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Mohan Bhagwat In Nagpur: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सभी के लिए खुला विकास का रास्ताः मोहन भागवत

Mohan Bhagwat In Nagpur नागपुर में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वर्तमान स्थिति देखी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सभी के लिए विकास का रास्ता खुल गया है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 16 Oct 2021 07:03 PM (IST)Updated: Sat, 16 Oct 2021 08:58 PM (IST)
Mohan Bhagwat In Nagpur: जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद सभी के लिए खुला विकास का रास्ताः मोहन भागवत
नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत। फोटो एएनआइ।

नागपुर, एएनआइ। महाराष्ट्र के नागपुर में शनिवार को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि मैंने जम्मू-कश्मीर का दौरा किया और वर्तमान स्थिति देखी। अनुच्छेद 370 हटने के बाद सभी के लिए विकास का रास्ता खुल गया है। अनुच्छेद 370 के बहाने जम्मू-लद्दाख में पहले भेदभाव किया जाता था। वह भेदभाव अब मौजूद नहीं है। उनके मुताबिक, कश्मीर घाटी के लिए जो किया गया उसका 80 फीसद राजनीतिक नेताओं की जेब में चला गया और लोगों तक नहीं पहुंचा। अब कश्मीर घाटी के लोगों को विकास और लाभ प्राप्त करने की सीधी पहुंच का अनुभव हो रहा है।

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हिंदू मंदिरों के अधिकार हिंदुओं को सौंपे जाएं: भागवत

नागपुर, प्रेट्र। देश में कुछ मंदिरों की हालत पर चिंता जताते हुए आरएसएस के सरसंघ चालक मोहन भागवत ने कहा कि हिंदू मंदिरों के संचालन का अधिकार हिंदू श्रद्धालुओं के हाथों में ही होना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू मंदिरों के धन का उपयोग सिर्फ हिंदू समुदाय के कल्याण के लिए ही किया जाना चाहिए। यहां रेशमबाग में संघ की परंपरागत दशहरा रैली को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा कि दक्षिण भारत में मंदिरों पर राज्य सरकारों का पूर्ण नियंत्रण है, जबकि देश के दूसरे भागों में कुछ मंदिरों का संचालन सरकार तो कुछ का हिंदू श्रद्धालुओं द्वारा किया जाता है। भागवत ने कहा कि हिंदू मंदिरों के धन का उपयोग गैर-हिंदुओं के लिए किया जा रहा है, जिनका हिंदू देवी-देवताओं में कोई यकीन नहीं है। हिंदुओं के लिए इस धन की जरूरत है, लेकिन उनके लिए इसका इस्तेमाल नहीं किया जा रहा। उन्होंने कहा कि यहां तक कि सुप्रीम कोर्ट ने भी हिंदू मंदिरों को लेकर आदेश दिया है। शीर्ष अदालत ने कहा कि मंदिरों के स्वामी भगवान हैं। पुजारी सिर्फ प्रबंधक हैं। सरकार केवल प्रबंधन के लिए मंदिरों को अपने नियंत्रण में ले सकती है, वह भी कुछ समय के लिए। उन्होंने कहा कि यह निर्णय किए जाने की जरूरत है कि हिंदू समाज किस तरह से इन मंदिरों की देखभाल करे।


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