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Marathi: महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में अब मराठी को पढ़ाना अनिवार्य, विधानसभा में पारित हुआ विधेयक

Marathi. महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी भाषा के विषय को अनिवार्य बनाने वाला विधेयक राज्य विधानसभा में बहुमत के साथ पारित हो गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 27 Feb 2020 06:00 PM (IST)Updated: Thu, 27 Feb 2020 06:00 PM (IST)
Marathi: महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में अब मराठी को पढ़ाना अनिवार्य, विधानसभा में पारित हुआ विधेयक
Marathi: महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में अब मराठी को पढ़ाना अनिवार्य, विधानसभा में पारित हुआ विधेयक

मुंबई, एएनआइ। Marathi. महाराष्ट्र के सभी स्कूलों में मराठी भाषा के विषय को अनिवार्य बनाने वाला विधेयक वीरवार को राज्य विधानसभा में बहुमत के साथ पारित हो गया है। इस विधेयक के मुताबिक, विधेयक का पालन न करने पर स्कूलों को भारी जुर्माना भरना पड़ सकता है।

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खाद्य और नागरिक आपूर्ति मंत्री छगन भुजबल ने कहा कि मराठी एक प्राचीन भाषा थी। पूर्व मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा कि इस मामले में उनके कार्यकाल के दौरान एक समिति का गठन किया गया था।

आशीष शेलार ने कहा कि मराठी भाषा थी। रवींद्र वायकर (शिवसेना) ने भी मराठी के मामले में अपनी बात रखी। 

गौरतलब है कि महाराष्ट्र में काफी समय से स्कूलों में मराठी को अनिवार्य करने की मांग की जा रही थी। इस मामले को लेकर महाराष्ट्र में खूब राजनीति भी हुई है। आखिरकार सरकार को स्कूलों में मराठी की पढ़ाई को अनिवार्य करना ही पड़ा। राज ठाकरे की मनसे इस मसले पर आंदोलन भी कर चुकी है। 

छगन भुजबल ने भी स्कूलों में मराठी को अनिवार्य करने की मांग की थी। राज ठाकरे भी इसकी काफी समय से मांग कर रहे थे।

इस बीच, पटना बिहार विधानसभा ने गुरुवार को जाति आधारित जनगणना का प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित कर दिया। जनगणना अगले वर्ष होने वाली है। महाराष्ट्र के बाद बिहार दूसरा राज्य है जिसने इस आशय का प्रस्ताव केंद्र को भेजने का निर्णय लिया है। दो दिन पूर्व विधानसभा में राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर (एनपीआर) और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) के मसले पर आए कार्यस्थगन प्रस्ताव की मंजूरी के बाद इस विषय पर चर्चा के दौरान मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सदन से आग्रह किया था कि जाति आधारित जनगणना कराए जाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाए। इस पर विपक्ष की भी सहमति थी। पिछले वर्ष 18 फरवरी को भी विधानसभा ने इस आशय का प्रस्ताव पारित किया था। मुख्यमंत्री का कहना है कि अगले वर्ष जनगणना होनी है इसलिए इस बारे में फिर से प्रस्ताव पारित कर भेजा जाना चाहिए।

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