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Maharashtra: जबरन वसूली मामले में परमबीर सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र पेश

Maharashtra मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने शनिवार को मुंबई के ही पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के विरुद्ध जबरन वसूली मामले में आरोप पत्र दाखिल कर दिया। यह आरोपपत्र मुंबई के गोरेगांव थाने में उनके विरुद्ध दायर एक आपराधिक मामले में दाखिल किया गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 04 Dec 2021 06:09 PM (IST)Updated: Sat, 04 Dec 2021 06:09 PM (IST)
Maharashtra: जबरन वसूली मामले में परमबीर सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र पेश
जबरन वसूली मामले में परमबीर सिंह के विरुद्ध आरोप पत्र पेश। फाइल फोटो

राज्य ब्यूरो, मुंबई। महाराष्ट्र में मुंबई पुलिस की अपराध शाखा ने शनिवार को मुंबई के ही पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह के विरुद्ध जबरन वसूली मामले में आरोपपत्र दाखिल कर दिया। यह आरोपपत्र मुंबई के गोरेगांव थाने में उनके विरुद्ध दायर एक आपराधिक मामले में दाखिल किया गया है। गोरेगांव पुलिस थाने में यह मामला एक भवन निर्माता बिमल अग्रवाल की ओर से दर्ज कराया गया था। जिसमें उन्होंने परमबीर सिंह व मुंबई पुलिस के पूर्व एपीआइ सचिन वाझे सहित कई और लोगों के खिलाफ नौ लाख रुपए जबरन वसूली करने का आरोप लगाया था। उनके अनुसार, यह वसूली जनवरी 2020 से मार्च 2021 के बीच की गई। उन्होंने इन पुलिस अधिकारियों पर 2.92 लाख रुपये कीमत के दो स्मार्ट फोन भी जबरन खरीदवाने का आरोप लगाया था। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये वसूली उनसे उनके पार्टनरशिप में चल रहे दो बारों व एक रेस्टोरेंट पर छापा न मारने के एवज में की गई थी। शनिवार को चीफ मेट्रोपालिटन मैजिस्ट्रेट एसबी भाजीपाले की अदालत में दाखिल आरोपपत्र में परमबीर के अलावा तीन और लोगों नाम शामिल हैं। इनमें एक अंटीलिया मामले में बर्खास्त किए जा चुके मुंबई पुलिस के एपीआइ सचिन वाझे, सुमित सिंह व अल्पेश पटेल शामिल हैं। दो अन्य आरोपितों रियाज भाटी व विनय सिंह को फरार बताया गया है।

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परमबीर सिंह के खिलाफ दर्ज हैं पांच मामले

परमबीर सिंह के विरुद्ध पिछले छह महीनों में पांच आपराधिक मामले दर्ज किए जा चुके हैं। इनमें से दो मामले जबरन वसूली के व बाकी भ्रष्टाटाचार से संबंधित हैं। फिलहाल, यह पहला आरोपपत्र दाखिल किया गया है। विशेष सरकारी वकील शेखर जगताप के अनुसार परमबीर सिंह सहित तीन और लोगों के खिलाफ दाखिल आरोपपत्र 400 पन्नों से अधिक का है। जगताप ने यह आरोपपत्र दाखिल करते हुए कोर्ट में स्पष्ट किया कि निलंबित पूर्व पुलिस आयुक्त के खिलाफ यह आरोपपत्र दाखिल किए जाने के लिए किसी प्रकार की पूर्व अनुमति की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि सीआरपीसी की धारा 197 के तहत किसी सरकारी कर्मचारी को सुरक्षा सिर्फ ऐसे मामलों में हासिल होती है, जो अपराध उससे अपने सरकारी कार्यों का निर्वाह करते हुए हुआ हो। जगताप के अनुसार जबरन वसूली पुलिस आयुक्त के कार्य निर्वाह का हिस्सा नहीं है। इसलिए उनके विरुद्ध आरोपपत्र दाखिल करने के लिए पूर्व अनुमति की आवश्यकता भी नहीं थी। दो दिन पहले ही परमबीर सिंह को राज्य सरकार द्वारा निलंबित भी कर दिया गया है। जगताप के अनुसार आरोपपत्र की प्रतियां आरोपितों को मुकदमे की अगली तारीख को सौंपी जाएंगी।


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