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प्रेग्‍नेंसी में ओमिक्रान की चपेट में आना साबित हो सकता है घातक, कई नवजात अब तक गंवा चुके हैं जान

प्रेग्‍नेंसी के आखिरी तीन हफ्तों में अगर मां ओमिक्रान की चपेट आ गई तो यह बच्‍चे के लिए जानलेवा साबित हो सकता है इसलिए इस दौरान विशेष ध्‍यान रखने की जरूरत है। एन-95 मास्‍क का इस्‍तेमाल का उपयोग इस समय में हमेशा करते रहने चाहिए।

By Jagran NewsEdited By: Arijita SenPublished: Thu, 06 Oct 2022 03:52 PM (IST)Updated: Thu, 06 Oct 2022 03:52 PM (IST)
प्रेग्‍नेंसी में ओमिक्रान की चपेट में आना साबित हो सकता है घातक, कई नवजात अब तक गंवा चुके हैं जान
गर्भावस्‍था में ओमिक्रान की चपेट में आना पड़ सकता है भारी

मुंबई, जागरण डिजिटल डेस्‍क। गर्भावस्‍था के समय में बच्‍चे पर उसकी मां की सेहत का बहुत असर पड़ता है। ऐसे में अगर गर्भावस्था के आखिरी के तीन महीनों में मां कोरोना के नए स्‍वरुप ओमिक्रान (Omicron) की चपेट में आती हैं, तो बच्‍चे पर भी इसका घातक प्रभाव पड़ता है।

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बीते नौ महीनों में 15 शिशुओं की मल्टीसिस्टम इंफ्लेमेटरी सिंड्रोम (multisystem inflammatory syndrome) की वजह से मौत हो गई है जिसका दावा एक महिला व शिशु रोग विशेषज्ञ ने किया है जो खुद इस वक्‍त इसी समस्‍या से जूझ रहे एक दस दिन के नवजात का इलाज करने में जुटे हुए हैं। बच्‍चा फिलहाल वेंटिलेटर सपोर्ट पर है। मालूम हो कि बच्‍चा ओमिक्रान की जांच में पाजिटिव पाया गया है। इससे उसके फेफड़े पर काफी बुरा असर पड़ा है।

डाक्‍टरों की सलाह मां-पिता पहन कर रखें N95 मास्‍क

चिकित्‍सकों ने अपने उन सभी मरीजों को हमेशा सावधानी के तौर पर N95 मास्‍क पहनकर रखने की सलाह दी है जो जल्‍द ही माता-पिता बनने वाले हैं क्‍योंकि अगर मां कहीं से ओमिक्रान का शिकार बनती हैं तो बच्‍चा भी इससे नहीं बच पाता है। यदि बच्‍चा गर्भ में पूरी तरह से विकसित हो चुका है, फिर भी खतरे की संभावना बनी रहती है। 

मिडे डे ने इसकी पड़ताल की और इस संदर्भ में इम्‍यूनोलाजिस्‍ट जैकब जॉन (Jacob John) से संपर्क किया। उन्‍होंने कहा कि ऐसे मामलों को बिल्‍कुल भी अनदेखा नहीं करना चाहिए, बल्कि इनकी जानकारी तुरंत ICMR (Indian Council of Medical Research ) और NIV (National Institute of Virology) को देनी चाहिए। इनके द्वारा ऐसे मामलों पर शोध के लिए विशेषज्ञों की एक टीम भेजी जाती है जो यह सुनिश्चित करने का काम करते हैं कि बच्‍चे में फेफड़े के संक्रमण के लिए असल में कौन सा कारक जिम्‍मेदार है।

अक्‍टूबर, 2021 में इस पर मिड डे का एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसका शीर्षक “37 percent of recovered patients show long covid syndrome: study” था। इसमें बताया गया था कि विशेषज्ञ आक्‍सफोर्ड विश्‍वविद्यालय के एक शोध के नतीजे से चिंतित हैं। इस लेख में मरीजों और देश भर में मौजूद पोस्‍ट-कोविड सेंटर्स के साथ नियमित संपर्क बनाए रखने की बात पर जोर दिया गया था।

गुजरात के हास्पिटल में चार में से तीन बच्‍चों की मौत

गुजरात के वडोदरा में मधुवन मेटरनिटी और आई हास्पिटल चलाने वाले प्रसूति-विज्ञान चिकित्‍सक और महिला रोग विशेषज्ञ डा राजेश पारेख ने कहा, यह दुर्भाग्‍यजनक है कि मेरे मेटरनिटी होम में पैदा हुए चार नवजात शिशुओं में कोविड-19 से संबंधित MIS-N (Multisystem Inflammatory Syndrome in Neonates) के होने का पता चला है।

इनमें से तीन की पहले ही मौत हो चुकी है और चौथा बिल्‍कुल स्‍वस्‍थ पैदा हुआ था, लेकिन अचानक उसकी तबीयत ऐसी बिगड़ी कि उसे नवजात गहन चिकित्सा इकाई (NICU) में शिफ्ट कराया गया।

डा पारेख ने बच्‍चे की स्थिति और उसके एक्‍सरे को ट्वीट किया था, जो देखते ही देखते सोशल मी‍डिया पर वायरल हो गया और दुनियाभर में चर्चा का विषय बन गया।

बच्‍चे की हालत दिल दुखानेवाला: डा पारेख

जब उनसे इस बारे में विस्‍तार से पूछा गया, तो उन्‍होंने कहा कि बच्‍चे के माता-पिता को कोरोना वैक्‍सीन के दोनों डोज लग चुके हैं। दोनों कभी कोरोना की चपेट में भी नहीं आए हैं। इसके बावजूद अचानक बच्‍चे की हुई ऐसी हालत से दोनों सकते में आ गए हैं। यह वाकई में दिल दुखाने वाला है। 

डा पारेख ने सभी गर्भवती महिलाओं और उनके पतियों से अपील की है कि N95 मास्‍क का इस्‍तेमाल करना इस दौरान बिल्‍कुल न भूलें। खासकर गर्भावस्‍था के आखिरी तीन हफ्तों में सावधानी का विशेष ध्‍यान रखें।

उन्‍होंने कहा, 'हम पहले ही कोरोना से जूझ रहे तीन बच्‍चों को खो चुके हैं, सिर्फ एक ही बच पाया है। ओमिक्रान नवजात शिशुओं के लिए घातक है। मैं इस बच्‍चे के जल्‍द स्‍वस्‍थ होने की दुआ करता हूं।'


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