़े भाई की भूमिका निभाना चाहती है। अर्थात मुख्यमंत्री पद पर वह अपना दावा बरकरार रखना चाहती है। जबकि भाजपा पिछले विधानसभा चुनाव से ही बराबरी की सीटों पर चुनाव लड़कर अधिक सीट पानेवाले दल को मुख्यमंत्री पद मिलने की पक्षधर रही है। 


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