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Mumbai News: आसान नहीं है धारावी पुनर्विकास का लक्ष्य, अडाणी रियल्टी के सामने होगी कई बड़ी समस्याएं

Mumbai News इस परियोजना में पुनर्विकास के बाद करीब 60000 परिवारों को 405 वर्ग फुट के घर एवं 13000 व्यावसायिक इकाइयों के लिए दुकानें मुफ्त दिए जाने की योजना है। अडाणी रियल्टी के सामने समस्या यहीं से खड़ी होनी शुरू हो जाएगी।

By Jagran NewsEdited By: Vinay Kumar TiwariPublished: Wed, 30 Nov 2022 07:50 PM (IST)Updated: Wed, 30 Nov 2022 07:50 PM (IST)
Mumbai News: आसान नहीं है धारावी पुनर्विकास का लक्ष्य, अडाणी रियल्टी के सामने होगी कई बड़ी समस्याएं
Mumbai News: मुंबई के सबसे बड़े स्लम को रिडेवलप करने के लिए अदाणी रियल्टी को कड़ी मशक्कत करनी होगी।

मुंबई, [ओमप्रकाश तिवारी]। Mumbai News: एशिया के सबसे बड़े झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र धारावी के पुनर्विकास की बोली भले अडाणी समूह की कंपनी अडाणी रियल्टी ने जीत ली हो, लेकिन उसके लिए इस परियोजना पर आगे बढ़ना और धारावी के पुनर्विकास का लक्ष्य हासिल करना कतई आसान नहीं होगा। यह लक्ष्य पाने की राह में कई रोड़े उसका इंतजार कर रहे हैं। 

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मुंबई के लगभग बीचोंबीच धारावी का झुग्गी-झोपड़ी क्षेत्र करीब 600 एकड़ में फैला है। कई राज्य सरकारें इस क्षेत्र के पुनर्विकास का सपना देखते-देखते आईं और चली गईं, लेकिन धारावी का पुनर्विकास नहीं हो सका। कभी स्थानीय राजनीति तो कभी राज्य और केंद्र सरकारों की लालफीताशाही आड़े आती रही, और काम नहीं हो सका। वर्तमान उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुख्यमंत्री रहते हुए अपनी पिछली सरकार के दौरान ही धारावी के पुनर्विकास का प्रयास शुरू कर दिया था।

इस बार भी जून में सत्ता परिवर्तन होते ही उन्होंने प्रयास शुरू कर दिए थे। इन्हीं प्रयासों के तहत इस बार न्यूनतम निविदा राशि भी 3,150 करोड़ रुपयों से घटाकर 1,600 करोड़ रुपए कर दी गई। जिसके फलस्वरूप निविदाएं आईं। अडाणी रियल्टी ने 5,029 करोड़ रुपयों की, एवं डीएलएफ ने उसके 40 प्रतिशत से भी कम, यानी 2,025 करोड़ रुपयों की बोली लगाई, और निविदा अडाणी रियल्टी ने जीत ली। 

इस परियोजना में पुनर्विकास के बाद करीब 60,000 परिवारों को 405 वर्ग फुट के घर एवं 13000 व्यावसायिक इकाइयों के लिए दुकानें मुफ्त दिए जाने की योजना है। अडाणी रियल्टी के सामने समस्या यहीं से खड़ी होनी शुरू हो जाएगी।

रियल्टी व्यवसाय के एक्सपर्ट वरुण सिंह कहते हैं कि धारावी की झुग्गी झोपड़ियों में ज्यादातर झुग्गियां तीन से चार मंजिला हैं। इनमें ऊपर की एक मंजिल पर तो परिवार या मजदूर रहते हैं, बाकी की मंजिलों पर कारखाने चलते हैं। कारखाने भी तरह-तरह के। यहां प्लास्टिक रीसाइकिलिंग का बहुत बड़ा उद्योग चलता है।

बड़ी-बड़ी कंपनियां यहीं सूटकेस, बैग, बेल्ट, जूते जैसे चमड़े के सामान बनवाकर उनपर अपना ब्रांड नाम लगाकर देश से लेकर विदेशों तक के बाजार में बेचती हैं। रैक्जीन के बैगों का भी बड़ा कारोबार यहां होता है। करीब 12 एकड़ में बसे कुंभारवाड़े में तो 1000 से ज्यादा परिवार सिर्फ मिट्टी के बर्तन बनाने में लगे हैं। इनकी नीचे की मंजिल पर भट्ठियां हैं, तो ऊपर की दो-तीन मंजिलों पर कुल्हड़ और प्यालियां बनाने और सुखाने का काम होता है। एक-एक काम में एक ही परिवार को चार-पांच भाई लगे हुए हैं।

लेकिन घर या दुकान का कागज किसी एक के नाम पर है। पुनर्विकास में मुफ्त घर या दुकान किसी एक को मिलेगी। बाकी कहां जाएंगे ? उनका काम-धंधा कैसे चलेगा ? पुनर्विकास के दौरान सात-आठ वर्षों में उनका व्यवसाय कैसे चलेगा ? कई लोगों ने अपने घरों में नीचे रहते हैं, और ऊपर की दो मंजिलें किराए पर दे रखी हैं। उस किराए से ही उनका खर्च चलता है। वह खर्च कहां से आएगा ? ये प्रश्न लोगों को परेशान कर रहे हैं।

इसके बाद समस्या आती है राजनीति की। धारावी में बहुत बड़ी आबादी मुस्लिमों और दलितों की है। यहां की विधायक वर्षा गायकवाड कांग्रेस की हैं। सांसद राहुल शेवाले जीतकर शिवसेना से आए थे। अब एकनाथ शिंदे गुट में शामिल हो चुके हैं। यानी उद्धव ठाकरे गुट से सीधा पंगा ले चुके हैं। राहुल गांधी का ‘अडाणी-अंबानी’ का जुमला कहीं और चले न चले, यहां इसे चलाने की भरपूर कोशिश की जाएगी।

धारावी में ही कांच का व्यवसाय करने वाले अब्दुल हकीम हाशमी कहते हैं कि मंगलवार को अडाणी रियल्टी को निविदा मिलने के बाद से ही चर्चाएं गरम हैं कि मोदी जी ने धारावी पुनर्विकास का काम अडाणी को दे दिया। कांग्रेस और शिवसेना उद्धव बालासाहब ठाकरे (यानी उद्धव गुट) अपने समर्थकों में इस चर्चा को राजनीतिक रंग देने की भरपूर कोशिश करेंगे।


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