महाराष्ट्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा-परमबीर व्हिसलब्लोअर नहीं, ट्रांसफर के बाद लगाए भ्रष्टाचार के आरोप
Maharashtra मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को कानून के अंतर्गत व्हिसलब्लोअर के रूप में विचार नहीं किया जा सकता क्योंकि उन्होंने अपना ट्रांसफर होने के बाद पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। यह बात महाराष्ट्र सरकार ने कही।
नई दिल्ली, प्रेट्र। महाराष्ट्र सरकार ने कहा कि मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह को कानून के अंतर्गत व्हिसलब्लोअर के रूप में विचार नहीं किया जा सकता, क्योंकि उन्होंने अपना ट्रांसफर होने के बाद पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। यह बात राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में परमबीर की याचिका को निरस्त करने की मांग करते हुए 83 पेज के अपने जवाब में कही। न्यायमूर्ति एसके कौल की अध्यक्षतावाली शीर्ष कोर्ट की पीठ ने मुंबई के पूर्व पुलिस आयुक्त को 22 नवंबर को बड़ी राहत दी थी और महाराष्ट्र पुलिस को उनके खिलाफ दर्ज आपराधिक मामलों में गिरफ्तार न करने का आदेश दिया था। पीठ ने इस बात पर आश्चर्य जताया था कि जबरन वसूली और पुलिस अधिकारियों के खिलाफ मामले दर्ज करने के कारण ही क्या उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।
महाराष्ट्र सरकार ने 83 पेज में दिया जवाब
उधर, पूरे मामले की जांच सीबीआइ से कराने की परमबीर सिंह की याचिका को निरस्त करने की मांग करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल किया और कहा कि वरिष्ठ पुलिस अधिकारी के खिलाफ आपराधिक मामलों को लेकर चल रही जांच में हस्तक्षेप नहीं किया चाहिए। राज्य सरकार की ओर से महाराष्ट्र गृह मंत्रालय के संयुक्त सचिव वेंकटेश माधव की ओर से दाखिल हलफनामे में कहा गया कि याचिकाकर्ता परमबीर को व्हिसलब्लोअर के रूप में विचार नहीं किया जा सकता। जहां तक वर्तमान मामले की बात है तो तथ्यों के दृष्टिगत वह व्हिसलब्लोअर प्रोटेक्शन एक्ट 2014 के तहत नहीं आते। महाराष्ट्र सरकार की ओर से कहा गया कि परमबीर ने 20 मार्च, 2021 को अपने ट्रांसफर के तीन दिन बाद भ्रष्टाचार के आरोप वाला पत्र लिखा, इसलिए उनको व्हिसलब्लोअर नहीं माना जा सकता। 83 पेज के जवाब में राज्य सरकार ने कहा कि परमबीर को हाल में खराब आचरण समेत कई मामलों के आरोप में निलंबित किया गया है। उनके खिलाफ विभिन्न मामलों को लेकर पुलिस जांच चल रही है।