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एलगार परिषद मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रोफेसर गिरफ्तार, जानें क्‍या है आरोप

हनी बाबू पर भीमा-कोरेगांव हिंसा की साजिश में शामिल होने का आरोप है। उसे बुधवार को मुंबई स्थित एनआईए कोर्ट में पेश किया जाएगा।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Tue, 28 Jul 2020 10:04 PM (IST)Updated: Wed, 29 Jul 2020 02:05 AM (IST)
एलगार परिषद मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रोफेसर गिरफ्तार, जानें क्‍या है आरोप
एलगार परिषद मामले में दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रोफेसर गिरफ्तार, जानें क्‍या है आरोप

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र के एलगार परिषद मामले में राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने आज दिल्ली विश्वविद्यालय के अंग्रेजी विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर हनी बाबू एम.टी. को गिरफ्तार कर लिया। एनआई के मुंबई कार्यालय में उससे 23 जुलाई से पूछताछ की जा रही है। हनी बाबू पर भीमा-कोरेगांव हिंसा की साजिश में शामिल होने का आरोप है। उसे बुधवार को मुंबई स्थित एनआईए कोर्ट में पेश किया जाएगा। 

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बारहवां आरोपी है हनी बाबू 

54 वर्षीय हनी बाबू उत्तर प्रदेश के गौतम बुद्ध नगर का रहनेवाला है। वह एलगार परिषद मामले में गिरफ्तार बारहवां आरोपी है। उससे पहले प्रथम चरण में सुरेंद्र गडलिंग, शोमा सेन, रोना विल्सन, महेश राऊत एवं सुधीर धवले को गिरफ्तार किया गया था। दूसरे चरण में पी. वरवर राव, सुधा भारद्वाज, वर्नन गोंसाल्विस एवं अरुण फरेरा को गिरफ्तार किया गया। जबकि इसी वर्ष अप्रैल में प्रोफेसर आनंद तेलतुंबड़े एवं गौतम नौलखा को गिरफ्तार किया जा चुका है।

प्रोफेसर तेलतुंबड़े डॉ. बाबासाहब आंबेडकर के पौत्र एवं महाराष्ट्र के एक राजनीतिक दल वंचित बहुजन आघाड़ी के अध्यक्ष प्रकाश आंबेडकर का रिश्तेदार है। अब तक इस मामले में गिरफ्तार सभी 12 आरोपियों के सीपीआई (माओवादी) से संबंध रखने का आरोप है। आज गिरफ्तार हनी बाबू नागपुर जेल में सजा काट रहे जीएन साईंबाबा के बचाव के लिए बनी समिति का सदस्य रहा है। जीएन साईंबाबा भी दिल्ली विश्वविद्यालय का प्रोफेसर एवं सीपीआई(माओवादी) का सदस्य रहा है। 

भीमा-कोरेगांव में हिंसा फैलाने की साजिश रची गई 

जीएन साईंबाबा के अलावा उपरोक्त सभी गिरफ्तार आरोपियों की गिरफ्तारी 31 दिसंबर, 2017 को पुणे के शनिवारवाड़ा के बाहर एलगार परिषद के आयोजन के लिए की गई थी। पुणे पुलिस का आरोप है कि उक्त परिषद में ही अगले दिन भीमा-कोरेगांव पर होने जा रहे दलित जमावड़े में हिंसा फैलाने की साजिश रची गई थी। इस परिषद को आर्थिक मदद सीपीआई (माओवादी) द्वारा पहुंचाई गई थी।

पुणे पुलिस का आरोप है कि एक जनवरी, 2018 को भीमा-कोरेगांव में हिंसा फैलाकर शहरी नक्सल समूह राज्य सरकार को अस्थिर करने की योजना बना रहा था। इस समूह पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या जैसी कोई साजिश भी रची जा रही थी। अप्रैल में गिरफ्तार गौतम नौलखा पर तो कश्मीरी आतंकियों से भी संबंध रखने का आरोप है। एनआईए गौतम नौलखा के जरिए नक्सली-आतंकी संबंधों की भी जांच कर रही है। एनआईए ने हनी बाबू को 11 जुलाई को ही सम्मन भेजकर पूछताछ के लिए 15 जुलाई को मुंबई आने को कहा था।     


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