मुंबई में पांच मंजिला इमारत ढह जाने से 34 की मौत
मुंबई महानगरपालिका से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 1996 से अब तक 17 इमारतें ढह चुकी हैं, जिनमें 267 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
मुंबई, राज्य ब्यूरो। मुंबई की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। भीषण वर्षा के दंश से उबरने की कोशिश कर रहे इस महानगर में आज एक पांच मंजिला इमारत ढह जाने से अब तक 34 लोग मारे गए हैं। करीब 15 लोगों के दबे होने की आशंका है।
दक्षिण मुंबई के भिंडी बाजार मुहल्ले की पाकमोडिया स्ट्रीट स्थित पांच मंजिला हुसैनी इमारत अचानक ढह गई। इसमें ऊपर की मंजिलों पर नौ परिवार रहते थे और भूतल पर कुछ दुकानें थीं। इमारत करीब 117 साल पुरानी बताई जाती है। 2011 में ही इसे अत्यंत जर्जर बताकर खाली करने की नोटिस दी जा चुकी थी। इसके बावजूद कई परिवार इसमें रह रहे थे और कुछ लोग भूतल पर व्यवसाय भी कर रहे थे। इमारत के प्रथम तल पर ट्यूलिप नर्सरी नामक बच्चों का एक प्ले स्कूल चलता था। संयोग से यह स्कूल नौ बजे शुरू होता था।
जिसके कारण इसमें आने वाले करीब 30 बच्चों की जान बच गई। जबकि इमारत गिरने के बाद से चल रहे राहत एवं बचाव कार्य में अब तक 19 लोग मृत पाए गए हैं और करीब एक दर्जन घायलों को बाहर निकाला गया। करीब 20 लोगों के अभी भी मलबे में फंसे होने की आशंका है। घायलों का इलाज निकट ही स्थित जे.जे.अस्पताल में चल रहा है। इमारत के भूतल पर ही एक मिठाई की दुकान थी, जहां कई मजदूर और कारीगर काम करते थे। इन सभी के दब जाने की आशंका जताई जा रही है।
संभवत: इस दुकान में जल रहे गैस स्टोव से ही गिरी इमारत में आग भी भड़क गई, जिसके कारण दमकल विभाग के कुछ कर्मचारी भी घायल हो गए हैं। राहत एवं बचाव कार्य में दमकल विभाग के अलावा एनडीआरएफ के जवान भी लगे हैं। सावधानीवश आज ढही इमारत के अगल-बगल की इमारतों को भी आनन-फानन में खाली करवा लिया गया है। दुर्घटनास्थल पर पहुंचे कुछ नेताओं को लोगों के गुस्से का शिकार भी होना पड़ा। बीएमसी आयुक्त अजोय मेहता को लोगों ने वहां रुकने नहीं दिया।
बता दें कि पाकमोडिया स्ट्रीट पर ही माफिया सरगना दाऊद इब्राहिम का बचपन एवं जवानी के कुछ वर्ष गुजरे हैं। कुछ वर्ष पहले उसके भाई इकबाल कास्कर पर हुआ हमला भी आज गिरी इमारत के निकट स्थित उसके घर पर ही हुआ था। इस इलाके की ज्यादातर इमारतें 70 से 100 साल पुरानी हैं। माना जा रहा है कि पिछले 10 दिनों से मुंबई में हो रही भारी बरसात के कारण हुए जलभराव एवं तेज हवाओं ने हुसैनी इमारत को कमजोर कर दिया था। पिछले सप्ताह ही इस इमारत से कुछ ही दूरी पर एक और इमारत का एक हिस्सा ढहने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो चुकी है। इस इलाके की एक दर्जन से ज्यादा इमारतों को म्हाडा द्वारा जर्जर बताकर खाली करने की नोटिस दी जा चुकी है।
सैफी बुरहानी अपलिफ्टमेंट ट्रस्ट इस अत्यंत घनी बस्ती की पुरानी इमारतों को हटाकर पूरे इलाके को नए सिरे से विकसित करने का काम शुरू कर चुका है। इसके बावजूद वर्षों से इसी क्षेत्र में रहते आ रहे ज्यादातर लोग इमारतें खाली करने को तैयार नहीं होते। मुंबई महानगरपालिका से प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 1996 से अब तक 17 इमारतें ढह चुकी हैं, जिनमें 267 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। सर्वाधिक 61 लोग इस क्षेत्र से कुछ ही दूर स्थित बाबू गेनू रोड की एक इमारत ढहने से मारे गए थे। यह हादसा सितंबर 2013 में हुआ था। बीएमसी ने कुछ वर्ष पहले मुंबई की 791 इमारतों को अत्यंत खतरनाक घोषित किया था। इनमें से 186 इमारतें ध्वस्त की जा चुकी हैं और 117 खाली करवाई जा चुकी हैं। शेष में अभी भी लोग रह रहे हैं।
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