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मोहन भागवत ने कहा-काम करनेवालों को बोलने की जरूरत नहीं

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उद्योगपति रतन टाटा के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि काम करनेवालों को बोलने की जरूरत नहीं पड़ती।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 25 Aug 2018 08:32 AM (IST)Updated: Sat, 25 Aug 2018 08:32 AM (IST)
मोहन भागवत ने कहा-काम करनेवालों को बोलने की जरूरत नहीं
मोहन भागवत ने कहा-काम करनेवालों को बोलने की जरूरत नहीं

मुंबई, राज्य ब्यूरो।  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने उद्योगपति रतन टाटा के साथ मंच साझा करते हुए कहा कि काम करनेवालों को बोलने की जरूरत नहीं पड़ती। पूरे समय मंच पर रहने के बावजूद रतन टाटा ने इस समारोह को संबोधित नहीं किया।

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मुंबई के टाटा अस्पताल के निकट कैंसर रोगियों के लिए रोगी सेवा सदन चलानेवाली संस्था नाना पालकर स्मृति समिति का आज स्वर्ण जयंती समारोह था। इस समारोह में मोहन भागवत के साथ टाटा ट्रस्ट के चेयरमैन एवं उद्योगपति रतन टाटा को भी आमंत्रित किया गया था।

इस अवसर पर बोलते हुए भागवत ने कहा कि आप सब की भांति हमें भी उम्मीद थी कि आज विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित पद्मविभूषण रतन टाटा को सुनने का अवसर मिलेगा। लेकिन वह बोलना नहीं चाहते। उनका कहना है कि उन्हें बोलने में संकोच होता है।

भागवत ने इसके साथ ही कहा कि जो लोग काम करते हैं, उन्हें बोलने की जरूरत नहीं पड़ती। सरसंघचालक ने इसी कड़ी में टाटा समूह की तारीफों के पुल बांधते हुए कहा कि टाटा समूह कभी अपने समूह या किसी व्यक्ति के लिए अपार संपत्ति जुटाने के सपने लेकर नहीं चला। यह समूह हमेशा राष्ट्र का गौरव बढ़ाने के लिए काम करता रहा। इन्हीं विशेषताओं के कारण आज इस कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाने के लिए रतन टाटा का नाम प्राथमिकता पर था।

सर संघ चालक ने कहा कि नाना पालकर स्मृति समिति का काम भी ऐसी ही सेवा भावना के साथ शुरू हुआ था। जिसके मन में समाज के लिए तड़प होती है, वह काम करने के किसी की राह नहीं देखता। बल्कि स्वयं कूद पड़ता है। भागवत के अनुसार समाज को बिखरने न देने का कार्य ही धर्म है।

बता दें कि जिनकी स्मृति में नाना पालकर स्मृति समिति की स्थापना की गई, उन नारायण हरि पालकर उर्फ नाना पालकर के जन्म शताब्दी वर्ष का भी आज समापन समारोह था। संघ के पूर्णकालिक प्रचारक रहे नाना पालकर जीवन भर रोगियों की सेवा करते रहे।

इसलिए 50 वर्ष की आयु में उनके निधन के बाद संघ के स्वयंसेवकों ने 1968 में उनकी स्मृति में नाना पालकर स्मृति समिति की स्थापना कर मुंबई के परेल इलाके में आवासीय रोगी सेवा सदन की स्थापना की। जहां देश भर से आए गरीब रोगियों एवं उनके दो परिजनों को रुकने की सुविधा एवं अत्यंत कम मूल्य पर भोजन उपलब्ध कराया जाता है। गरीब रोगियों को इलाज के लिए आर्थिक सहायता तथा निशुल्क डायलिसिस की सुविधा भी प्रदान की जाती है। इस सदन का लाभ प्रतिवर्ष करीब 1500 रोगी उठाते हैं। 


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