मुंबई, राज्य ब्यूरो। आर्यन खान ड्रग मामले में नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) पर फिर कई गंभीर आरोप लगे हैं। एनसीबी ने इन आरोपों का खंडन किया है, लेकिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने इन आरोपों की एसआइटी बनाकर जांच करवाने की मांग की है। इसी माह दो अक्तूबर को शाह रुख खान के बेटे आर्यन खान की गिरफ्तारी के समय एनसीबी द्वारा पंच बनाए गए एक व्यक्ति ने आरोप लगाया है कि एनसीबी ने उससे 10 सादे कागजों पर दस्तखत करवाए हैं। प्रभाकर नामक यह व्यक्ति पहले भी चर्चा में आ चुके इसी मामले के एक और पंच केपी गोसावी का ड्राइवर व बाडीगार्ड है। उसने एक हलफनामे में यह भी कहा है कि उसने गोसावी को अपने एक साथी के साथ 25 करोड़ रुपये की बातचीत करते सुना है। जिसमें से आठ करोड़ रुपये एनसीबी मुंबई के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को दिए जाने की बात की जा रही थी। यह हलफनामा अभी किसी अदालत में नहीं दिया गया है। प्रभाकर सैल ने अपनी जान को भी खतरा बताया है।
नवाब मलिक के निशाने पर समीर वानखेड़े
एनसीबी व इसके जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े आर्यन खान की गिरफ्तारी के बाद से ही महाराष्ट्र सरकार, विशेषकर इस सरकार के एक मंत्री नवाब मलिक के निशाने पर हैं। प्रभाकर के आरोपों के बाद यह मामला एक नया मोड़ लेता दिखाई दे रहा है। प्रभाकर ने अपने हलफनामे में लिखा है कि वह आर्यन खान मामले में पंच बनाए गए केपी गोसावी का ड्राइवर व बाडीगार्ड है। गोसावी ने उसे दो अक्टूबर की सुबह ही एनसीबी कार्यालय बुला लिया था। शाम को उसे क्रूज टर्मिनल के गेट पर खड़े रहने का आदेश दिया और वाट्सएप पर कुछ तस्वीरें भेजकर अंदर आने वाले लोगों में उस तस्वीर से पहचान करने को कहा। तस्वीर वाले व्यक्ति के आने पर उसने गोसावी को वाट्सएप पर सूचना दी थी। इसके कुछ देर बाद ही गोसावी ने उसे बताया कि 13 लोगों को एनसीबी द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है।
प्रभाकर ने कही ये बात
प्रभाकर के अनुसार, इन गिरफ्तारियों के बाद उसने गोसावी को अपने मित्र सैम डिसूजा से फोन पर बात करते सुना था कि तुम 25 करोड़ का बम फोड़ना। फिर मैं 18 करोड़ पर समझौता करूंगा। इसमें से आठ करोड़ रुपये एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े को दिए जाने हैं। प्रभाकर के अनुसार इस बातचीत के कुछ देर बाद ही परेल इलाके में गोसावी व सैम डिसूजा की शाह रुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी से एक नीली मर्सिडीज कार में करीब 15 मिनट की मुलाकात हुई। फिर गोसावी ने उसे (प्रभाकर को) को ताड़देव सिग्नल के पास जाने को कहा। वहां एक सफेद कार से व्यक्ति ने उसे नकद रुपयों से भरे दो बैग दिए। वह ये दोनों बैग लेकर वाशी स्थित गोसावी के घर गया। तब गोसावी ने ये पैसे सैम डिसूजा को देने के लिए कहे। जब उसने सैम को पैसे दिए तो सैम ने पैसे गिनने के बाद कहा कि ये तो सिर्फ 38 लाख रुपये ही हैं। 12 लाख कम हैं। प्रभाकर का कहना है कि इस घटना के बाद से केपी गोसावी फरार है। पुलिस उसकी तलाश कर रही है। दो दिन पहले गोसावी की एक सहयोगी को पुणे पुलिस ने गिरफ्तार भी किया है। प्रभाकर के अनुसार गोसावी के कहने पर ही वह एनसीबी आफिस गया था, जहां उसे आर्यन खान मामले में पंच बनाया गया। इस मामले में पंच बनाए गए कुल नौ लोगों में वह पंच नंबर दो है। जबकि केपी गोसावी पंच नंबर एक है। यहीं पर एनसीबी अधिकारियों ने उससे 10 सादे कागजों पर दस्तखत करवाए थे।
एसआइटी से जांच कराने की मांग
आर्यन खान ड्रग मामले में प्रभारकर सैल का हलफनामा सामने आने के बाद राज्य की महाविकास अघाड़ी सरकार के हौसले बुलंद हो गए हैं। पहले से एनसीबी पर कई गंभीर आरोप लगाते आ रहे राकांपा प्रवक्ता नवाब मलिक ने इसे गंभीर मामला बताते हुए राज्य सरकार से एसआइटी का गठन कर इस मामले की जांच कराने की मांग की है। उन्होंने अपने ट्वीटर एकाउंट सत्यमेव जयते भी लिखा है। वहीं, शिवसेना प्रवक्ता संजय राउत ने भी कहा है कि यदि एनसीबी ने किसी से सादे कागजों पर दस्तखत करवाए हैं, तो यह गंभीर मामला है। उनके अनुसार, मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि गृहमंत्री दिलीप वलसे पाटिल को स्वतः संज्ञान लेकर इस मामले की जांच करवानी चाहिए। इस बीच, कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने आर्यन खान की गिरफ्तारी में शामिल रहे सभी एनसीबी अधिकारियों पर एनडीपीएस की धारा 59 के तहत मामला दर्ज कर कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा है कि आज के खुलासे से एनसीबी की छवि को गहरा धक्का लगा है। महाविकास अघाड़ी सरकार को इसी जांच करनी चाहिए।
एनसीबी ने दी सफाई
नार्कोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) पर लगे गंभीर आरोपों के बाद इसके डिप्टी डायरेक्टर जनरल मुथा अशोक जैन ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर कहा है कि प्रभाकर का हलफनामा इंटरनेट मीडिया के जरिए हमारे सामने आया है। इस हलफनामे में प्रभाकर सैल ने दो अक्तूबर, 2021 को अपनी गतिविधियों की जानकारी दी है। वह इस मामले में गवाह है, और यह मामला कोर्ट में विचाराधीन है। उसे अपना प्रार्थनापत्र कोर्ट में देना चाहिए, न कि इंटरनेट मीडिया के जरिए कुछ कहना चाहिए। बयान में यह भी कहा गया है कि इन आरोपों के संबंध में हमारी जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े से बाद हुई है। उन्होंने इन आरोपों का खंडन किया है। चूंकि हलफनामे का कुछ हिस्सा सतर्कता से जुड़े मामलों से संबंधित है। इसलिए मैं यह हलफनामा एनसीबी के डायरेक्टर जनरल को भेजकर उनसे आगे की कार्रवाई के लिए आग्रह कर रहा हूं।
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